श्रीलंका में एक प्रमुख अखबार में प्रकाशित लेख में एक मुस्लिम डॉक्टर पर 4,000 सिंहली बौद्ध महिलाओं की चुपके से नसबंदी करने का आरोप लगा है। समाचार एजेंसी रायटर्स ने श्रीलंकन न्यूजपेपर ‘दिवाईना’ के हवाले से यह जानकारी दी है। दिवाईना को अपने राष्ट्रवादी रुख के लिए जाना जाता है। एजेंसी ने बताया कि 23 मई को मुस्लिम डॉक्टर द्वारा हजारों बौद्ध महिलाओं की नसबंदी करने का दावा करने वाली रिपोर्ट छापी गई। रिपोर्ट में डॉक्टर की पहचान राष्ट्रीय तौहीद जमात के सदस्य के रूप में उसकी व्याख्या की गई। राष्ट्रीय तौहीद जमात उन दो स्थानीय इस्लामिक समूहों में से एक है जिसे ईस्टर रविवार और होटलों में बम धमाकों के लिए दोषी ठहराया गया। इन धमाकों में 250 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी। हालांकि रॉयटर्स ने अपनी रिपोर्ट में साफ किया है कि इस रिपोर्ट के दावे की सत्यता को जांचने के लिए एजेंसी के पास कोई स्वतंत्र सबूत नहीं है।

श्रीलंका के उत्तर-पश्चिमी प्रांत में बौद्ध भीड़ द्वारा मुस्लिमों के घर, दुकानों और मस्जिदों को तबाह करने के सप्ताह बाद यह लेख अखबार में छापा गया। लेख में आरोप लगाया गया कि एक मुस्लिम डॉक्टर बौद्धों की जबरन नसबंदी कर सकता है। बौद्ध बहुमत के कट्टरपंथियों ने मुसलमानों पर अपने प्रभाव को बढ़ाने के लिए उच्च जन्म दर को बढ़ावा देने का आरोप भी लगाया। अखबार में लेख छपने के दो दिन बाद पुलिस ने डॉक्टर सीगू शाहिबदीन मोहम्मद शफी को गिरफ्तार किया। पुलिस ने बताया कि उन पर संदिग्ध धन के साथ संपत्ति हासिल करने का आरोप लगाया गया था। पुलिस इसके अलावा नसबंदी के दावों की भी जांच कर रही है और किसी भी संभावित प्रभावित महिलाओं को आगे आने के लिए कहा है।

मामले में पुलिस प्रवक्ता रुवन गुनसेकेरा रॉयटर्स को बताया कि शफी मनी लॉन्ड्रिंग का चार्ज लगा है। मगर वित्तीय आरोपों या नसबंदी के दावों पर अधिक जानकारी देने से इनकार कर दिया। वहीं शफी के वकील फारिस सालि ने बताया कि जांच त्रुटिपूर्ण थी क्योंकि अधिकारियों ने शफी की गिरफ्तारी के बाद तक नसबंदी के सबूत नहीं मांगे थे। उन्होंने दावा किया कि सभी आरोप निराधार थे। वहीं शफी के परिजनों ने आरोपों को निराधार बताते हुए कहा कि उन्हें फंसाया गया है। शफी की पत्नी फातिमा इमारा ने बताया, ‘उन्हें राजनीतिक कारणों और दुश्मनी के कारण निशाना बनाया जा रहा है। हालांकि मैं पक्के तौर पर नहीं कह सकती कि वो कौन लोग है जो इसके पीछे हैं, मगर यह एक संगठन है।’ फातिमा इमारा (43) भी एक किडनी डॉक्टर हैं जो उसी हॉस्पिटल में कार्यरत हैं।