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मोदी कैबिनेट 2.0: देखें किसे-किसे मिला केंद्रीय मंत्री का दर्जा

नवभारतटाइम्स.कॉम | 30 May 2019, 11:28 pm
  • मोदी सरकार 2.0: देखें मोदी सरकार में किसे मिला केंद्रीय मंत्री का दर्जा

    मोदी सरकार 2.0: देखें मोदी सरकार में किसे मिला केंद्रीय मंत्री का दर्जा

    लोकसभा चुनावों में प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता में आए भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के नेता के तौर पर नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को लगातार दूसरी बार प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने राष्ट्रपति भवन के प्रांगण में एक भव्य समारोह में मोदी व उनके मंत्रिमंडल के सदस्यों को पद व गोपनीयता की शपथ दिलाई। करीब दो घंटे चले शपथ ग्रहण समारोह में एनडीए की जीत के सूत्रधार रहे बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह और पूर्व विदेश सचिव एस जयशंकर आकर्षण का केंद्र रहे। जानें मोदी सरकार 2.0 के 24 केंद्रीय मंत्रियों के बारे में...

  • नरेंद्र मोदी

    नरेंद्र मोदी

    राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक से लेकर केंद्र की राजनीति में आने वाले नरेंद्र दामोदर दास मोदी ने हर मैदान फ़तह करते हुए गुरुवार को प्रधानमंत्री के तौर पर न केवल अपनी दूसरी पारी का आग़ाज़ किया बल्कि पंडित जवाहरलाल नेहरू और इंदिरा गांधी के बाद पूर्ण बहुमत के साथ लगातार दूसरी बार सत्ता के शिखर पर पहुंचने वाले तीसरे प्रधानमंत्री बन गए । ‘राष्ट्रवाद’ और ‘विकास’ के नारे के साथ अपने करिश्माई व्यक्तित्व से भगवा परचम लहराने वाले मोदी के नेतृत्व में लोकसभा चुनाव में बीजेपी को कई राज्यों में 50 फीसदी से अधिक वोट और 303 सीटें मिलीं जबकि 2014 के आम चुनाव में बीजेपी ने 282 सीटों पर जीत हासिल की थी।

    1988-89 में उन्हें बीजेपी की गुजरात इकाई का महासचिव बनाया गया। लाल कृष्ण आडवाणी की 1990 की सोमनाथ-अयोध्या रथ यात्रा के आयोजन में अहम भूमिका अदा करने के बाद 1995 में मोदी को बीजेपी का राष्ट्रीय सचिव और पांच राज्यों का पार्टी प्रभारी बनाया गया । समय के पाबंद मोदी को 1998 में महासचिव (संगठन) की जिम्मेदारी मिली और इस पद पर वह अक्‍टूबर 2001 तक रहे । 2001 में केशुभाई पटेल को हटा कर मोदी को गुजरात का मुख्यमंत्री बनाया गया और इस पद पर वह लगातार 2014 तक रहे।

  • राजनाथ सिंह

    राजनाथ सिंह

    राजनाथ सिंह ने गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बाद कैबिनेट मंत्री के तौर पर शपथ ली।सिंह 2005 से 2009 तक पार्टी अध्यक्ष रहने के बाद 2013 - 14 में भी बीजेपी अध्यक्ष रहे। उन्हीं के अध्यक्ष रहते पहली बार प्रधानमंत्री पद के लिये नरेंद्र मोदी के नाम पर मुहर लगी थी। संघ के साथ उनके बेहतर रिश्‍ते का अनुमान इस बात से लगाया जा सकता है कि आडवाणी के जिन्‍ना प्रकरण के बाद संघ ने सिंह को ही पार्टी के अध्‍यक्ष की जिम्‍मेदारी सौंपी थी। सिंह 20 अक्‍टूबर 2000 को उत्तर प्रदेश के मुख्‍यमंत्री बने। हालांकि उनका कार्यकाल दो साल से भी कम समय का रहा। इसके बाद केंद्र की अटल बिहारी वाजपेयी नीत एनडीए सरकार में सिंह को भूतल परिवहन और कृषि मंत्री बनाया गया था। उनको पहली बार पार्टी की कमान 2005 से 2009 तक मिली तो दूसरी बार वह इस पद पर 2013 से 2014 तक रहे। सिंह 2009 में गाजियाबाद और 2014 तथा 2019 में लखनऊ से सांसद निर्वाचित हुए। 2014 में जब बीजेपी की सरकार बनी तो उन्हें देश का गृहमंत्री बनाया गया।

