कठुआ में दुष्कर्म के बाद बच्ची की हत्या के मामले में दोषियों को मिली सजा, जानें तमाम पहलू

5 वर्ष पहले
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गैंगरेप के बाद मार दी गई बच्ची के केस में इंसाफ की मांग के लिए निकाला गया मार्च। फाइल फोटो - Dainik Bhaskar
गैंगरेप के बाद मार दी गई बच्ची के केस में इंसाफ की मांग के लिए निकाला गया मार्च। फाइल फोटो
  • जम्मू-कश्मीर के कठुआ जिले के एक गांव में 10 जनवरी 2018 को की थी घोड़े चरा रही 8 साल की बच्ची अगवा
  • चार दिन तक मंदिर में नशे की हालत में बंधक बना बार-बार किया गया गलत काम, 17 जनवरी को मिला था शव
  • सुप्रीम कोर्ट के ऑर्डर पर पठानकोट के सेशन जज तेजविंदर सिंह की कोर्ट में हुआ ट्रायल पूरा

पठानकोट. जम्मू-कश्मीर के कठुआ में 8 साल की बच्ची के साथ सामूहिक दुष्कर्म और हत्या मामले में पठानकोट कोर्ट ने सोमवार को ग्राम प्रधान सांझी राम समेत 6 को दोषी ठहराया। जबकि एक आरोपी को बरी कर दिया। दोषियों में 3 को उम्रकैद और 3 को 5-5 साल की सजा सुनाई गई। क्राइम ब्रांच ने पिछले साल अप्रैल में सभी 8 आरोपियों के खिलाफ चार्टशीट दाखिल की थी। जानिए, इस मामले में कब क्या हुआ?

1) बंधक बनाकर की थी बच्ची से हैवानियत

कठुआ के एक गांव में 10 जनवरी 2018 को 8 साल की बच्ची को अगवा किया गया। 12 जनवरी को हीरानगर पुलिस ने एफआईआर दर्ज की गई। बच्ची को चार दिन तक बंधक बनाकर गलत काम किया गया। बाद में उसकी हत्या कर दी गई। 17 जनवरी को उसका शव मिला।

22 जनवरी 2018 को यह केस क्राइम ब्रांच को सौंपा गया। जांच के बाद क्राइम ब्रांच ने 7 आरोपियों, जिसमें सांझी राम (तत्कालीन ग्राम पंचायत प्रधान), उसके बेटे विशाल, विशेष पुलिस अधिकारी दीपक खजूरिया उर्फ दीपू, सुरिंदर वर्मा, परवेश कुमार उर्फ मन्नू, हेड कॉन्स्टेबल तिलक राज और उपनिरीक्षक अरविंद दत्ता को गिरफ्तार किया था।

8वें आरोपी के रूप में सांझी राम का भतीजा भी गिरफ्तार किया गया था। उसकी सुनवाई अब तक नहीं शुरू हो सकी है, क्योंकि 18 साल से कम उम्र के होने के उसके दावे का प्रतिवाद कर रही है।

मामला पीडीपी-भाजपा की तत्कालीन सरकार के लिए विवाद का विषय बन गया। 1 मार्च 2018 को गिरफ्तार लोगों के समर्थन में रैली में भाग लेने पर भाजपा के 2 मंत्री चौधरी लाल सिंह और चंद्र प्रकाश गंगा को बर्खास्त कर दिया था।

9 अप्रैल 2018 को इस मामले में ग्राम प्रधान समेत 8 लोगों पर 18 पेज का आरोप पत्र दाखिल हुआ। इसमें एक आरोपी नाबालिग है। यह घटना कई दिनों तक मीडिया की सुर्खियों में रहा।

चार्जशीट पर कुछ वकीलों ने सवाल उठाते हुए कहा सीबीआई जांच की मांग की थी। यहां तक कि चार्जशीट दाखिल करने पहुंची क्राइम ब्रांच टीम को भी वकीलों के समूह ने रोकने की कोशिश की थी।

14 अप्रैल 2018 को भाजपा की तरफ से आरोपियों के पक्ष में रोष रैली में भाग लेने वाले दोनों मंत्रियों को बर्खास्त कर दिया गया।

16 अप्रैल को कठुआ की सेशन कोर्ट में ट्रायल शुरू हुआ, लेकिन 7 मई 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को पठानकोट ट्रांसफर कर दिया। क्योंकि, जम्मू-कश्मीर सरकार और कुछ वकीलों ने कठुआ में निष्पक्ष सुनवाई नहीं होने की आशंका व्यक्त की थी।

जून 2018 के पहले हफ्ते में कठुआ से करीब 30 किमी दूर पड़ोसी राज्य पंजाब के पठानकोट की जिला एवं सत्र अदालत में सुनवाई शुरू हुई। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक बिना किसी स्थगन के रोज बंद कमरे और कैमरे की निगरानी में मामले की सुनवाई होनी थी।

जून 2018 में 7 ही आरोपियों के खिलाफ कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर की रणबीर दंड संहिता के तहत आरोपियों पर धारा 120 बी (आपराधिक साजिश), 302 (हत्या) और 376 डी (गैंगरेप) के तहत आरोप तय किए थे। सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद किशोर आरोपी को छोड़कर सभी आरोपियों को गुरदासपुर जेल में भेज दिया गया था। बचाव पक्ष के वकीलों की संख्या भी सीमित कर दी गई थी।

नवंबर 2018 में पठानकोट के सेशन जज तेजविंदर सिंह की कोर्ट ने पीड़िता के परिवार की वकील दीपिका सिंह राजावत को हटा दिया था। परिवार का आरोप था कि दीपिका के पास कोर्ट में सुनवाई के दौरान पेश होने का समय नहीं था। वह 110 सुनवाई में वह सिर्फ दो बार ही मौजूद रहीं।

नवंबर 2018 में ही कोर्ट ने गवाह अजय कुमार उर्फ अज्जू को कारण बताओ नोटिस जारी किया था। उसके खिलाफ झूठी गवाही का आरोप था। गवाह ने एक मजिस्ट्रेट के सामने इकबालिया बयान दर्ज कराया था और बाद में वह उससे पलट गया था।

3 जून 2019 को मामले का ट्रायल पूरा हो गया। सेशन कोर्ट में 375 में 245 दिन लगातार चली सुनवाई में 132 गवाहियां हुईं। केस को अंजाम तक पहुंचाने में पब्लिक प्रॉसिक्यूटर्स की ओर से 114 गवाहों को 132 दिन में पेश किया गया।

जबकि उसके बचाव में डिफेंस की ओर से 18 गवाह मात्र 20 दिन में पेश गए। केस में 80 दिन तक आरोपियों पर लगाए आरोपों पर उनके बयान दर्ज किए गए हैं और 10 दिन दोनों पक्षों ने उस पर बहस की।

फैसले की तारीख 10 जून तय की गई थी। सोमवार को कोर्ट ने ग्राम प्रधान सांझी राम, दो एसपीओ दीपक खजूरिया और सुरेंद्र वर्मा, एसआई अरविंद दत्ता, हेड कॉन्स्टेबल तिलक राज और प्रवेश कुमार उर्फ मन्नू को दोषी करार दिया, जबकि सांझी राम के बेटे विशाल को बरी कर दिया।

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