मुर्दों को मिला प्रधानमंत्री आवास, कागजों में ही आवास का निर्माणसरकारी योजनाओं का लाभ अगर जीवित व्यक्तियों को ना मिलकर मुर्दों को मिलने लगे तो आप समझ सकते हैं कि भ्रष्टाचार किस कदर बढ़ रहा है. जी हां, छत्तीसगढ़ में बलरामपुर जिले के रेवतीपुर ग्राम पंचायत से ऐसा ही अजीबोगरीब मामला सामने आया है. जहां लोगों का आरोप है कि दो मृत लोगों के नाम सरकारी आवास स्वीकृत हो गया, साथ ही कागजों में घर भी बन गया.
मृत लोगों के परिजनों का आरोप है कि लरामपुर में मुर्दों के लिये भी प्रधानमंत्री आवास स्वीकृत होता है और स्वीकृति के बाद आवास बनाया भी जाता है, मगर सिर्फ कागजों में. यही नहीं, दूसरे व्यक्ति के मकान का फोटो खींचकर फर्जी टैगिंग भी किया जाता है. आरोप है कि जनपद मुख्यालय में बैठे CEO और अन्य अधिकारियों को इसकी भनक तक नहीं लगती. यहां के सरपंच और सचिव मरे हुए लोगों को आवास के लिये पात्र मानते हैं. वहीं, जो जीवित हैं, उन्हें अपात्र.
दरअसल, ग्रामीणों के अनुसार रेवतीपुर में रहने वाले दो व्यक्ति हरख सिंह और शिवशंकर की मृत्यु लगभग 6 वर्ष पहले हो गई थी. सरपंच सचीव ने मिली भगतकर मर चुके इन दो लोगों के नाम पर फर्जी तरीके से आवास स्वीकृत कर दिया. फिर सिर्फ कागजों में ही आवास का निर्माण भी करा दिया. वहीं, इनके परिवारवाले टूटे फूटे मकानों में जीवनयापन करने पर मजबूर हैं.आरोप है कि पंचायत प्रतिनिधियों ने फर्जी खाता नंबर देकर मृत लोगों के आवास के पैसे का आहरण कर आपस में बांट लिए हैं.
वहीं, जिला पंचायत के हरिस का कहना है कि इस मामले की जांच जनपद स्तर पर किया जा रहा है. जनपद स्तर की जांच रिपोर्ट आज आने के पश्चात नियमानुसार कार्रवाई की जायेगी. शिकायत पिछले महीने आई थी. टीम गठित कर जांच की जा रही है.
हम को आवास नहीं मिला है पिछले पाँच साल से आवास के लिए दौड़ रहा हूँ ग्राम प्रधान भी नहीं सुनते हैं मेरा नाम भददर है जो कि मैं ग्राम करी घाट पोस्ट बड़ना पुर जिला बहराईच तहसील महसी उत्तर प्रदेश का निवासी हूं
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