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कर्नाटक के बाद गोवा में कांग्रेस को तगड़ा झटका, 10 MLA बीजेपी में शामिल

गोवा में कांग्रेस के कुल 15 विधायकों में से 10 विधायकों ने स्पीकर को अलग ग्रुप बनाने की चिट्ठी दी है. इसके बाद सभी 10 विधायक बीजेपी में शामिल होंगे.

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(फाइल फोटो- प्रमोद सावंत, ट्विटर)
(फाइल फोटो- प्रमोद सावंत, ट्विटर)

कर्नाटक में सियासी संकट के बाद अब गोवा में राजनीतिक घमासान शुरू हो गया है. गोवा में कांग्रेस के कुल 15 विधायकों में से 10 विधायक भारतीय जनता पार्टी(बीजेपी) में शामिल हो गए हैं. हैरान करने वाली बात यह है कि नेता विपक्ष भी बीजेपी में शामिल हो गए हैं.

इससे पहले विधायकों ने स्पीकर को अलग ग्रुप बनाने की चिट्ठी दी थी. इसके बाद सभी 10 विधायक भारतीय जनता पार्टी(बीजेपी) में शामिल हो गए हैं. 2 तिहाई से ज्यादा संख्या होने की वजह से इन विधायकों पर दल-बदल कानून नहीं लागू होगा.

सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस का साथ छोड़कर जाने वाले विधायक बुधवार रात ही नई दिल्ली के लिए रवाना होंगे.

इस मालमे में गोवा विधानसभा स्पीकर राजेश पटनेकर ने कहा, 'आज 10 कांग्रेस विधायकों ने मुझे पत्र सौंपा कि वे बीजेपी में शामिल हो रहे हैं. दूसरा पत्र गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत को सौंपा गया कि बीजेपी की संख्या बढ़ गई है. मैंने सभी पत्रों को स्वीकार कर लिया है.'

गोवा प्रदेश कांग्रेस समिति के अध्यक्ष गिरीश चोडणकर ने कहा है कि बीजेपी ने अपने गठबंधन के साथियों और कांग्रेस के 10 विधायकों को अपने खेमे में शामिल करके अपनी गहन असुरक्षा का परिचय दिया है. वे एक देश-एक चुनाव नहीं बल्कि एक देश-एक पार्टी की ओर ले जाने का प्रयास कर रहे हैं.

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गोवा के डिप्टी स्पीकर माइकल लोबो ने कहा, 'कांग्रेस के 10 विधायक बीजेपी में शामिल हो गए हैं. कांग्रेस के दो तिहाई विधायक अब बीजेपी का हिस्सा हैं. उन्होंने एक तरह से बीजेपी में विलय कर लिया है. इन विधायकों की अगुवाई बाबू कावलेकर(चंद्रकांत कावलेकर) ने की. कावलेकर इससे पहले विधानसभा में विपक्ष के नेता थे.'

चंद्रकांत कावलेकर ने बीजेपी में शामिल होने के बाद कहा, '10 विधायकों के साथ हम बीजेपी में शामिल हो गए हैं, क्योंकि मुख्यमंत्री अच्छा काम कर रहे हैं. मैं विपक्ष का नेता था. इसके बाद भी हमारे कार्यक्षेत्र में विकास कार्य नहीं हुआ. सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी होने के बाद भी हम सरकार नहीं बना सके.'

कर्नाटक में हॉर्स ट्रेडिंग का आरोप झेल रही बीजेपी पर अब गोवा में भी हॉर्स ट्रेडिंग का आरोप लगना तय है. भले ही विधायक अपनी इच्छा से बीजेपी में क्यों न शामिल हुए हैं.

जब गोवा की 40 विधानसभा सीटों के नतीजे आए तो स्थिति बिल्कुल कर्नाटक जैसी ही थी. कांग्रेस 15 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी, लेकिन बहुमत से दूर रही थी. बीजेपी ने 14 सीटों पर कब्जा जमाया था और अन्य दलों के साथ मिलकर सरकार बना ली थी.

बीजेपी की जोड़-तोड़ की राजनीति यहां कामयाब हुई और कांग्रेस को सत्ता से दूर रहना पड़ा. अगर कांग्रेस के 10 विधायकों के इस्तीफे मंजूर हो जाते हैं, तो कांग्रेस महज 5 सीटों पर गोवा में सिमट जाएगी.

इससे पहले गोवा के उप-मुख्यमंत्री विजय सरदेसाई ने कांग्रेस विधायकों की तुलना उन बंदरों की थी जो एक जगह से दूसरी जगह कूदते रहते हैं. सरदेसाई का इशारा उन खबरों की तरफ था जिसमें यह कहा गया था कि कांग्रेस के 10 विधायक पार्टी छोडकर बीजेपी में आने के इच्छुक हैं.

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गोवा और कर्नाटक के सियासी समीकरण में अंतर बस इतना ही है कि कर्नाटक में सत्तारूढ़ सरकार पर संकट है और कांग्रेस-जनता दल(सेक्युलर) गठबंधन सरकार बचाने की कोशिश में है लेकिन गोवा में पड़ला बीजेपी का भारी है, और संगठन के स्तर पर बीजेपी मजबूत होने वाली है.

गौरतलब है कि कर्नाटक में सरकार गिरने का खतरा मंडरा रहा है. कर्नाटक में भी अभी तक 13 कांग्रेस विधायक इस्तीफा दे चुके हैं. 224 विधानसभा सीटों वाले कर्नाटक में कांग्रेस और जेडीएस गठबंधन ने 105 का आंकड़ा छू लिया था. अब 13 विधायकों के इस्तीफा देने के बाद सियासी समीकरण बदल गए हैं.

विधानसभा स्पीकर ने भले ही अभी विधायकों का इस्तीफा स्वीकार न किया हो, लेकिन सरकार बचाना मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी के लिए टेढ़ी खीर साबित होने वाली है. वहीं बीजेपी की ओर से दावा किया जा रहा है कि उसके समर्थन में अब 107 विधायक हैं. अगर यह आंकड़ा बीजेपी छू लेती है, तो वहां बीजेपी की सरकार बनना तय है.

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