  • अमित शाह

    अमित शाह

    शतरंज खेलने, क्रिकेट देखने एवं संगीत में गहरी रुचि रखने वाले बीजेपी के ‘चाणक्य’ अमित शाह ने राज्य दर राज्य बीजेपी की सफलता की गाथा लिखते हुए इस बार लोकसभा में पार्टी के सदस्यों की संख्या 303 करने में महती भूमिका निभाई है। अमित शाह ने गुरूवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मंत्रिमंडल सदस्य के रूप में पद एवं गोपनीयता की शपथ ली।

    2003 से 2010 तक गुजरात सरकार की कैबिनेट में उन्होंने गृह मंत्रालय का जिम्मा संभाला। जब नरेंद्र मोदी राष्ट्रीय राजनीतिक पटल पर आए तो उनके सबसे करीबी माने जाने वाले अमित शाह भी देश में बीजेपी के प्रचार प्रसार में जुट गए। 2019 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने देश में करीब 500 चुनाव समितियों का गठन किया और करीब 7000 नेताओं को तैनात किया।

  • नितिन गडकरी

    नितिन गडकरी

    मुंबई-पुणे हाईवे का निर्माण तय समय में पूरा कर खासी सराहना बटोरने वाले नितिन गडकरी ने नरेंद्र मोदी सरकार के अपने कार्यकाल में इस विशेषता को बरकरार रखते हुए सड़क परिवहन और राजमार्ग, जहाज़रानी मंत्री के तौर पर कई परियोजनाएं समय पर पूरी कीं। नितिन गडकरी ने गुरुवार को नरेंद्र मोदी मंत्रिमंडल में दूसरी बार कैबिनेट मंत्री के तौर पर शपथ ली। महाराष्ट्र के लोकनिर्माण मंत्री के तौर पर विकास कार्यों में वह इस कदर रमे कि उन्हें मुंबई में ढेरों फ्लाईओवर बनाने के कारण 'फ्लाईओवर मैन' कहा जाने लगा।

    अपने शुरूआती दिनों में ही आरएसएस से प्रभावित गडकरी ने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के छात्र नेता के तौर पर राजनीति में कदम रखा और बाद में बीजेपी की युवा शाखा में शामिल हो गए। पेशे से वकील गडकरी जून 1975 में आपातकाल की घोषणा के बाद वकालत का पेशा छोड़ कर राष्ट्र निर्माण में जुट गए। 21 वीं सदी को विकास एवं निर्माण की सदी मानने वाले गडकरी ने कृषि के क्षेत्र में जल प्रबंधन, सौर ऊर्जा और आधुनिकीकरण के प्रयोग से विदर्भ की काया पलट दी।

  • स्मृति इरानी

    स्मृति इरानी

    गांधी परिवार के गढ़ अमेठी से कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को हराकर लोकसभा चुनाव में सबसे बड़ा उलटफेर करने वाली स्मृति इरानी ने राजनीति में अपना कद काफी ऊंचा किया है। कभी छोटे पर्दे की हर दिल अजीज बहू रही स्मृति अब कुशल राजनीतिज्ञ के रूप में पहचान बना चुकी है। चुनाव के ठीक बाद अमेठी में एक कार्यकर्ता की हत्या के बाद उसकी अर्थी को कंधा देकर स्मृति ने एक नयी मिसाल पेश की। पिछली बार लोकसभा चुनाव में हार के बावजूद उन्होंने मानव संसाधन विकास, सूचना और प्रसारण और कपड़ा मंत्रालय जैसे मंत्रालयों का जिम्मा संभाला। स्मृति इरानी ने गुरुवार को दूसरी बार नरेंद्र मोदी मंत्रिमंडल में कैबिनेट मंत्री के रूप में शपथ ली। टीवी की चहेती बहू ‘तुलसी’ अब उस पहचान को पीछे छोड़कर एक मंझी हुई राजनीतिज्ञ के रूप में उभरी है।

  • सदानंद गौड़ा

    सदानंद गौड़ा

    कर्नाटक के उडुपी में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) से जुड़कर छात्र नेता के रूप में राजनीति का ककहरा सीखने वाले डीवी सदानंद गौडा को दूसरी बार मोदी सरकार में केंद्रीय मंत्री के तौर पर शामिल किया गया है। पेशे से वकील रहे गौडा अब चौथी बार संसद पहुंचे हैं। उन्होंने हाल ही में संपन्न लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कृष्णा बायरे गौडा को पराजित किया। कर्नाटक और केरल के सीमावर्ती सुलया कस्बे के मंडेकोलू गांव में 1953 में जन्में वेंकप्पा गौडा ने विज्ञान में स्नातक की उपाधि और फिर वकालत की डिग्री हासिल की।

