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संसद में रवि किशन ने गाया गाना, भोजपुरी की मान्यता के लिए सदन में उठाई आवाज

शून्यकाल के दौरान भोजपुरी के चर्चित गीत गंगा मइया तोहे पिपरी चढइबो की पंक्तियां सुनाते हुए रवि किशन ने 17वीं लोकसभा में भोजपुरी को मान्यता देने की मुखर आवाज उठाई है।

By Dhyanendra SinghEdited By: Published: Mon, 01 Jul 2019 09:01 PM (IST)Updated: Mon, 01 Jul 2019 09:01 PM (IST)
संसद में रवि किशन ने गाया गाना, भोजपुरी की मान्यता के लिए सदन में उठाई आवाज
संसद में रवि किशन ने गाया गाना, भोजपुरी की मान्यता के लिए सदन में उठाई आवाज

नई दिल्ली, संजय मिश्र। भोजपुरी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल कराने की दशकों पुरानी मांग को भोजपुरी सुपर स्टार सांसद रवि किशन ने अपना सबसे अहम संसदीय एजेंडा बना लिया है। लोकसभा में सोमवार को भोजपुरी की महक बिखेरते हुए करीब 25 करोड़ लोगों की इस जुबान को मान्यता देने की गुहार लगाने के बाद रवि किशन अब विधायी पहल को आगे बढांएगे।

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गोरखपुर के सांसद अगले हफ्ते इसके लिए लोकसभा में निजी विधेयक पेश करेंगे। भोजपुरी को मान्यता दिलाने के अपने निजी विधेयक का संकल्प पारित कराने के लिए वे विपक्ष ही नहीं दक्षिण के राज्यों के सांसदों का भी समर्थन जुटा रहे हैं।

शून्यकाल के दौरान दिल को छू लेने वाले भोजपुरी के चर्चित गीत 'गंगा मइया तोहे पिपरी चढइबो' की पंक्तियां सुनाते हुए रवि किशन ने 17वीं लोकसभा में भोजपुरी को मान्यता देने की मुखर आवाज उठाई। इसके बाद संसद भवन में दैनिक जागरण से बातचीत में रवि किशन ने कहा कि बतौर सांसद जनता के प्रति अपनी जवाबदेही के साथ भोजपुरी की प्रतिष्ठा को स्थापित करना उनका सबसे अहम एजेंडा रहेगा। इसीलिए संसद के पहले कामकाजी सत्र के दौरान ही काफी चिंतन-मनन करने के बाद भोजपुरी को मान्यता दिलाने का निजी विधेयक का मसौदा तैयार किया है।

रवि किशन के अनुसार लोकसभा में भोजपुरी को लेकर उनके निजी विधेयक को 12 जुलाई को पेश करने के लिए सूचीबद्ध भी कर लिया गया है। आठवीं अनुसूची में भोजपुरी को शामिल करने के अपने विधेयक के मसौदे में उन्होंने इस भाषा के समृद्ध साहित्य और कला से लेकर इसे बोलने वाले लोगों की बड़ी संख्या का हवाला दिया है।

इसमें कहा गया है कि भोजपुरी का इतिहास पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार में सदियों पुराना तो है ही साथ ही अंग्रेजों के समय बिहार की अदालतों में भी भोजपुरी का प्रयोग किया जाता था। रवि किशन के मुताबिक रामचरित मानस में भोजपुरी का जिक्र आया है और ऐतिहासिक काल खंड में राजा भोज के समय भी इस भाषा की लोकप्रियता रही थी।

संस्कृति से लेकर सिनेमा तक भोजपुरी का डंका बजता है मगर करोड़ों लोगों की इस भाषा को मान्यता नहीं मिलना दुख की बात है। इसीलिए बतौर सांसद भोजपुरी को मान्यता दिलाना उनके लिए गंगा नहाने जैसा होगा। उन्होंने कहा कि विपक्षी सांसदों के अलावा दक्षिण के राज्यों के सांसदों ने भी भोजपुरी की मान्यता पर उनके प्रयासों का समर्थन करने का भरोसा दिया है।

रवि किशन ने शून्यकाल में आठवीं अनुसूची में भोजपुरी को शामिल करने की गुहार लगाते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कई बार चुनाव के दौरान भोजपुरी के अभिवादन शब्दों का प्रयोग कर भोजपुरी प्रेमियों को उम्मीद दी है। इसीलिए 25 करोड़ लोगों की यह भाषा जिसे मारीशस, सुरीनाम और फिजी समेत तमाम कैरिबियन देशों में बोला जाता है उसे मान्यता दिया जाना भोजपुरी माटी का सम्मान होगा।


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