आक्सफोर्ड-आस्ट्राजेनेका की वैक्सीन के दो अलग-अलग डोज के अलग-अलग नतीजों ने नया पेंच फंसा दिया है। वैक्सीन का पहले हाफ और फिर फुल डोज कोरोना वायरस को रोकने में 90 फीसद सफल रहा है, वहीं दोनों फुल डोज सिर्फ 62 फीसद कारगर पाया गया है। समस्या यह है कि भारत में इस वैक्सीन के तीसरे फेज का ट्रायल दोनों फुल डोज में किया जा रहा है। ऐसे में बिना ट्रायल के हाफ और फुल डोज वैक्सीन को भारत में अनुमति देना मुश्किल साबित हो सकता है। वैसे इस मुद्दे पर स्वास्थ्य मंत्रालय का कोई भी अधिकारी आधिकारिक रूप से कुछ भी...
भारत जैसी बड़ी जनसंख्या वाले देश के लिए यह अंतर काफी बड़ा साबित होगा। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि योजना आयोग के सदस्य डाक्टर वीके पॉल की अध्यक्षता वाली उच्च स्तरीय समिति इस मुद्दे पर विचार कर रही है। लेकिन ज्यादा उम्मीद यही है कि भारत में चल रहे ट्रायल के नतीजे आने के बाद दो फुल डोज के साथ वैक्सीन देने की शुरूआत की जाएगी और इस बीच सीआइआइ को एक हाफ-एक फुल डोज के साथ तीसरे फेज का ट्रायल नए शुरू करने के लिए कहा...
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