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जानिए मोदी सरकार की शपथ के बाद कितनी लजीज रही राष्ट्रपति भवन की दावत

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जानिए मोदी सरकार की शपथ के बाद कितनी लजीज रही राष्ट्रपति भवन की दावत

राष्ट्रपति भवन की किचन द्वारा मोदी सरकार की शपथ ग्रहण समारोह के लिए तैयार लजीज समोसों के साथ हाई टी.
राष्ट्रपति भवन की किचन द्वारा मोदी सरकार की शपथ ग्रहण समारोह के लिए तैयार लजीज समोसों के साथ हाई टी.

राष्ट्रपति भवन में बड़े भोज आयोजन के लिए 48 घंटे पहले योजनाबद्ध तरीके से तैयारी शुरू की जाती है

    राष्ट्रपति भवन में मोदी सरकार के शपथग्रहण समारोह में करीब 8000 मेहमान इकट्ठा हुए. इसके बाद वहां लजीज डिनर वेज, नॉन वेज भोजन, दाल रायसीना, राजभोग और कई किस्म के व्यंजनों के कहने ही क्या. कहा जाता है कि राष्ट्रपति में लिये गए लंच या डिनर या हाई टी का स्वाद ही निराला होता है. यहां के कई व्यंजन तो खासे हिट रहे हैं.

    मोदी सरकार के शपथग्रहण के बाद खासतौर पर दरबार हाल के सामने जिस मैदान में डिनर का इंतजाम किया गया था, वहां राष्ट्पति भवन हमेशा ही बड़े भोज समारोहों की आगवानी करता रहा है. शाम सात बजे जब सभी अतिथियों और नव निर्वाचित सांसदों को हाईटी में चाय और यहां के फेमस समोसे दिए गए तो इसे वाह वाह करने वालों की कमी नहीं थी.

    क्या आप जानते हैं कि राष्ट्रपति भवन में जब भी भोज दिया जाता है तो इसकी व्यवस्था कोई और नहीं बल्कि राष्ट्रपति हाउस की किचन टीम ही करती है. ये भवन अक्सर कार्यक्रमों और भोज का गवाह बनता है. यहां दो किचन हैं-एक राष्ट्रपति का निजी किचन और दूसरा राष्ट्रपति भवन में आयोजित होने वाले कार्यक्रमों में खानपान की जिम्मेदारी निभाने वाला किचन.

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    राष्ट्रपति हाउस में दो किचन
    पहला किचन छोटा है तो दूसरा किचन काफी बड़ा-जो आकार प्रकार और स्टाफ की क्षमता के हिसाब से पांच सितारा होटलों के किचन को भी मात करता है.

    बड़ा किचन आधुनिक सुविधाओं से युक्त है. इस किचन का प्रमुख एग्जीक्यूटिव शेफ होता है. वो 45 से 50 लोगों की किचन टीम को लीड करता है. बड़े किचन के कई सेक्शन हैं, जिसमें मुख्य किचन, बेकर्स, हलवाई, कांटिनेटल और ट्रेनिंग एरिया शामिल हैं.

    राष्ट्रपति भवन में भोज समारोह की तैयारी (फाइल फोटो)


    ये पूरी तरह वातानुकूलित, आधुनिक उपकरणों से युक्त है. इसकी सफाई के लिए भी एक खास टीम है, जो हाईजीन उच्च मानदंडों के अनुसार किचन को हमेशा साफ रखती है. यही किचन राष्ट्रपति भवन के सभी आधिकारिक समारोहों, मीटिंग्स, वैंकेट्स, रिसेप्शन, कांफ्रेंस में खानपान का आयोजन करता है.

    समोसे और कचौड़ियों की बात ही खास
    राष्ट्रपति भवन के रसोइये तरह तरह के व्यंजनों के उस्ताद हैं. बेकरी सेक्शन अगर केक, ब्रेड्स, पिज्जा, डोनट्स, पेस्ट्री आदि का विशेषज्ञ है तो भारतीय मिठाइयों का सेक्शन जलेबी, गुलाबजामुन, इमरती, बंगाली मिठाइयां आदि बनाता है.

    जिन लोगों ने राष्ट्रपति भवन के समारोहों में शिरकत की है, वो बताते हैं कि यहां के समोसे, ढोकले और कचौड़ियों का स्वाद ही अलग होता है, जो यहां आने वालों को बहुत अच्छा लगता है.अवधी व्यंजनों का भी बोलबालामुर्ग दरबारी, गोश्त थाखनी, दाल रायसीना, कोफ्ता, आलु बुखारा कुछ ऐसे व्यंजन हैं, जिसमें यहां की किचन देश के किसी पांच सितारा होटल की पाककला को भी मात देती है.

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    यहां अवधी व्यंजनों का भी बोलबाला रहता है.ये सभी व्यंजन अलग अलग कार्यक्रमों और उनकी प्रकृति, आने मेहमानों की प्रकृति, उनके खान पान के तरीकों और पंसद के हिसाब से तैयार किए जाते हैं. जिस देश के मेहमान आ रहे होते हैं, वहां के व्यंजनों को भी भारतीय और कांटिनेंटल व्यंजनों के साथ परोसने की कोशिश की जाती है, यहां ये सिलसिला तब से ही चल रहा है, जब 1929 में ये बनकर तैयार हुआ और यहां वायसराय रहने आए.

