गुजरातः सेप्टिक टैंक में कैसे हुई सात लोगों की मौत?

  • टीम बीबीसी
  • नई दिल्ली
सफ़ाई कर्मचारियों के चप्पल

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गुजरात के दभोई में एक होटल के सेप्टिक टैंक की सफ़ाई करने उतरे सात लोगों की दम घुटने से मौत हो गई है.

पुलिस का कहना है कि जब टैंक में गए लोग बाहर नहीं आए तो उन्हें देखने अन्य लोग एक-एक करके उतरे और सभी की मौत हो गई.

पुलिस के मुताबिक मरने वालों में तीन होटल के कर्मचारी हैं. होटल मालिक हसन अब्बास भोरानिया के ख़िलाफ़ ग़ैर-इरादतन हत्या का मामला दर्ज किया गया है.

सब इंस्पेक्टर केएम वाघेला ने बीबीसी को बताया, "सात मरने वालों में तीन सफ़ाई कर्मी थे, एक ड्राइवर और तीन होटल कर्मचारी हैं. सभी के शव बरामद कर लिए गए हैं."

मरने वालों में महेश पाटनवाडिया, अशोक हरिजन, हितेश हरिजन और महेश हरिजन एक ही गांव थुवावी के रहने वाले हैं.

थुवावी के सरपंच चिराग पटेल ने बताया कि अशोक और हितेश पिता पुत्र हैं. मौत की ख़बर के बाद से ही गांव में शोक का माहौल है.

इस गांव में 350-400 दलित रहते हैं जिनमें से 5-6 लोग ही इस तरह से सफ़ाई का काम करते हैं. चिराग पटेल के मुताबिक सफ़ाई कार्य के लिए ज़रूरी सुरक्षा उपकरण इन लोगों के पास नहीं हैं.

टैंक

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राहत कर्मचारी

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वहीं मृतक महेश हरिजन के माता-पिता नहीं थी. उनकी मौत के बाद अब पत्नी और बहन अकेले रह गए हैं.

मरने वालों में शामिल विजय चौधरी और सहदेव वसावा सूरत के उमरपाड़ा तालुका के रहने वाले हैं जबकि अजयभाई वसावा नेत्रंग तालुका के रहने वाले हैं. ये सभी होटल के कर्मचारी थे.

पुलिस ने सभी शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेजा है. इसके बाद ही स्पष्ट हो सकेगा कि उनकी मौत किस गैस की वजह से हुई है.

गुजरात सरकार ने मारे गए लोगों के परिजनों को चार लाख रुपए की आर्थिक मदद देने की घोषणा की है.

वहीं पुलिस का कहना है कि सफ़ाई कर्मचारी जब टैंक में उतरे थे तब उनके पास सुरक्षा उपकरण नहीं थे.

मृतकों में शामिल महेश पाटनवाडिया ट्रेक्टर ट्राली चलाते हैं और वो मलवा उठाने के लिए वहां गए थे.

सफ़ाई कर्मचारी

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पुलिस का कहना है कि वो टैंक में उतरे कर्मचारियों को देखने के लिए नीचे गए होंगे जहां उनकी भी मौत हो गई.

माना जा रहा है कि होटल कर्मचारी भी सफ़ाईकर्मियों को निकालने टैंक में उतरे जहां ज़हरीली गैस से उनकी भी मौत हो गई.

दलित विधायक जिग्नेश मेवाणी ने एक ट्वीट करके कहा, "सरकार मूर्ति बनाने में तीन हज़ार करोड़ रुपए ख़र्च कर सकती है लेकिन सफ़ाई कर्मचारियों को गटर में न उतरना पड़े या मैला न ढोना पड़े उसके लिए मशीनरी में निवेश नहीं कर रही है."

नेशनल सफ़ाई कर्मचारी आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक 1993 से 2018 तक गुजरात में सीवर में उतरने के कारण 122 लोगों की मौत हो चुकी है.

इस दौरान बारत में कुल 676 सफ़ाई कर्मचारी इस वजह से मारे गए जिनमें सबसे ज़्यादा 194 तमिलनाडु में मारे गए. दूसरे नंबर पर गुजरात है.

वीडियो कैप्शन, इन अंधियारे सीवरों में मौत बसती है...

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