जलवायु संकट को लेकर कई चेतावनियों और अनुमानों के बीच दुनिया भर के नेता अगले सप्ताह स्कॉटलैंड में जुटने वाले हैं। जहां पार्टियों का 26वां संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन होने जा रहा है। प्रधानमंत्री मोदी भी इस सम्मेलन में हिस्सा लेंगे। वे 29 अक्टूबर से दो नवंबर तक इटली और ब्रिटेन की यात्रा पर हैं। जहां वे स्कॉटलैंड के ग्लासगो में एक और दो नवंबर को कोप-26 में सम्मेलन मे शामिल होंगे।
यह बैठक पिछले साल इसी स्थान पर आयोजित होने वाली थी, लेकिन महामारी के कारण इसे स्थगित करना पड़ा। दो सप्ताह तक चलने वाली इस बैठक का आधिकारिक एजेंडा पेरिस समझौते के कार्यान्वयन के लिए नियमों और प्रक्रियाओं को अंतिम रूप देना है, जिसे 2018 तक पूरा किया जाना था। बैठक में सभी देश अपनी प्रगति रिपोर्ट भी पेश करेंगे। अमीर देशों के कार्बन उत्सर्जन घटाने और पेड़ और जंगल बढाने की दिशा में इस बैठक में कई महत्वपूर्ण चर्चाएं होने के आसार...
हालांकि, अंतरराष्ट्रीय मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अब तक इन बैठकों के अपेक्षित परिणाम नहीं मिले हैं। उद्योगों पर निर्भर रहने वाले अधिकांश देश उत्सर्जन में कमी के अपने शुरुआती वादों को पूरा नहीं कर पाए हैं, साथ ही उन्होंने इस काम में वित्त और तकनीक में मदद करने की अपनी प्रतिबद्धता को भी पूरा नहीं किया है। इसी वजह से पिछले 20 वर्षों में जलवायु संकट बिगड़ गया है और मौसम में असंतुलन देखा जा रहा है।2015 में पेरिस समझौते के तहत वैश्विक तापमान को औद्योगिक काल के पूर्व के स्तर की तुलना में दो डिग्री...
यदि कोई विकसित देश अपने उत्सर्जन में कमी के लक्ष्यों की प्राप्ति करने में विफल रहती है तो वह वित्त या तकनीक के हस्तांतरण से ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन में कमी करने के लिए किसी विकासशील देश की मदद कर सकता है। इस तरीके से वह देश कार्बन क्रेडिट प्राप्त कर सकता है। इन वर्षों में, चीन, भारत और ब्राजील जैसे विकासशील देशों ने बड़ी संख्या में कार्बन क्रेडिट जमा किए हैं।पेरिस समझौते के तहत दुनिया भर के नेताओ को यह तय करना होगा कि वे अपने- अपने देशों में कितनी तेजी से कार्बन उत्सर्जन में कटौती करेंगे।...
इटली और ब्रिटेन मिलकर सम्मेलन की मेजबानी कर रहे हैं। ब्रिटेन कार्बन उत्सर्जन को रोकने के लिए किसी ठोस नतीजे पर पहुंचने और"कोयले को इतिहास के हवाले” करने की वकालत कर रहा है। ब्रिटेन ने ईंधन चालित कारों की बिक्री बंद करने के लिए 2040 की समय-सीमा का प्रस्ताव भी रखा है। साथ ही वह जंगलों की कटाई रोकने के पैसा खर्च करने को तैयार है।जब दुनिया ने यह महसूस किया कि ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन से तापमान में वृद्धि हो रही है और यह धरती रहने लायक नहीं रह जाएगी तब इस पर चर्चा की जरुरत महसूस की गई। संयुक्त...
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