लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद कांग्रेस की अंदरूनी कलह सतह पर आ रही है। उत्तर प्रदेश में पार्टी को मिली हार की वजहों की तलाश करने और समीक्षा के लिए दिल्ली के यूपी भवन में मंगलवार (11 जून) को एक बैठक का आयोजन किया गया था। बैठक में पश्चिमी उत्तर प्रदेश के प्रभारी राष्ट्रीय महासचिव ज्योतिरादित्य सिंधिया भी शामिल हुए। समीक्षा बैठक के दौरान सिंधिया और कांग्रेस नेता केके शर्मा के बीच तीखी नोकझोंक हुई। साथ ही समीक्षा बैठक के स्थल के बाहर भी दो नेता आपस में उलझ गए। पार्टी नेता केके शर्मा ने बताया कि हंगामे की वजह से ही बैठक देर से शुरू हुई।

शर्मा ने आरोप लगाया कि पार्टी की बैठक का आयोजन सुबह 10 बजे से किया गया था। जबकि इसकी शुरूआत शाम 3 बजे हुई। उन्होंने आगे कहा कि पार्टी शीर्ष पदों पर आसीन नेता अन्य सदस्यों के साथ बैठक किए बिना ही निर्णय ले रहे हैं। यही वजह है कि चुनाव में सफलता नहीं मिली। चुनाव में कांग्रेस का निराशाजनक प्रदर्शन रहा। उन्होंने कहा, “मैंने ज्योतिरादित्य सिंधिया से बैठक में कहा कि मेरे पास गुलाम नबी आजाद के बारे में बताने के लिए काफी कुछ है।

बैठक में शामिल होने आए पश्चिम उत्तर प्रदेश के नेताओं के बीच यूपी भवन के बाहर तीखी नोकझोंक भी हुई। हालांकि, इसके बारे में पूछे जाने पर नेताओं ने कहा, ‘यह हमारा अंदरूनी मामला है।’ पार्टी नेताओं ने बैठक में यह भी कहा कि बड़े नेता राहुल गांधी को दिग्भ्रमित कर रहे हैं। राहुल गांधी अकेले संघर्ष कर रहे हैं।

बता दें कि इस बार के चुनाव में कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश में सपा-बसपा-रालोद गठबंधन से इतर अकेले लड़ने का फैसला लिया था। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की बहन प्रियंका गांधी को पूर्वी उत्तर प्रदेश और ज्योतिरादित्य को पश्चिम उत्तर प्रदेश का प्रभारी बनाया गया। चुनाव में कांग्रेस को उत्तर प्रदेश में काफी नुकसान हुआ। पार्टी मात्र एक सीट रायबरेली (सोनिया गांधी) पर ही जीत दर्ज कर सकी। कांग्रेस का दुर्ग माने जाने वाले अमेठी में राहुल गांधी को स्मृति ईरानी ने पटखनी दे दी। हार की नैतिक जिम्मेवारी लेते हुए उत्तर प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष राज बब्बर ने अपने इस्तीफे की भी पेशकश की थी।