    1994 में पुत्तुर विधानसभा सीट से निर्वाचित हुये। साल 2004 में उन्होंने कांग्रेस के कद्दावर नेता और पूर्व मुख्यमंत्री वीरप्पा मोइली को मंगलूर लोकसभा सीट से पराजित करके संसद में पहली बार प्रवेश किया। साल 2006 में वह बीजेपी की राज्य इकाई के अध्यक्ष भी बने। यह उनका सांगठनिक कौशल था जिसकी वजह से दक्षिण भारत के राज्य कनार्टक में बीजेपी पहली बार सरकार बनाने में सफल रही। साल 2014 में गौड़ा ने बेंगलुरू उत्तर से लोकसभा चुनाव जीता। उन्हें पहले रेल मंत्रालय सौंपा गया पर छह महीने में ही उनसे यह जिम्मेदारी ले ली गई। इसके बाद उन्होंने न्याय एवं विधि मंत्री के तौर पर डेढ़ वर्ष नवम्बर 2014 से जुलाई 2016 तक कार्य किया। इसके बाद उन्हें सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय का कार्यभार दिया गया। बीजेपी नेता अनंत कुमार के निधन के बाद गौडा को रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार दिया गया।

  • एस. जयशंकर

    एस. जयशंकर

    नरेंद्र मोदी मंत्रिपरिषद में पूर्व विदेश सचिव एस जयशंकर को शामिल किया जाना चौंकाने वाला रहा। अनुभवी राजनयिक जयशंकर चीन और अमेरिका के साथ बातचीत में भारत के प्रतिनिधि थे। देश के प्रमुख सामरिक विश्लेषकों में से एक दिवंगत के. सुब्रमण्यम के पुत्र जयशंकर ऐतिहासिक भारत-अमेरिका परमाणु समझौते के लिए बातचीत करने वाली भारतीय टीम के एक प्रमुख सदस्य थे।

    इस समझौते के लिए 2005 में शुरूआत हुई थी और 2007 में मनमोहन सिंह की अगुवाई वाली यूपीए सरकार ने इस पर हस्ताक्षर किए थे। जनवरी 2015 में जयशंकर को विदेश सचिव नियुक्त किया गया था और सुजाता सिंह को हटाने के सरकार के फैसले के समय को लेकर विभिन्न तबकों ने तीखी प्रतिक्रिया जतायी थी। जयशंकर अमेरिका और चीन में भारत के राजदूत के पदों पर भी काम कर चुके हैं। 1977 बैच के आईएफएस अधिकारी जयशंकर ने लद्दाख के देपसांग और डोकलाम गतिरोध के बाद चीन के साथ संकट को हल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। जयशंकर सिंगापुर में भारत के उच्चायुक्त और चेक गणराज्य में राजदूत पदों पर भी काम कर चुके हैं। 64- वर्षीय जयशंकर जनवरी 2015 से जनवरी 2018 तक विदेश सचिव थे।

  • रविशंकर प्रसाद

    रविशंकर प्रसाद

    अपने प्रखर कानूनी ज्ञान एवं तर्कपूर्ण संवाद के जरिये राजनीति में अपनी विशिष्ट स्थान बनाने वाले रविशंकर प्रसाद नरेंद्र मोदी सरकार ही नहीं अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में भी केन्द्रीय मंत्री रह चुके हैं। हाल ही में संपन्न लोकसभा चुनाव में बिहार की पटना साहिब संसदीय सीट पर 61.8 फीसदी मत हासिल कर भाजपा की विजय पताका फहराने वाले रविशंकर प्रसाद ने मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में 26 मई 2014 को संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री के रूप में नियुक्त होने के बाद से भारत के दूरसंचार क्षेत्र को पुनर्जीवित करने में अहम भूमिका निभाई।

    जनवरी 2003 में उन्हें तत्कालीन एनडीए सरकार में केन्द्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री के पद पर रहते हुए भारत में केबल टेलीविजन संबंधी सुधारों के साथ साथ देश में डिजिटल टीवी युग की शुरुआत की। भारत में डायरेक्ट टू होम (डीटीएच) सेटेलाइट प्रसारण सेवाओं को शुरू करने का श्रेय उन्हें ही जाता है।

  • थावरचंद गहलोत

    थावरचंद गहलोत

    मध्यप्रदेश में बीजेपी के अनुसूचित जाति के जाने-पहचाने चेहरे, पार्टी के पुराने वफादार और आरएसएस के कार्यकर्ता 71 वर्षीय थावरचंद गहलोत को लगातार दूसरी बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मंत्रिमंडल में स्थान मिला है। 2014 में उन्हें कैबिनेट मंत्री के तौर पर सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय का जिम्मा सौंपा गया था। इस दौरान गहलोत ने समाज के वंचित वर्ग और निशक्तजनों को सशक्त करने का कार्य किया और इनके कल्याण के लिये कई योजनाएं संचालित की। गहलोत का जन्म 18 मई 1948 को उज्जैन जिले की नागदा तहसील के रुपेटा गांव में हुआ। वह मध्यप्रदेश से वर्ष 2012 से राज्यसभा के सांसद हैं। गहलोत 1996 से 2004 तक चार बार शाजापुर लोकसभा क्षेत्र (वर्तमान में देवास लोकसभा क्षेत्र) से विजयी रहे हैं।

