छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल ने सूबे के सबसे बड़े कानूनी अधिकारी यानी महाधिवक्ता (एडवोटकेट जनरल) कनक तिवारी को पद से हटाकर सतीश वर्मा को नया एजी बनाया है। 78 वर्षीय तिवारी ने इस पर नए एजी की नियुक्ति गैर-कानूनी करार दी है। उन्होंने ‘बार एंड बेंच’ से कहा कि सरकार ने न तो उनसे इस्तीफा मांगा और न ही उन्होंने पद से इस्तीफा दिया। ऐसे में नए एजी की नियुक्ति का कोई मतलब नहीं है। हालांकि, सीएमओ के सूत्रों ने कहा कि तिवारी ने इस्तीफा दिया था, जिसके बाद ही यह नियुक्ति हुई। बहरहाल, तिवारी ने राज्यपाल आनंदीबेन पटेल को चिट्ठी लिख मामले के संबंध में मिलने का वक्त मांगा है।

बतौर तिवारी, चूंकि गवर्नर ने ही उन्हें नियुक्त किया है, लिहाजा वही उन्हें पद से हटा सकती हैं। उन्होंने पत्र में यह भी कहा है कि न तो उन्होंने इस्तीफा दिया है, और न ही गवर्नर ने इस्तीफा मांगा है। राज्यपाल ने मामले को गृह मंत्री अमित शाह के पास भेजा है और उनसे सलाह मांगी है। जानकारों की मानें तो एजी की नियुक्ति या उसे पद से हटाना राज्य सरकार के क्षेत्राधिकार में आता है, लेकिन भूपेश बघेल ने ऐसे करने में थोड़ी जल्दबाजी दिखाई है, जिससे संकट गहराया है। तिवारी ने कहा है कि गवर्नर के यहां से जो भी फैसला आएगा उसे मानेंगे और अदालती चुनौती नहीं देंगे।

बता दें कि पिछले साल दिसंबर में सीएम बनने के बाद भूपेश बघेल ने पहली बड़ी नियुक्ति के तौर पर कनक तिवारी को एडवोकेट जनरल बनाया था लेकिन छह महीने के अंदर ही उन्हें नाटकीय घटनाक्रम में पद से हटा दिया गया। तिवारी को सीएम बघेल का राजनीतिक गुरु भी कहा जाता है। दोनों एक ही जिले के निवासी हैं और दोनों वासुदेव चंद्राकर के शिष्य रहे हैं। बावजूद इसके उनके रिश्तों में इस कदर की तल्खी आ गई। ‘द वायर’ के मुताबिक, दोनों के रिश्तों में खटास की शुरुआत तब हुई, जब महाधिवक्ता के स्तर पर उन आपराधिक मामलों में अदालती कार्रवाई में देरी हुई जो पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह के
करीबियों से जुड़े थे।

दरअसल, सत्ता में आने के बाद सीएम बघेल ने रमन सिंह के दामाद पुनीत गुप्ता, राज्य के डीजीपी मुकेश गुप्ता और रमन सिंह के पूर्व प्रधान सचिव रहे अमन सिंह के खिलाफ एसआईटी का गठन किया था जबकि महाधिवक्ता ने इसका विरोध किया था। अदालती प्रक्रिया की वजह से ये तीनों लोग हाईकोर्ट से जमानत लेने में सफल रहे हैं। रमन सिंह के दामाद पर सरकारी अस्पताल में 50 करोड़ रुपये के फर्जीवाड़े का आरोप है।