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कैप्टन अमरिंदर और जगनमोहन के बाद अब ममता बनर्जी के सारथी बनेंगे प्रशांत किशोर
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: Gaurav Pandey
Updated Thu, 06 Jun 2019 04:48 PM IST
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प्रशांत किशोर (फाइल फोटो)
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चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर उर्फ पीके अब पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस की मुखिया ममता बनर्जी के लिए चुनावी रणनीति तैयार करने का काम करेंगे। जानकारी के अनुसार प्रशांत किशोर आधिकारिक रूप से ममता बनर्जी के साथ काम करना शुरू करेंगे। इससे पहले प्रशांत किशोर पंजाब के सीएम कैप्टन अमरिदर सिंह, आंध्र प्रदेश विधानसभा चुनाव में जगनमोहन रेड्डी, बिहार के सीएम नीतीश कुमार और भाजपा के लिए भी कार्य कर चुके हैं।
Sources: Political Strategist Prashant Kishor to officially start working with West Bengal Chief Minister Mamata Banerjee after one month https://t.co/gcV1EjK3z1
हाल की बात करें तो आंध्र प्रदेश में लोकसभा और विधानसभा, दोनों चुनावों में ही वाईएसआर कांग्रेस के मुखिया जगन मोहन रेड्डी जबरदस्त जीत हासिल की और मुख्यमंत्री बने। इसमें प्रशांत किशोर ने अहम भूमिका निभाई थी। साल 2014 के आम चुनाव में प्रशांत किशोर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए कार्य किया था। तब, थ्री-डी तकनीकी से रैली और चाय पे चर्चा जैसे आकर्षक कार्यक्रम तैयार कर प्रशांत किशोर ने भाजपा के चुनाव प्रचार को एक नये स्तर पर पहुंचा दिया था।
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हालांकि 2014 में जीत के बाद प्रशांत किशोर और भाजपा के बीच दूरी बढ़ने लगी और पीके ने बिहार की ओर रुख कर लिया। साल 2015 में हुए बिहार विधानसभा चुनाव में प्रशांत किशोर ने महागठबंधन के लिए कार्य किया और महागठबंधन की नैया पार लगाने में अहम भूमिका निभाई थी।
इसके बाद पीके जदयू में शामिल हो गए थे, नीतीश ने उन्हें पार्टी राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया था। हालांकि, जब नीतीश कुमार ने महागठबंधन से अलग होकर भाजपा का दामन थामने का फैसला लिया तो प्रशांत ने सार्वजनिक तौर पर नीतीश के इस फैसले पर आपत्ति जताई थी। किशोर ने कहा था कि वह भाजपा के साथ दोबारा गठजोड़ करने के अपनी पार्टी के अध्यक्ष नीतीश कुमार के तरीके से सहमत नहीं हैं। इसके बाद नीतीश और पीके के बीच दूरियां बढ़ती गईं और एक तरीके से पीके को पार्टी ने हाशिये पर रख दिया।
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लोकसभा चुनाव में टीएमसी को पश्चिम बंगाल में भाजपा ने करारा झटका दिया था। साल 2014 के लोकसभा चुनाव में मात्र दो सीटें जीतने वाली भाजपा ने इस बार बनर्जी के किले में सेंध लगाते हुए 18 सीटों पर जीत हासिल की। ऐसे में ममता का सकते में आ जाना स्वाभाविक है। पीके को अपने साथ लाने का उनका फैसला इसी ओर इशारा कर रहा है। हालांकि, मोदी-नीतीश-जगन के लिए चमत्कार कर चुके पीके ममता बनर्जी के लिए कितने फलदायक सिद्ध होंगे यह तो 2021 में होने वाले प. बंगाल के विधानसभा चुनाव के परिणाम ही बताएंगे।
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