  • रमेश पोखरियाल निशंक

    रमेश पोखरियाल निशंक

    हरिद्वार से लगातार दूसरी बार लोकसभा सांसद चुने जाने के बाद आज नरेंद्र मोदी मंत्रिमंडल में बतौर कैबिनेट मंत्री शामिल किए गए रमेश पोखरियाल निशंक अविभाजित उत्तर प्रदेश के समय से ही राजनीति का एक जाना—पहचाना नाम रहे हैं। पत्रकारिता से राजनीति में कदम रखने वाले निशंक जून, 2009 में उत्तराखंड का मुख्यमंत्री बनने से पहले ही उत्तर प्रदेश में लगातार तीन विधानसभा चुनाव जीतकर विधायक बन चुके थे और उन्होंने वहां पर्वतीय विकास मंत्री का पद भी संभाला था। उत्तराखंड के पौडी जिले में पिनानी गांव में जन्मे साठ वर्षीय निशंक को लेखन का शौक है और उनकी कहानियों और कविताओं की कई पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं तथा देश—विदेश में कई पुस्तकालयों में शामिल हैं।

  • राम विलास पासवान

    राम विलास पासवान

    राजनीतिक माहौल को भांप लेने की काबिलियत रखने वाले लोकजनशक्ति पार्टी के प्रमुख रामविलास पासवान के नाम छह प्रधानमंत्रियों की कैबिनेट में मंत्री के तौर पर काम करने की अनूठी उपलब्धि जुड़ी है। पासवान ने गुरुवार को कैबिनेट मंत्री के तौर पर शपथ ली। पासवान (72) के राजनीतिक सफर की शुरूआत 1960 के दशक में बिहार विधानसभा के सदस्य के तौर पर हुई और आपातकाल के बाद 1977 के लोकसभा चुनावों से वह तब सुर्खियों में आए, जब उन्होंने हाजीपुर सीट पर चार लाख मतों के रिकार्ड अंतर से जीत हासिल की। 1989 में जीत के बाद वह वी पी सिंह की कैबिनेट में पहली बार शामिल किए गए और उन्हें श्रम मंत्री बनाया गया। एक दशक के भीतर ही वह एच डी देवगौडा और आई के गुजराल की सरकारों में रेल मंत्री बने।

    1990 के दशक में जिस ‘जनता दल’ धड़े से पासवान जुड़े थे, उसने बीजेपी की अगुवाई वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) का साथ दिया और वह संचार मंत्री बनाए गए और बाद में अटल बिहारी बाजपेयी के नेतृत्व वाली सरकार में वह कोयला मंत्री बने। बाबू जगजीवन राम के बाद बिहार में दलित नेता के तौर पर पहचान बनाने के लिए उन्होंने आगे चलकर अपनी लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) की स्थापना की। 2014 के लोकसभा चुनाव के पहले बीजेपी ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के जेडीयू के अपने पाले में नहीं रहने पर पासवान का खुले दिल से स्वागत किया और बिहार में उन्हें लड़ने के लिए सात सीटें दी। एलजेपी छह सीटों पर जीत गई। पासवान, उनके बेटे चिराग और भाई रामचंद्र को भी जीत मिली थी। नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में खाद्य, जनवितरण और उपभोक्ता मामलों के मंत्री के रूप में काम किया

  • प्रकाश जावड़ेकर

    प्रकाश जावड़ेकर

    छात्र राजनीति से मानव संसाधन विकास मंत्रालय तक के सफर में प्रकाश जावड़ेकर की छवि कर्मठ और जमीन से जुड़े नेता की रही है । पिछली नरेंद्र मोदी सरकार में मानव संसाधन मंत्रालय जैसा महत्वपूर्ण प्रभार संभालने वाले राज्यसभा सदस्य जावडे़कर को इस बार भी कैबिनेट मंत्री के तौर पर शपथ दिलाई गई है। मोदी सरकार में 2016 में मानव संसाधन विकास मंत्रालय संभालने वाले प्रकाश जावड़ेकर छात्र जीवन से ही भाजपा से जुड़े रहे हैं। केन्द्रीय मंत्री बनने से पहले वह भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता रहे। पुणे में पत्रकार पिता और शिक्षिका माता के घर जन्मे जावड़ेकर अपने स्कूली जीवन में ही राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़े। सरकारी स्कूलों से शिक्षा पाने वाले जावड़ेकर 1969 में पुणे के एमईएस कॉलेज ऑफ कामर्स से स्नातक की पढ़ाई के दौरान अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् (एबीवीपी) से जुड़े

