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- Chief Minister Nitish Kumar Say Prashant Kishor Will Give Clarification On Work Of Mamta Banerjee Party
ममता बनर्जी की पार्टी के लिए काम करने पर सफाई देंगे प्रशांत किशोर: नीतीश
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- प्रशांत जदयू की की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में रखेंगे अपनी बात
- प्रशांत के संगठन का जदयू से लेना-देना नहीं
पटना. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शनिवार को जदयू के उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर के प.बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के साथ काम करने की खबरों पर सफाई दी। उन्होंने कहा कि रविवार को जदयू की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक है। इस मामले पर प्रशांत किशोर बैठक में अपनी बात रखेंगे।
नीतीश कुमार ने कहा, किशोर एक साल पहले ही हमारी पार्टी में शामिल हुए हैं। वे राजनीतिक रणनीति बनाने वाले संगठन से भी जुड़े हैं। वे जिस किसी के लिए काम करते हैं, इसके अंतर्गत करते हैं। जदयू का उनके इस काम से कोई लेना देना नहीं है। हमें प्रशांत किशोर के खिलाफ कोई शिकायत नहीं मिली। अगर हमें कोई शिकायत मिलती है, तो हम जरूर कार्रवाई करेंगे।
लोगों के लिए काम करने का जदयू का तरीका अलग
मोदी कैबिनेट में जदयू के शामिल ना होने के सवाल पर नीतीश ने कहा कि हम प्रतीकात्मक प्रतिनिधित्व नहीं चाहते। लेकिन हम अब भी मोदी के नेतृत्व वाली सरकार में शामिल हैं। लोगों के लिए काम करने का जदयू का अपना अलग तरीका है।
ममता की पार्टी के लिए रणनीति बनाएंगे प्रशांत
प्रशांत किशोर ने गुरुवार को बंगाल की मुख्यमंत्री ममता से मुलाकात की थी। किशोर बंगाल विधानसभा चुनाव में ममता की पार्टी तृणमूल कांग्रेस के लिए रणनीति बनाएंगे। हाल ही में हुए आंध्र के विधानसभा चुनाव में वाईएसआर की चुनावी रणनीति प्रशांत किशोर ने ही तैयार की थी। जगन मोहन रेड्डी (46) की पार्टी को 175 में से 151 सीटें मिलीं। जगन ने तेदेपा के चंद्रबाबू नायडू को हराया और मुख्यमंत्री बने।
2014 में मोदी के रणनीतिकार रहे थे प्रशांत
प्रशांत किशोर ने 2012 गुजरात चुनाव में मोदी के लिए काम किया। इस चुनावों में भाजपा ने पहली बार पूर्ण बहुमत हासिल किया। पार्टी को 282 सीटें मिलीं। बिहार में 2015 विधानसभा चुनाव में किशोर ने नीतीश कुमार का चुनावी अभियान संभाला। इन चुनावों में जदयू को 71 सीटें मिली थीं।
किशोर कांग्रेस के लिए भी काम कर चुके हैं
2017 में पंजाब और उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में किशोर ने कांग्रेस के लिए रणनीति तैयार की। हालांकि, उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को महज 7 सीटें मिली थीं। हालांकि, पंजाब में 117 सीटों में से कांग्रेस को 77 सीटों पर जीत मिली और पार्टी ने सरकार बनाई।