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शराब की दुकान बंद कराने के लिए पत्नी के शव के साथ धरने पर बैठा डॉक्टर

सड़क हादसे में अपनी पत्नी को खोने वाले एक डॉक्टर ने तमिलनाडु स्टेट मार्केटिंग कॉरपोरेशन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. डॉक्टर रमेश अपनी पत्नी के शव के साथ जंबुकंडी इलाके में विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं. कोयंबटूर का यह इलाका तमिलनाडु और केरल के बॉर्डर पर पड़ता है.

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प्रतीकात्मक तस्वीर.
प्रतीकात्मक तस्वीर.

सड़क हादसे में अपनी पत्नी को खोने वाले एक डॉक्टर ने तमिलनाडु स्टेट मार्केटिंग कॉरपोरेशन (TASMAC) के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. डॉक्टर रमेश अपनी पत्नी के शव के साथ जंबुकंडी इलाके में विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं. कोयंबटूर का यह इलाका तमिलनाडु और केरल के बॉर्डर पर पड़ता है.

TASMAC तमिलनाडु सरकार की एक कंपनी है, जो होलसेल का सामान और शराब बेचती है. रमेश पिछले 29 साल से डॉक्टरी के पेशे में है. पत्नी की मौत के बाद वह इलाके में TASMAC की दुकान बंद कराने की मांग को लेकर विरोध कर रहे हैं.

दरअसल एक सड़क हादसे में रमेश की पत्नी शोभना की मौत हो गई. यह हादसा सोमवार को उस वक्त हुआ जब बेटी साधना के साथ स्कूटी पर सवार शोभना जंबुकंडी इलाके में घर देखकर वापस कनुवाई स्थित अपने अवास लौट रही थीं. तभी नशे में धुत बाइक सवार दो लोगों से उनकी भिड़ंत हो गई.

इस हादसे में शोभना की मौत हो गई. स्कूटी शोभना चला रही थीं और 11वीं में पढ़ने वाली साधना पीछे बैठी थी. रमेश डॉक्टर होने के अलावा इलाके के सोशल एक्टिविस्ट भी हैं. उन्हें स्थानीय लोगों का भी खूब समर्थन मिल रहा है. वे भी विरोध-प्रदर्शन में उनके साथ शामिल हो गए हैं. विरोध-प्रदर्शन के कारण हाईवे पर ट्रैफिक भी करीब 6 घंटे तक बाधित रहा.

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जब जयललिता राज्य की मुख्यमंत्री थीं, तब राज्य सरकार ने शराबबंदी का वादा किया था. लेकिन ऐसा कुछ हुआ नहीं. केरल और तमिलनाडु के बॉर्डर पर बसे इलाकों से लगातार शराब की दुकानों को बंद करने की मांग को लेकर विरोध-प्रदर्शन होते रहे हैं. उनका कहना है कि हर परिवार शराब के कारण कोई न कोई परेशानी का सामना कर रहा है.

मामले को तूल पकड़ता देख कोयंबटूर (नॉर्थ) के रेवेन्यू डिविजनल ऑफिसर (आरडीओ) विजय कुमार और एसपी मणि ने घटनास्थल पर पहुंचकर विरोध-प्रदर्शन कर रहे लोगों से बातचीत की और TASMAC आउटलेट बंद कराने का लिखित में भरोसा दिया. इलाके के लोग पिछले तीन साल से TASMAC आउटलेट बंद कराने की लड़ाई लड़ रहे हैं.

रमेश ने मीडिया से कहा कि वह आरोपी पर गुस्सा नहीं हैं. बल्कि उस राज्य सरकार पर हैं, जो यह आउटलेट चला रही है. उन्होंने कहा, ''मेरी पत्नी ने हादसे के कुछ ही मिनटों बाद दम तोड़ दिया. जिंदगी कुछ मिनटों में खत्म हो जाती है. लेकिन सरकार अब तक यह नहीं समझी है. दुकान कुछ समय के लिए बंद हुई लेकिन फिर दोबारा खुल गई. अगर यह हमेशा के लिए बंद हो गई होती तो आज मेरी पत्नी जिंदा होती.''

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