    राष्ट्रपति भवन की शेफ टीम (फाइल फोटो)


    80 के दशक में किचन आधुनिक होनी शुरू हुई
    आजादी के बाद भारत के पहले भारत के गवर्नर जनरल सी राजगोपालाचार्य मेहमानों की शानदार आगवानी की परंपरा को और आगे बढाया. लेकिन तब तक यहां का किचन अंग्रेजी स्टाइल का बना हुआ था. जैसे जैसे यहां भारत के राष्ट्रपतियों ने अपनी जगह ली, उन्होंने इसकी पाकशाला में अपनी पसंद और नापसंद के अनुसार व्यंजनों की लिस्ट में फेरबदल किया.

    80 के दशक में यहां किचन पूरी तरह आधुनिक होना शुरू हुआ. नब्बे के दशक में ये पांच सितारा होटलों के किचन को मात देने लगा. ये कहा जा सकता है कि आज इसका जो स्वरूप है, उसमें ये दुनिया के किसी भी बेहतरीन होटल के किचन को कंपटीशन दे सकता है.

    खानपान की विशेष शैली 
    दशकों में राष्ट्रपति भवन के किचन विभाग ने लोगों के विशिष्ट स्वागत और खाना परोसने की विशिष्ट शैली भी विकसित कर ली.निजी पारिवारिक किचन भी राष्ट्रपति भवन में ही एक राष्ट्रपति का निजी पारिवारिक किचन भी है, जिसमें राष्ट्रपति, उनके परिवार और मेहमानों के खानपान का ध्यान रखा जाता है. इस किचन का प्रमुख भी एग्जीक्यूटिव शेफ ही होता है.

    राष्ट्रपति में बनने वाली सब्जियां और मसाले पूरी तरह से यहां के किचन गार्डन में उगाए जाते हैं, ये काफी बड़ा है. यहां अलग अलग तरह और प्रजातियों की सब्जियां और हर्ब्स उगाए जाते हैं, ये पूरी तरह आर्गनिक होते हैं.डिश के साथ उसकी सजावट भी उतनी ही जरूरी है.

    राष्ट्रपति भवन में डिनर के लिए सजी टेबल्स (फाइल फोटो)


    हर काम का समय है तय
    राष्ट्रपति भवन की ये पाकशाला रोज नई चुनौतियों के साथ काम शुरू करती है. हर काम के लिए एक समय तय होता है, उससे एक मिनट इधर या उधर नहीं हो सकता.

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    सबकुछ योजनाबद्ध तरीके से इस तरह होता है कि भोज या स्वल्पाहार के समय पता नहीं लगता कि किचन को कहीं किसी समस्या का सामना करना पड़ा है. किचन स्टाफ को तब गर्व का अहसास भी होता है जब मेहमान उनके व्यंजनों की तारीफ करते हैं.

    सुबह जल्दी शुरू होता है किचन का काम
    अगर रात के कुछ घंटों को छोड़ दिया जाए तो किचन में सुबह जल्दी काम शुरू होता है और फिर देर तक चलता रहता है. किचन टीम रोजाना 15-16 घंटे काम करती है. किसी भी समारोह या औपचारिक वैंकेट के लिए तैयारियां कई दिन पहले शुरू हो जाती हैं. इसके मेनु के लिए प्लानिंग की जाती है. फिर एग्जीक्यूटिव शेफ इस पर मुहर लगाते हैं.

    मेनु की मंजूरी के बाद सामग्रियों की मांग स्टोर में भेजी जाती है. इसमें खाद्य सामग्री से लेकर कटलरी, क्राकरी, कांच के सामानों आदि सभी जरूरी चीजों की डिमांड होती है. सभी तरह की कटलरी और कांच के सामानों पर राष्ट्रीय प्रतीक चिन्ह छपा होता है.

    दावत का मेनु फाइनल होने के बाद अगर इसके सामानों की मांग स्टोर से की जाती है तो साथ ही इसके मेनु को भी राष्ट्रपति भवन के ही प्रिंटिग प्रेस में छपने के लिए भेज दिया जाता है. हालांकि इससे पहले डिजाइन विभाग इसकी विशिष्ट तौर पर डिजाइन भी करता है.खाने से कई घंटे पहले टेबल की सजावट का काम पूरा कर लिया जाता है

    यूं तैयार की जाती है खाने की टेबल
    भोज से करीब छह से आठ घंटे पहले टेबल तैयार कर ली जाती है. उस पर क्राकरी सज चुकी होती है. टेबल पर फूलों की सजावट होती है. आमतौर भोज सूप, वेज और नॉन वेज व्यंजनों की विविधता और डेजर्ट से युक्त होता है. इसके उपरांत चाय, कॉफी का दौर चलता है. मेहमानों के चलते समय उन्हें पान और माउथ फ्रेशनर दिया जाता है. खाने के दौरान नौसेना का बैंड संगीत की धुनें निकालता है, संगीत की धुनों का कंपोजिशन हिन्दी, अंग्रेजी और संबंधित देश के अनुसार होता है.

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    Tags: Food Recipe, Modi government, President of India, Rashtrapati Bhavan museum