केंद्र में नई सरकार आ चुकी है। अगले कुछ हफ्तों में नई वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण देश का आम बजट पेश करने वाली हैं लेकिन उससे पहले उसकी तैयारियां जोरों पर है। हर बार बजट पेश होने से पहले आर्थिक जगत में गहमा गहमी बरकरार रहती है और उसे तैयार करने के लिए महीने भर की लंबी प्रक्रिया अपनाई जाती रही है। लेकिन उसकी प्रक्रिया के बारे में अमूमन लोगों के बीच जानकारी का अभाव है। इस बात की भी जानकारी संभवत: नहीं है कि देश का पहला बजट किसने बनाया था। ईटी के मुताबिक 1860 में भारत का पहला बजट जेम्स विल्सन ने बनाया था। ये वही शख्स हैं जिन्होंने स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक की स्थापना भी की थी। इसके अलावा विल्सन व्यापक रूप से पढ़ी जाने वाली पत्रिका ‘द इकोनॉमिस्ट’ के संस्थापक भी थे।

विल्सन ने अपने करियर की शुरुआत एक विनम्र हैट-मेकर (टोपी बनानेवाला) के रूप में की थी, जिसने बाद में वित्त और अर्थशास्त्र के बारे में पर्याप्त जानकारी हासिल की और खुद को इस विषय में पारंगत बनाया। धीरे-धीरे विल्सन अविभाजित भारत में वायसराय लॉर्ड कैनिंग की परिषद में वित्त सदस्य के पद तक पहुंच गए। वह ब्रिटिश ट्रेजरी के वित्त सचिव और व्यापार मंडल के उपाध्यक्ष होने के अलावा ब्रिटिश संसद के सदस्य भी थे। वो 1859 में पहली बार भारत आए थे। उस वक्त ब्रिटिश सरकार के हाथ सिपाही विद्रोह से जले हुए थे। ब्रिटिश सरकार ने इस विद्रोह को तब आजादी का पहला युद्ध करार दिया था, जिसके दमन के लिए ब्रिटिश सरकार को सैन्य खर्च बढ़ाना पड़ा था।

1857 का विद्रोह दमन करने के साथ ही ब्रिटिश सरकार के न केवल सैन्य खर्च बढ़ गया था बल्कि उस पर भारी ऋण चढ़ गया था। तब लंदन से विल्सन को संसाधनों के समुचित इस्तेमाल और वित्तीय हालात को सुधारने के लिए बुलाया गया था। सब्यसाची भट्टाचार्य ने अपनी किताब ‘फिनान्शियल फाउंडेशन्स ऑफ द ब्रिटिश राज’ में विल्सन और उनके उत्तराधिकारी सर रिचर्ड टेम्पल के बारे में लिखा है, “उन्होंने इस दिशा में काम करते हुए तब भारत में पहली बार इंग्लिश मॉडल पर बजट पेश किया था। इससे लोगों के दिल-दिमाग में एक नई ताजगी और विश्वास पैदा हुआ।

विल्सन ने सेना और राजनीतिक हस्तक्षेप की वजह से अस्त-व्यस्त आर्थिक ढांचे को एक धागे में पिरोने का काम किया। विल्सन ने नागरिक व्यय की कई शाखाओं की समीक्षा के लिए सैन्य वित्त आयोग के कार्यों को आगे बढ़ाया। इतना ही नहीं उन्होंने ऑडिट एंड अकाउंट की तत्कालीन व्यवस्था की भी समीक्षा की।”

विल्सन को देश में इनकम टैक्स कानून लागू करने के लिए भी जाना जाता है। हालांकि, यह एक घृणास्पद कदम था जिसने बड़े विवाद को जन्म दिया था। उनके आयकर कानून ने व्यापारियों के साथ-साथ जमींदारों और बड़े भू-सामंतियों को लपेटे में ले लिया था। बावजूद इसके जेम्स विल्सन ने भारत को अपने बजट के माध्यम से वित्तीय शासन का एक अमूल्य उपकरण दिया था। इनकम टैक्स लगाने के पीछ विल्सन ने तर्क दिया था कि चूंकि ब्रिटिश सरकार ने भारतीयों को व्यापार के लिए एक सुरक्षित वातावरण प्रदान किया था, इसलिए उन्हें आयकर देना चाहिए। हालांकि, उस समय शुरू हुआ आयकर भुगतान का विरोध देश में आज तक कायम है।