  • प्रह्लाद जोशी

    प्रह्लाद जोशी

    राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के कट्टर समर्थक और लंबे समय से भारतीय जनता पार्टी के लिए काम कर रहे प्रह्लाद जोशी ने भगवा दल के गढ़ कहे जाने वाले धारवाड़ इलाके से चौथी बार जीत हासिल की। बीजेपी की कर्नाटक इकाई के प्रदेशाध्यक्ष जोशी उस समय चर्चा में आये थे जब पार्टी ने हुबली के ईदगाह मैदान में तिरंगा फहराने को लेकर आंदोलन चलाया था। उन्हें 1990 की शुरूआत में ‘कश्मीर बचाओ’ आंदोलन से भी खासी पहचान मिली। जोशी ने हाल ही में संपन्न धारवाड़ लोकसभा सीट पर 2,05,072 मतों के अंतर से जीत हासिल की। उन्होने पहली बार 2004 में संसदीय चुनाव जीता और उसके बाद 2009, 2014 और 2019 में लगातार चुनाव जीतने में सफल रहे। वह बीजेपी की कर्नाटक इकाई के महासचिव रहे और फिर 2013 में वह प्रदेशाध्यक्ष बने।

  • पीयूष गोयल

    पीयूष गोयल

    शानदार शैक्षणिक योग्यता के साथ राजनीति के क्षेत्र में उतरे पीयूष गोयल ने मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में कई चुनौतीपूर्ण मंत्रालय संभालते हुए अपने बेहतरीन काम के दम पर अलग पहचान बनाई और राज्य मंत्री से कैबिनेट तक का सफर तय किया। पीयूष गोयल ने गुरुवार को मोदी मंत्रिमंडल में दूसरी बार कैबिनेट मंत्री के तौर पर शपथ ली। राज्यसभा सदस्य पीयूष गोयल ने रेल और कोयला समेत कई चुनौतीपूर्ण मंत्रालयों की कमान संभाली। दरअसल गोयल ने जेटली की अनुपस्थिति में 14 मई 2018 से 22 अगस्त 2018 और 23 जनवरी 2019 से 14 फरवरी 2019 तक वित्त मंत्रालय की भी कमान संभाली थी और इस दौरान लोकलुभावन अंतरिम बजट भी पेश किया था। 13 जून 1964 को मुंबई में जन्मे पीयूष एक राजनीतिक परिवार से ताल्लुक रखते हैं।

    1984 में बीजेपी में शामिल हुए और उन्होंने भी पार्टी के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष की भूमिका निभाई। उन्होंने भारतीय स्टेट बैंक और बैंक ऑफ बड़ौदा के बोर्ड में सरकारी उम्मीदवार के तौर पर भी सेवाएं दीं। बीजेपी ने साल 2014 के चुनाव के दौरान गोयल को पार्टी के विज्ञापन और सोशल मीडिया प्रचार की जिम्मेदारी दी थी जिसे उन्होंने बखूबी निभाया। गोयल जुलाई 2010 में पहली बार और जुलाई 2016 में दूसरी बार राज्यसभा सांसद बने। पीयूष गोयल ने वर्ष 2014 में मोदी सरकार बनने पर 2017 तक बिजली, कोयला, नव एवं नवीकरणीय ऊर्जा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) के तौर पर जिम्मेदारी निभाई। उन्होंने 2016 से 2017 तक खनन मंत्रालय भी संभाला।

  • निर्मला सीतारमण

    निर्मला सीतारमण

    निर्मला सीतारमण पिछली सरकार में रक्षा मंत्री थी और वे राज्यसभा सदस्य हैं। निर्मला ने 2008 में राजनीति में एंट्री ली और बीजेपी जॉइन की। इसके दो साल बाद ही वह बीजेपी प्रवक्ता बन चुकी थीं। इसके बाद 26 मई 2014 में मोदी सरकार में उन्हें राज्य मंत्री का पद सौंपा गया। फिर 3 दिसंबर 2017 को हुए कैबिनेट बदलाव में उन्हें रक्षा मंत्री बनाया गया।

    पिछली सरकार में रक्षा मंत्री बनते ही निर्मला सीतारमण ने एक रेकॉर्ड अपने नाम कर लिया था। वह रेकॉर्ड था देश की दूसरी महिला रक्षा मंत्री बनने का। निर्मला से पहले सिर्फ इंदिरा गांधी ने अपनी सरकार में यह चार्ज लिया था।

