मद्रास हाई कोर्ट ने गुरुवार (11 जुलाई 2019) को कहा कि किसी पोस्ट के लिए जरूरत से ज्‍यादा क्वालिफाइड व्यक्ति को नौकरी नहीं दी जा सकती। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि जरूरत से ज्‍यादा क्वालिफाइड उम्मीदवार नौकरी न मिलने पर अधिकारों के उल्लंघन का दावा नहीं कर सकते। कोर्ट ने एक महिला द्वारा दायर अर्जी पर सुनवाई करते हुए ये आदेश जारी किया।

महिला ने अर्जी में कहा था कि चेन्नई मेट्रो द्वारा उसे नौकरी के लिए खारिज कर दिया गया था क्योंकि वह जरूरत से ज्यादा क्वालिफाइड थी। न्यायमूर्ति एस वैद्यनाथन ने आर लक्ष्मी प्रभा ने उनकी इसी अर्जी खारिज कर दिया। दरअसल लक्ष्मी प्रभा महिला ने 2013 में चेन्नई मेट्रो रेल लिमिटेड (सीएमआरएल) में ट्रेनी ऑपरेटर पद के लिए अप्लाई किया था।

इस नौकरी के लिए न्यूनतम क्वालिफिकेशन डिप्लोमा थी लेकिन महिला के पास इंजीनियरिंग की डिग्री है। सीएमआरएल ने इसी को आधार मानते हुए जुलाई 2013 में उनके आवेदन को रद्द कर दिया था। जिसके बाद महिला ने कोर्ट का रुख किया। कोर्ट ने कहा कि सीएमआरएल द्वारा आवेदन खारिज होने पर महिला ये दावा नहीं कर सकती कि उसके अधिकारों का उल्लंघन हुआ है।

न्यायाधीश ने सीएमआरएल के विज्ञापन का उल्लेख करते हुए कहा कि जिन अर्भ्यिथयों की योग्यता जरुरत से अधिक हैं वे रोजगार का दावा करने के हकदार नहीं हैं। न्यायाधीश ने अपने आदेश में कहा, ‘इस मामले में न्यूनतम योग्यता स्पष्ट तौर पर उल्लेखित है और यह भी उल्लेख किया गया है कि जरुरत से अधिक योग्यता वाले अभ्यर्थी आवेदन नहीं करें। इसी के आधार पर रिट याचिका खारिज की जाती है।’