खास बातेंनई दिल्ली: देश में कोरोनावायरस के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं. संक्रमितों की संख्या 8 लाख के आंकड़े को छूने के लिए तैयार है. इस बीच
यह भी पढ़ेंस्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारी राजेश भूषण ने बताया कि कोरोना से होने वाली मौतों में करीब 25 फीसदी लोग 45 से कम उम्र के थे. वहीं, 85 फीसदी लोग 45 की उम्र के पार थे. हाई-रिस्क में आने वाले लोगों पर राज्यों और केंद्र सरकार द्वारा ज्यादा ध्यान दिए जाने की जरूरत है. भारत की कुल आबादी में 60 से 74 साल के बीच आने वाले 8 फीसदी लोग हैं. इन लोगों में कोरोना से मरने वालों का प्रतिशत 39 फीसदी है.
राजेश भूषण ने आगे बताया कि देश में 14 साल से कम उम्र के बच्चों की संख्या 35 फीसदी है. इस एज गैप में कोरोना से मरने वालों का प्रतिशत एक फीसदी है. 15-29 साल के बीच आने वाले मृतकों का प्रतिशत तीन फीसदी है. 30-44 साल के बीच आने वाले मृतकों का प्रतिशत 11 फीसदी है. गौरतलब है कि भारत समेत दुनियाभर के 180 से ज्यादा देशों में कोरोनावायरस का खौफ देखने को मिल रहा है. अभी तक 1.22 करोड़ से ज्यादा लोग इस संक्रमण की चपेट में आ चुके हैं. यह वायरस 5.4 लाख से ज्यादा मरीजों की जिंदगी छीन चुका है. भारत में भी लगभग हर रोज कोरोना के मामले बढ़ते जा रहे हैं. स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा शुक्रवार सुबह जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार, देश में कोरोना संक्रमितों की संख्या 7,93,802 हो गई है. पिछले 24 घंटों में कोरोना के 26,506 नए मामले सामने आए हैं.
इतना ही नहीं, इस दौरान देश में 475 संक्रमितों की मौत भी हुई है. देश में एक दिन में कोरोना से मौतों का भी यह अब तक का सबसे बड़ा आंकड़ा है. देश में 4,95,513 मरीज अब तक ठीक हो चुके हैं और 21,604 लोगों की मौत हुई है. रिकवरी रेट की बात करें तो यह मामूली बढ़त के बाद 62.42 प्रतिशत पर पहुंच गया है. देश के सभी राज्यों से कोरोना मरीज सामने आ रहे हैं. कई राज्य ऐसे भी हैं, जो इस महामारी से मुक्त हो चुके थे लेकिन प्रवासियों के राज्य में दाखिल होने से वह फिर से इस संक्रमण की जद में आ गए.
कम उम्र के होते तो भी सरकार तुम ऐसे ही सोये कहते
हज़ारों लोगों की चिता में हज़ारों टन लकड़ी जल कर राख हो गई। पर्यावरण को नुक्सान, प्रकृति को नुकसान। प्रकृति को वापस दें। मुर्दा को दफना दिया करें, जैसे कि बच्चों और धर्म गुरु और गौ माता को दफ़नाते हैं। यही प्राकृतिक तरीक़ा है।
It's a very big Game
गवर्न्मंट को सोचना चाहिए की ऐसा क्या कारण है या तो लोगों के खान पान मे किसी तरह की कमी है या फिर कोई और कारण
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