खास बातेंनई दिल्ली: प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई ने स्वतंत्रता को न्यायपालिका की आत्मा बताते हुए कहा है कि उसे लोकलुभावन ताकतों के खिलाफ खड़ा होना चाहिए और संवैधानिक मूल्यों का अनादर किये जाने से इसकी रक्षा की जानी चाहिए. न्यायमूर्ति गोगोई ने मंगलवार को रूस के सोची में शंघाई सहयोग संगठन के मुख्य न्यायाधीशों के एक सम्मेलन में कहा कि न्यायपालिका को संस्थान की स्वतंत्रता पर लोकलुभावन ताकतों का मुकाबला करने के लिए खुद को तैयार करना होगा और मजबूत करना होगा.
कैंसर से जूझ रहा 'जाली मुद्रा' रखने का आरोपी, 'मां की गोद' में तोड़ना चाहता है दम, SC से लगाई जमानत की गुहार उन्होंने कहा कि किसी देश के सफर के कुछ चरणों में जब विधायी और कार्यकारी इकाइयां लोकलुभावनवाद के प्रभाव में संविधान के तहत अपने कर्तव्यों एवं लक्ष्यों से दूर हो जाती हैं तो न्यायपालिका को इन लोकलुभावन ताकतों के खिलाफ खड़े होना चाहिए और संवैधानिक मूल्यों की रक्षा करनी चाहिए. कुछ आलोचकों के लिए यह स्थिति आलोचना का एक मौका दे सकती है कि चुने हुए प्रतिनिधियों के फैसले को कैसे न्यायाधीश पलट सकते हैं जबकि वे जनता द्वारा निर्वाचित नहीं हैं.
उन्होंने कहा कि हालांकि हमें यह याद रखना है कि दुनियाभर में ऐसी स्थितियों ने न्यायिक इकाइयों पर भारी दबाव डाला है और यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि कुछ न्यायिक क्षेत्रों में न्यायपालिका ने भी लोकलुभावन ताकतों के आगे घुटने टेके हैं. यह एक ऐसा क्षेत्र है जिसमें न्यायपालिका संस्थान की स्वतंत्रता पर ऐसे लोकलुभावन ताकतों के हमलों का मुकाबला करने के लिए खुद को मजबूत करे और तैयार करे.
Where is nyay Finish nyay time , now jisaki laathi , usaki bhes
ये कदम बहुत अच्छा है लोकलुभावन बाते जो बोले चुनाव के समय उनसे पूछा जाए आय का स्रोत साथ ही न्यायपालिका में भी जो कैम्प बैठक के नाम पर सरकारी राशि से भोज होता है उसे बंद करना अत्यंत जरूरी।
चेहरे देखकर बार बार जमानत देने पर भी विचार करना चाहिए।
What a solitary words for self solace.
Toh vote kahaan se milega ?
EVM me lakho shikayto k bawjud..supreme court ne kyu action nhi liya chunav aayog per? Vipakhsi dalo ko chunav k dauran nazarandaz kiya gaya..loklubhavan takat to inhi sab baato se aati hai.Ho inshpaksh to Raffel per doshiyo ko saja do..justice loya ka case open karo.
Dal me kuch Kala h.....
AmitKum53241848
लोकलुभावन ताकत ही तो थी जिसके बल पर सुप्रीम कोर्ट ने बिहार के लगभग 4लाख नियोजित शिक्षकों को समान काम समान वेतन से वंचित कर दिया। पटना उच्च न्यायलय के फैसले को रद्दी की टोकरी में डाल दिया गया। समान काम समान वेतन के अपने ही फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने इसी लोकलुभावन के कारण पलट दिया।
स्वतंत्रता जरूरी है । लेकिन बन्दर के हाथों में उस्तरा आ जाये तो क्या जब वे संवैधानिक सुरक्षा प्राप्त शीर्ष पदो पर बैठे उसका दुरुपयोग कर रहे हो? ताजा उदाहरण तो रिटायरमेंट प्लान में जुटे गोगोई का ही था। जिस तरह से अपने को क्लीन चिट दिलवाई वही स्वतंत्रता का दुरुपयोग है।
परिवारवादी व्यवस्था के सुधारोपरांत ही, न्यायपालिका गौरवशाली सम्मान की पुनः प्राप्ति करेगी ।
Sir Aap CJI hai , Bihar me Kitne Masoom Bacchhe Mrr gye Sarkar se puchhiye Kun hai jimmedar , UP me roz Betiyo pr attyachar ho raha hai , Sarkar pr koi frk nhi pdd raha . Agar SC Sakhtt ho Jaye toh Sarkar ko jawab dena pdega .
न्यायपालिका की जिम्मेदारी न्याय करने की है।खड़े होने, बैठने की नहीं।गोगोई साहब अगर राजनीति करनी है तो रिटायरमेंट ले लीजिए।
खुल के बोल न न्यायपालिका को मोदी गैंग के खिलाफ खड़ा होना चाहिए ।
He is real custodian of independent judiciary.
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