  • नरेंद्र सिंह तोमर

    नरेंद्र सिंह तोमर

    मध्यप्रदेश में बीजेपी के प्रमुख नेता नरेंद्र सिंह तोमर को गुरूवार को केन्द्रीय मंत्रिमंडल में लगातार दूसरी दफा शामिल किया गया है। वर्ष 2014 में ग्वालियर से लोकसभा चुनाव जीतने के बाद तोमर ने केन्द्र की राजनीति में लम्बा रास्ता तय कर लिया है। ग्वालियर के मुरार में 12 जून 1957 को जन्मे 62 वर्षीय तोमर ने 1980 में बीजेपी की युवा इकाई भारतीय जनता युवा मोर्चा के शहर अध्यक्ष के पद से अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की। इसके बाद वह 1983 से 87 तक पार्षद रहे और 1998-2008 तक विधायक तथा 2003-2007 तक प्रदेश की बीजेपी सरकार में मंत्री पद पर रहे। इसके बाद उन्हें प्रदेश बीजेपी का अध्यक्ष बनाया गया।

    राज्यसभा सांसद के बाद तोमर 2009 में मुरैना लोकसभा सीट से सांसद निर्वाचित हुए। इसके बाद वर्ष 2014 में वह ग्वालियर लोकसभा सीट से सांसद बने और केन्द्र सरकार में कैबिनेट स्तर के मंत्री बनाये गये। उन्होंने कैबिनेट मंत्री के तौर पर खनन, इस्पात, श्रम, रोजगार और ग्रामीण विकास एवं पंचायत राज जैसे मंत्रालयों का दायित्व संभाला। वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में उन्हें मुरैना स्थानांतरित कर दिया गया और यहां तोमर ने 1.13 लाख मतों के अंतर से विजय हासिल की। मध्यप्रदेश में तोमर को बीजेपी का वरिष्ठ नेता माना जाता है।

  • मुख्तार अब्बास नकवी

    मुख्तार अब्बास नकवी


    भारतीय जनता पार्टी का अल्पसंख्यक चेहरा कहलाने वाले मुख्तार अब्बास नकवी ने गुरुवार को दूसरी बार नरेंद्र मोदी सरकार में केंद्रीय मंत्री के तौर पर शपथ ली। इस बार नकवी को कैबिनेट मंत्री के तौर पर शामिल किया गया है। बीजेपी उम्मीदवार के रूप में अब तक दो विधानसभा (1991, 1993) एवं तीन लोकसभा (1998, 1999, 2009) चुनाव लड़ चुके नकवी 1998 में उत्तर प्रदेश की रामपुर संसदीय सीट से बीजेपी के पहले मुस्लिम लोकसभा सदस्य निर्वाचित हुए। वह 2002, 2010, 2016 में राज्यसभा सदस्य चुने गए। 1998 में तत्कालीन अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में सूचना प्रसारण एवं संसदीय कार्य राज्यमंत्री रहे नकवी के कार्यकाल में 'डायरेक्ट टू होम' प्रसारण व्यवस्था एवं भारतीय फिल्म क्षेत्र को उद्योग का अधिकृत दर्जा देने जैसे अहम फैसले किये गये। मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में उन्हें संसदीय कार्य एवं अल्पसंख्यक कार्य राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) मिला।

  • महेंद्र नाथ पांडेय

    महेंद्र नाथ पांडेय

    उत्तर प्रदेश बीजेपी के अध्यक्ष महेन्द्र नाथ पाण्डेय की अगुवाई में राज्य की 64 सीटों पर बीजेपी और सहयोगी दलों की शानदार जीत का तोहफा केन्द्रीय मंत्रिपरिषद में कैबिनेट मंत्री के रूप में उन्हें शामिल कर दिया गया। उत्तर प्रदेश की चंदौली लोकसभा सीट का प्रतिनिधित्व करने वाले प्रदेश भाजपा अध्यक्ष महेन्द्र नाथ पाण्डेय ने वाराणसी के बीएचयू से शिक्षा ग्रहण की है और उन्होंने पत्रकारिता से स्नातकोत्तर और हिन्दी से पीएचडी भी किया है।

    पेशे से किसान पाण्डेय 1991-1992 और 1996-2002 में उत्तर प्रदेश विधानसभा के सदस्य रहे। 1997 में वह उत्तर प्रदेश सरकार में आवास एवं शहरी विकास राज्य मंत्री बने। इसके बाद 1998 से 2000 के बीच वह प्रदेश के योजना विभाग में मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) रहे। 2000 से 2002 के बीच वह पंचायती राज मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) बने। मई 2014 में वह सोलहवीं लोकसभा के लिए चुने गये । पाण्डेय ग्रामीण विकास की संसदीय स्थायी समिति के सदस्य रहे। कार्य मंत्रणा समिति के अलावा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण की स्थायी समिति के सदस्य रहे। वह पांच जुलाई 2016 से दो सितंबर 2017 के बीच केन्द्रीय मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री भी रहे।

