भारतीय राजनीति में लालू प्रसाद यादव की छवि जमीन से जुड़े हुए नेता की रही है। जिन्हें उनकी वाकपटुता और गवई अंदाज के लिए जाना जाता है। हालांकि लालू यादव एक प्रखर और भारतीय राजनीति की गहरी समझ रखने वाले राजनेता रहे हैं, जिनके बिना बिहार की राजनीति की तो फिलहाल कल्पना करना भी मुश्किल है। लालू यादव फिलहाल चारा घोटाले में जेल की सजा काट रहे हैं और चुनावी राजनीति से बाहर हैं। इसके बावजूद लालू यादव की ताकत को कम आंकना किसी भी राजनैतिक दल के लिए बेवकूफी ही कही जाएगी। आज लालू प्रसाद यादव का जन्मदिन है और आज वह 71 साल के हो गए हैं। लालू प्रसाद यादव की जिंदगी से कई किस्से जुड़े हुए हैं। ऐसे ही कुछ किस्से आज हम आपसे साझा कर रहे हैं।

कैसे पड़ा लालू नामः लालू प्रसाद यादव की बहन गंगोत्री देवी ने एक बार बताया था कि लालू प्रसाद यादव का नाम ‘लालू’ कैसे पड़ा? गंगोत्री देवी ने बताया कि लालू प्रसाद यादव बचपन में बहुत गोरे और गोल मटोल थे। परिवार में भाइयों में सबसे छोटे थे। यही वजह रही कि लालू यादव के पिता कुंदन राय ने उनका नाम लालू रख दिया।

सीएम बनने के बाद भी चपरासी क्वार्टर में रहेः लालू प्रसाद यादव का बचपन बेहद गरीबी में बीता। पिता कुंदन राय खेतिहर मजदूर थे। लालू यादव के बड़े भाई की चपरासी में नौकरी लगी, जिसके बाद लालू प्रसाद यादव भी अपने भाई के साथ चपरासी क्वार्टर में रहने लगे। गौरतलब है कि बिहार का सीएम बनने के बाद करीब 4 महीने तक भी लालू यादव उसी चपरासी क्वार्टर में रहे।

कानून के नाम पर रखा बेटी का नामः लालू प्रसाद यादव की बड़ी बेटी मीसा भारती इन दिनों राजनीति में सक्रिय हैं। लेकिन मीसा के जन्म और उनके नाम से एक किस्सा जुड़ा हुआ है। दरअसल मीसा भारती लालू प्रसाद यादव की बड़ी बेटी हैं और जब मीसा का जन्म हुआ, उस वक्त देश में इमरजेंसी लगी हुई थी। लालू यादव इमरजेंसी के दौरान मेंटिनेंस ऑफ इंटरनल सिक्योरिटी एक्ट (MISA) के तहत जेल में बंद थे। यही वजह रही कि जब लालू यादव की बेटी का जन्म हुआ तो उन्होंने बेटी का नाम MISA कानून के तहत मीसा रख दिया।

दोस्तों के साथ मिलकर बनायी जनता दलः लालू प्रसाद यादव, नीतीश कुमार, शरद यादव और रामविलास पासवान दोस्त थे और जयप्रकाश आंदोलन के साथी थे। जयप्रकाश आंदोलन के बाद चारों दोस्तों ने मिलकर अपनी राजनैतिक पार्टी जनता दल का गठन किया। साल 1997 में लालू यादव ने दोस्तों से किनारा कर अपनी खुद की पार्टी राजद का गठन किया।

एक बार जिससे मिल लेते हैं, उसका नाम और चेहरा हमेशा याद रखते हैं: लालू प्रसाद यादव की खासियत है कि वह एक बार जिस व्यक्ति से मिल लेते हैं, उसका नाम और चेहरा हमेशा याद रखते हैं। राजद के नेता शिवानंद तिवारी ने बीबीसी को एक किस्सा सुनाते हुए बताया था कि एक बार वह लालू के साथ किसी मीटिंग में गए थे। जहां मीटिंग होनी थी, वहां पास में ही मुसहर लोगों की बस्ती थी। जैसे ही लालू वहां पहुंचे तो मुसहर टोले के लोग दौड़कर उनके पास पहुंच गए। इसी बीच लालू प्रसाद यादव की निगाह एक महिला पर गई और उन्होंने मुस्कुराते हुए उसका नाम पुकारा और फिर उसके परिजनों और रिश्तेदारों के बारे में पूछा। इतना ही नहीं जाते हुए लालू प्रसाद यादव उस महिला को मिठाई के लिए पैसे भी देकर आए। शिवानंद तिवारी ने बताया कि उक्त महिला शादी से पहले पटना में वेटरनरी कॉलेज मैदान के पास रहती थी। जहां लालू यादव भी रहा करते थे। वहीं से लालू महिला को पहचानते थे, लेकिन इतने साल बीत जाने और राजनीति में शीर्ष पर पहुंच जाने के बाद भी लालू यादव का उस महिला को नाम से पहचानना उनकी शख्सियत को दर्शाता है।