जिन सीटों पर जीत के बाद अखिलेश-माया-अजीत के बीच बना गठबंधन, उन्हीं सीटों पर घटा जनाधार

5 वर्ष पहले
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  • फूलपुर, कैराना और गोरखपुर में हुए उपचुनाव में हुए जीते थे गठबंधन के उम्मीदवार 
  • लोकसभा चुनाव में इन तीनों सीटों पर भाजपा प्रत्याशियों की अच्छी मार्जिन से हुई जीत
  • गोरखपुर में तीन लाख वोट, केशरीदेवी ने फूलपुर में एक लाख से अधिक वोटों से जीत दर्ज की

लखनऊ. उत्तर प्रदेश में सालभर पहले हुए लोकसभा उपचुनाव में जिन तीन सीटों फूलपुर, गोरखपुर और कैराना में जीत के बाद सपा मुखिया अखिलेश यादव, बसपा की सुप्रीमो मायावती और रालोद के मुखिया अजीत सिंह ने गठबंधन किया, उन सीटों पर भी इस बार उन्हें हार का सामना करना पड़ा। गोरखपुर और फूलपुर में जीत मिलने से उत्साहित अखिलेश यादव, मायावती से मिलकर आभार जताने उनके आवास चले गए थे। यहीं से बात बढ़ी और सपा-बसपा-रालोद का गठबंधन बना। लेकिन साल भर में ही यहां गठबंधन का वोट बैंक बिखर गया। तीनों सीटों पर भाजपा के जनाधार में काफी वृद्धि हुई।

 

उपचुनाव में सपा की हुई थी जीत

गोरखपुर, फूलपुर और कैराना लोकसभा उपचुनाव में विपक्षी दलों ने संयुक्त प्रत्याशी उतारकर चुनाव लड़ा था। गोरखपुर व फूलपुर सीट सीएम योगी आदित्यनाथ और डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के इस्तीफे से खाली हुईं थी। इसलिए इनकी और ज्यादा अहमियत थी। इन दोनों सीटों पर उपचुनाव में सपा प्रत्याशियों को बसपा व अन्य विपक्षी दलों का समर्थन मिला। सपा ने गोरखपुर में 21 हजार और फूलपुर में 59 हजार से ज्यादा मतों से जीत हासिल की।

 

कैराना में रालोद उम्मीदवार की हुई थी जीत

सांसद हुकुम सिंह के निधन के चलते कैराना में उपचुनाव हुआ। इस सीट पर रालोद उम्मीदवार का सपा, बसपा व अन्य दलों ने समर्थन किया। गोरखपुर व फूलपुर में कांग्रेस ने प्रत्याशी उतारे थे, लेकिन कैराना में रालोद का समर्थन किया। रालोद ने इसे 44 हजार से ज्यादा वोटों के अंतर से जीता था। 

 

गोरखपुर में 3 लाख, फूलपुर में 1.71 लाख से जीती भाजपा
लेकिन, इस चुनाव में पूरा गणित उलट गया। गोरखपुर में भाजपा के रवि किशन ने सपा के रामनिषाद भुआल को तीन लाख से ज्यादा मतों से हरायाा। फूलपुर में भाजपा की केशरी देवी पटेल ने सपा के पंधारी यादव को 1.71 लाख मतों से हराया। कैराना में भाजपा के प्रदीप कुमार 90 हजार से ज्यादा मतों से जीते। तीनों क्षेत्रों में सपा के वोटों में काफी गिरावट आई। गोरखपुर में 2018 के उपचुनाव में 48.87 प्रतिशत वोट हासिल करने वाली सपा को अब केवल 35 प्रतिशत मत मिले। इसी तरह फूलपुर उपचुनाव में सपा को 46.95 प्रतिशत मत मिले थे जो अब घटकर 38.1 फीसदी रह गए। कैराना में 2018 में मिले 52.26 फीसदी वोट अब 42.24 प्रतिशत रह गए।

 

सीट बंटवारे में सपा का गढ़ लेकर जीती बसपा
इस लोकसभा चुनाव में बसपा को सपा से दो गुनी सीट मिली। गठबंधन में बसपा की बेहतर सफलता के पीछे का कारण मायावती को पसंदीदा सीटें दिया जाना है। बसपा जिन 10 सीटों पर चुनाव जीती, उनमें पिछले चुनाव में 6 सीटों पर सपा दूसरे नंबर पर थी। बसपा जिन 38 सीटों पर चुनाव लड़ी उनमें कई सपा का मजबूत गढ़ रही हैं। इनमें से कई सीट बसपा ने बंटवारे में अपने हिस्से में ले लीं। नगीना, बिजनौर, अमरोहा, श्रावस्ती, गाजीपुर व लालगंज में सपा दूसरे नंबर पर रही थी। ये सीट सपा के लिए मुफीद मानी जाती रही हैं। इन पर इस बार बसपा चुनाव लड़ी और दलित-मुस्लिम समीकरण ऐसा बना कि उसकी आसानी से जीत हो गई।

 

गठबंधन से मुलायम हुए थे नाराज
मुलायम सिंह ने लखनऊ में फरवरी में हुई बैठक में कार्यकर्ताओं से कहा था कि उनकी आपत्ति के बावजूद अखिलेश ने बसपा से गठबंधन किया है, आधी सीटें बांटी है। इसका आधार क्या है? इनमें से 25-26 सीटें जीतने योग्य थीं। इतनी मजबूत पार्टी बनाई थी, जो तीन बार सत्ता में आई, तीनों बार वे सीएम बने। लेकिन अब पार्टी के ही लोग पार्टी को नुकसान कर रहे हैं।  

 

लोकसभा चनुाव में भाजपा को मिली शानदार सफलता

उत्तर प्रदेश में 2014 के लोकसभा चुनाव में 80 में से 71 सीटों पर जीत के 5 साल बाद देश की सबसे ज्यादा लोकसभा सीटों वाले राज्य ने मोदी सुनामी को फिर महसूस किया। इस बार भी भाजपा ने शानदार प्रदर्शन करते हुए 62 सीटों पर जीत हासिल की। वहीं उसकी सहयोगी अपना दल को भी 2 सीटें मिली हैं। दूसरी ओर प्रदिद्वंद्वी सपा-बसपा-रालोद गठबंधन सिर्फ 15 (बसपा 10 और सपा 5) और कांग्रेस 1 सीटों पर सिमट गई।

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