  • हरसिमरत कौर बादल

    हरसिमरत कौर बादल

    राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार में खाद्य प्रसंस्करण मंत्री के तौर पर अपने उर्जावान तेवरों के लिये जानी जाने वाली शिरोमणि अकाली दल की हरसिमरत कौर बादल ने गुरुवार को राष्ट्रपति भवन में केंद्रीय कैबिनेट मंत्री के तौर पर शपथ ली। नई दिल्ली में जन्मी हरसिमरत का विवाह सुखबीर सिंह बादल से हुआ है जो पार्टी अध्यक्ष हैं और पंजाब के पूर्व उप मुख्यमंत्री भी। उनके ससुर प्रकाश सिंह बादल चार बार प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे हैं। वह दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक हैं और टेक्सटाइल टेक्नोलॉजी में डिप्लोमा धारक हैं।

    कन्या भ्रूण हत्या के खिलाफ 2008 में गैर सरकारी संगठन 'नन्हीं छांव' शुरू कर अपने प्रयासों के लिये कौर पहली बार सुर्खियों में आईं। उन्होंने इसके अगले साल ही अपनी राजनीतिक पारी का आगाज किया और बठिंडा से मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह के बेटे रनिंदर सिंह के खिलाफ चुनाव लड़ा और 1.2 लाख मतों से जीत हासिल की।

  • डॉ. हर्षवर्धन

    डॉ. हर्षवर्धन

    विनम्रता भरा सहज व्यवहार और सादगीपूर्ण व्यक्तित्व नयी दिल्ली की चांदनी चौक लोकसभा सीट से चुनाव जीतने वाले डॉ हर्षवर्द्धन की पहचान है। उन्हें दिल्ली सरकार के साथ केन्द्र सरकार में दोबारा कैबिनेट मंत्री बनने का अवसर मिला है। केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री के तौर पर हर्षवर्द्धन ने साइबर सुरक्षा और साइबर सुरक्षा के बुनियादी ढांचे पर जोर दिया। साल 1993 से अपनी राजनीतिक पारी शुरू करने वाले हर्षवर्द्धन पहली बार पूर्वी दिल्ली की कृष्णानगर विधानसभा सीट से निर्वाचित हुए और इसके बाद लगातार चार बार इस सीट से उन्होंने जीत दर्ज की। आरएसएस के साथ हर्षवर्द्धन के रिश्ते बहुत ही मधुर हैं और उनके करीबी आज भी उन्हें स्वयंसेवक कहते हैं।

    हर्षवर्द्धन का जन्म 13 दिसंबर 1954 को हुआ और उन्होंने मध्य दिल्ली के दरियागंज स्थित एंग्लो संस्कृत विक्टोरिया जुबली सीनियर सेकंडरी स्कूल से शिक्षा हासिल की। फिर उन्होंने कानपुर के जीएसवीएम मेडिकल कालेज से एमबीबीएस और ईएनटी में विशेषज्ञता की डिग्री ली। दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री के तौर पर पोलियो उन्मूलन कार्यक्रम के अलावा यहां धूम्रपान निषेध तथा स्वास्थ्य संरक्षण विधेयक लाने का श्रेय उन्हें है।

  • गिरिराज सिंह चौहान

    गिरिराज सिंह चौहान

    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विश्वस्त गिरिराज सिंह के राजनीतिक करियर में पिछले एक दशक में बेहद नाटकीय ढंग से उछाल आया है। मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे तभी से सिंह उनके करीबी रहे हैं। 66 वर्षीय सिंह ने इस बार लोकसभा चुनाव में बेगूसराय से सीपीआई उम्मीदवार कन्हैया कुमार को चार लाख से ज्यादा मतों के अंतर से हराया। 2002 में वह बिहार विधान परिषद के सदस्य निर्वाचित हुए और तीन साल के बाद नीतीश कुमार के मंत्रिमंडल में शामिल किये गए। बीजेपी द्वारा नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाये जाने के बाद नीतीश कुमार अलग हुए तो सिंह को भी सरकार में मंत्री पद छोड़ना पड़ा।

    2014 में वह बीजेपी के टिकट पर नवादा से चुनाव लड़े और जीत भी गए। मोदी के 2014 में सत्ता संभालने के छह महीने बाद मंत्रिमंडल विस्तार में सिंह को भी जगह दी गई। उन्हें सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम राज्य मंत्री बनाया गया।

  • गजेंद्र सिंह शेखावत

    गजेंद्र सिंह शेखावत

    जोधपुर लोकसभा सीट पर राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बेटे वैभव गहलोत को मात देने वाले गजेंद्र सिंह शेखावत को मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में भी मंत्री पद मिला है। वह मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में भी मंत्री रह चुके हैं। साल 2014 में पहली बार जोधपुर से लोकसभा के लिए चुने गए शेखावत को सितंबर 2017 में कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री बनाया गया था।

