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मेनका गांधी बन सकती हैं प्रोटेम स्पीकर, एसएस अहलूवालिया भी वरिष्ठतम सांसदों में शामिल

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मेनका गांधी बन सकती हैं प्रोटेम स्पीकर, एसएस अहलूवालिया भी वरिष्ठतम सांसदों में शामिल

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मेनका गांधी 17वीं लोकसभा के लिए प्रोटेम स्पीकर (अस्थायी अध्यक्ष) नियुक्त की जा सकती हैं. आठ बार की सांसद मेनका को यह मह ...अधिक पढ़ें

    लोकसभा चुनाव 2019 में भारी बहुमत के साथ जीत के बाद भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने दोबारा सत्ता में वापसी की है. बीजेपी की अगुआई वाली एनडीए सरकार का गुरुवार शाम को शपथ ग्रहण समारोह भी हुआ. इसी बीच पीटीआई के हवाले से खबर आई है कि मेनका गांधी 17वीं लोकसभा के लिए प्रोटेम स्पीकर (अस्थायी अध्यक्ष) नियुक्त की जा सकती हैं. आठ बार की सांसद मेनका को यह महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी जा सकती है. इस बार वह उत्तर प्रदेश की सुल्तानपुर लोकसभा सीट से निर्वाचित हुई हैं. मेनका इससे पहले मोदी सरकार में महिला एवं बाल विकास मंत्री थीं. लोकसभा का प्रोटेम स्पीकर सदन के नवनिर्वाचित सदस्यों को शपथ दिलाता है.

    दरअसल, एक या दो दिन के लिए प्रोटेम स्पीकर की नियुक्ति की जाती है. आमतौर पर सबसे वरिष्ठ सांसद की इस पद पर नियुक्ति होती है. फिलहाल संतोष गंगवार, मेनका गांधी और एसएस अहलूवालिया सबसे वरिष्ठ सांसदों में से हैं. संतोष गंगवार ने मंत्री पद की शपथ ले ली है. ऐसे में वह इस पद पर नियुक्त नहीं किए जाएंगे.

    क्यों नियुक्त किया जाता है प्रोटेम स्पीकर?
    प्रोटेम स्पीकर, चुनाव के बाद पहले सत्र में स्थायी अध्यक्ष या उपाध्यक्ष के चुने जाने तक संसद का कामकाज स्पीकर के तौर पर चलाता है यानी संसद का संचालन करता है. यह पद बेहद कम समय के लिए होता है. अभी तक ज्यादातर मामलों में परंपरा रही है कि सदन के वरिष्ठतम सदस्यों में से किसी को यह जिम्मेदारी दी जाती है. प्रोटेम स्पीकर तभी तक अपने पद पर रहते हैं जब तक सदन के स्थायी अध्यक्ष का चयन न हो जाए.

    हालांकि केवल चुनावों के बाद ही प्रोटेम स्पीकर की जरूरत नहीं होती, बल्कि हर उस परिस्थिति में प्रोटेम स्पीकर की जरूरत पड़ती है जब संसद में अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का पद एक साथ खाली हो. यह उनकी मृत्यु की स्थिति के अलावा दोनों के साथ इस्तीफा देने की परिस्थितियों में हो सकता है.

    क्या होती हैं प्रोटेम स्पीकर की शक्तियां?
    संविधान में प्रोटेम स्पीकर की शक्तियों का जिक्र नहीं किया गया है. प्रोटेम शब्द की बात करें तो यह लैटिन शब्द प्रो टैम्पोर का संक्षिप्त रूप है. जिसका मतलब होता है- कुछ समय के लिए. प्रोटेम स्पीकर की नियुक्ति राष्ट्रपति करता है.

    प्रोटेम स्पीकर ही नवनिर्वाचित सांसदों को शपथ ग्रहण कराता है. इस कार्यक्रम की देखरेख का जिम्मा उसी का होता है. सदन में जब तक नवनिर्वाचित सांसद शपथ ग्रहण नहीं कर लेते तब तक वे औपचारिक तौर पर सदन का हिस्सा नहीं होते हैं. इसलिए पहले सांसदों को शपथ दिलाई जाती है, जिसके बाद वे अपने बीच से अध्यक्ष का चयन करते हैं.

    प्रोटेम स्पीकर वैसे किसी गलत प्रैक्टिस के जरिये वोट करने पर किसी सांसद के वोट को डिसक्वालिफाई कर सकता है. इसके अलावा वोटों के टाई होने की स्थिति में वह अपने मत का इस्तेमाल फैसले के लिए कर सकता है.

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    Tags: BJP, Lok Sabha Election 2019, Maneka gandhi, Modi government, Sultanpur news