    गुरूवार को उन्हें तरक्की देकर कैबिनेट मंत्री बनाया गया। सांसद के तौर पर शेखावत को जोधपुर सिटी के नागरिक हवाई अड्डे के विकास और वहां के एम्स के विस्तार का श्रेय जाता है। शेखावत (51) ने जोधपुर में अशोक गहलोत के बेटे वैभव को 2.7 लाख से ज्यादा वोटों से हराया है। इस सीट पर खुद गहलोत पांच बार सांसद रह चुके हैं। शेखावत के बोलने की शैली की काफी तारीफ की जाती है और वह अपने संसदीय क्षेत्र में काफी लोकप्रिय हैं। उन्हें उनके क्षेत्र में अक्सर ‘गज्जू बन्ना’ कहा जाता है।

  • धर्मेंद्र प्रधान

    धर्मेंद्र प्रधान

    करीब दो दशक पहले जब धर्मेन्द्र प्रधान पहली बार ओड़िशा में विधायक का चुनाव लड़ रहे थे तब उन्हें बहुत कम लोग जानते थे। उस समय ओडिशा के मुख्य मंत्री नवीन पटनायक भाजपा के सहयोगी दल का नेता होते हुए भी प्रधान को अपने लिए संभावित चुनौती के रूप में भांप लिया था। वह खतरा संभवत: 2019 में साकार होता दिखा है जब धर्मेन्द्र प्रधान ने ओडिशा में पटनायक के गढ़ में बीजेपी के पैर जमाने में अहम भूमिका निभाई है। पूर्व केन्द्रीय भूतल परिवहन राज्य मंत्री देबेन्द्र प्रधान के पुत्र धर्मेन्द्र प्रधान ने मोदी सरकार की घरेलू रसोई गैस उपलब्ध कराने की सबसे बड़ी सामाजिक पहल-उज्ज्वला को आगे बढ़ाया। मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में गरीब महिलाओं को रसोई गैस का कनेक्शन निशुल्क उपलब्ध कराया गया। इस योजना के जरिये भारतीय जनता पार्टी को ग्रामीण क्षेत्र में अपना आधार मजबूत करने में काफी मदद मिली

  • अरविंद सावंत

    अरविंद सावंत

    उत्तरी महाराष्ट्र के धुले में पार्टी के संगठन को खड़ा करने से लेकर हाई-प्रोफाइल मुंबई दक्षिण सीट पर जीत दर्ज करने तक के इस लम्बे सफर के बाद शिवसेना के सांसद अरविंद सावंत प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की कैबिनेट में जगह पाने में सफल हो गये। पार्टी कार्यकर्ताओं और लोगों तक अपनी पहुंच बनाने के रूप में जाने जाने वाले 68 वर्षीय सावंत ने इस बार के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के मिलिंद देवड़ा को एक लाख से अधिक मतों से पराजित कर दिया। वह पार्टी के शुरूआती वर्षों से ही शिवसेना के साथ जुड़े हुए हैं। पार्टी में इस समय उपनेता सावंत ने 1968 में एक ‘गट प्रमुख’ के रूप में शुरूआत की थी।

  • अर्जुन मुंडा

    अर्जुन मुंडा

    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूसरे कार्यकाल वाली सरकार में कैबिनेट मंत्री बनाए गए अर्जुन मुंडा न सिर्फ अपने गृह राज्य झारखंड में, बल्कि पड़ोसी राज्य बिहार, ओडिशा और छत्तीसगढ़ में भी एक प्रमुख आदिवासी चेहरा हैं। वह केंद्र में पहली बार मंत्री बनाए गए हैं। झारखंड के तीन बार मुख्यमंत्री रह चुके 51 वर्षीय मुंडा ने लोकसभा चुनाव में खूंटी (सुरक्षित) सीट पर कांग्रेस के कालीचरण मुंडा को 1,445 वोटों के अंतर से हराया। उन्होंने इस चुनाव में बीजेपी के लिए ओडिशा और छत्तीसगढ़ में भी चुनाव प्रचार किया। वह मार्च 2003 में पहली बार झारखंड के मुख्यमंत्री बने थे। हालांकि, राज्य में 2006 में निर्दलीय विधायक मधु कोड़ा ने, जबकि 2013 में झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) ने समर्थन वापस लेकर उनकी सरकार गिरा दी थी। मुंडा भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव भी रह चुके हैं। अलग झारखंड राज्य के लिए आंदोलन के दौरान जेएमएम के साथ अपना राजनीतिक करियर शुरू करने वाले मुंडा 1995 में पहली बार अविभाजित बिहार में विधायक चुने गए थे।