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इनेलो प्रदेश अध्यक्ष ने ली लोकसभा चुनाव में करारी शिकस्त की जिम्मेदारी, भेजा इस्तीफा

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, चंडीगढ़ Published by: खुशबू गोयल Updated Sat, 25 May 2019 09:26 AM IST
Lok Sabha Elections 2019, INLD State President Ashok Arora Resigns after results
अशेाक अरोड़ा - फोटो : फाइल फोटो
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हरियाणा में लोकसभा चुनाव 2019 में करारी शिकस्त के बाद इनेलो के प्रदेशाध्यक्ष अशेाक अरोड़ा ने की इसकी नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए पद छोड़ दिया। उन्होंने न केवल अपने इस्तीफे की पेशकश की, बल्कि इनेलो सुप्रीमो एवं पूर्व सीएम ओपी चौटाला को अपना इस्तीफा भी सौंप दिया है। भेजे गए इस्तीफे में उन्होंने पार्टी की हार की पूरी जिम्मेवारी खुद ली है।


प्रदेशाध्यक्ष अशोक अरोड़ा ने कहा कि उन्होंने लोकसभा चुनाव में अच्छा प्रदर्शन न कर पाने पर अपने पद से त्याग-पत्र दे दिया है। इस्तीफा पार्टी सुप्रीमो चौधरी ओमप्रकाश चौटाला को सौंप दिया गया है। इसमें उन्होंने इनेलो सुप्रीमो को आभार जताते हुए कहा कि आपने और आपके परिवार ने मुझे जो मान-सम्मान दिया, उसके लिए वे आपका हृदय से आभार व्यक्त करते हैं।


प्रदेशाध्यक्ष के अनुसार, पार्टी के सभी वरिष्ठ साथियों एवं कार्यकर्ताओं ने उन्हे जो सहयोग एवं समर्थन दिया, उसके लिए उन सभी का भी वह आभार व्यक्त करते हैं। अब इनेलो सुप्रीमो तो तय करना है कि उनका इस्तीफा मंजूर करना है या नहीं।
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उल्लेखनीय है कि वर्ष 2005 में अशेाक अरोड़ा ने पार्टी प्रदेशाध्यक्ष की जिम्मेवारी संभाली थी। वह चार बार विधायक रहते हुए एक बार प्रदेश के परिवहन मंत्री और विधानसभा स्पीकर रह चुके हैं।  पार्टी ने वर्ष 2009 का लोकसभा और विधानसभा चुनाव उन्ही के नेतृत्व में लड़ा था।

तब इनेलो ने लोकसभा में तो कोई सीट नहीं जीती, मगर विधानसभा में 32 सीटों पर दर्ज की थी। वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव भी उनके नेतृत्व में लड़ते हुए इनेलो ने 2 सीटें और विधानसभा में 19 सीटें जीती थी। मगर अब वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में भी इनेलो को करारी शिकस्त मिली।

इससे पहले वर्ष 2018 में नगर निगम चुनावों में भी इनेलो हारी थी और जनवरी 2019 के जींद उपचुनाव में भी इनेलो को हार का मुंह देखना पड़ा था। छह महीने पहले इनेलो विघटन भी प्रदेशाध्यक्ष अशोक अरोड़ा के कार्यकाल में ही हुआ था।

पहले भी कई बार इस्तीफा दे चुके हैं अरोड़ा

इनेलो के प्रदेश अध्यक्ष अशोक अरोड़ा ने पार्टी की हार के बाद पद से इस्तीफा दे दिया, लेकिन ऐसा पहली बार नहीं हुआ है। इससे पहले भी उन्होंने वर्ष 2005, 2009 और 2014 में पद से इस्तीफा दिया था, लेकिन पार्टी सुप्रीमो पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला ने इसे स्वीकार नहीं किया। पिछले 15 वर्षों में चार लोकसभा और चार विधानसभा चुनाव उनके प्रदेशाध्यक्ष रहने के दौरान लड़े गये। हालांकि इस बार स्थिति अलग है। माना जा रहा है कि इस बार अरोड़ा दूर की कौड़ी चलने के मूड में है।

वो किधर जाएंगे, इसके बारे में अभी उन्होंने चुप्पी साधी हुई है। यह भी कहा जा रहा है कि करीब एक माह तक वे मंथन करेंगे। इसके बाद अगली रणनीति का खुलासा करेंगे। वैसे भी 2009 के बाद अशोक अरोड़ा ने जीत का स्वाद नहीं चखा। अरोड़ा खुद की राजनीति के साथ अगली पीढ़ी में अपनी राजनीतिक विरासत पुत्र हिमांशु अरोड़ा को किसी मजबूत घट में शामिल होकर देने पर विचार कर सकते हैं। हालांकि बात पक्की है कि 2019 के लोकसभा चुनाव से काफी पहले ही उन्हें टिकट का आश्वासन देने के साथ भाजपा में लाने की कवायद शुरु हुई थी, लेकिन पार्टी के पतन के बावजूद उससे जुड़ी निष्ठाओं की बदौलत इस ऑफर को ठुकरा दिया था।

इसका बड़ा कारण यह भी माना जा रहा था कि भाजपा में पहले से ही मुख्यमंत्री के रूप में मनोहर लाल खट्टर और दो मंत्री अनिल विज और मनीष ग्रोवर बड़े पंजाबी चेहरों के रुप में स्थापित है। लोकसभा चुनाव से पहले ही यह चर्चा शुरु हो गई थी कि अरोड़ा की नजर एक बड़े राजनीतिक दल पर है,जिसमें उन्हें इनेलो की तरह कद्दावर पंजाबी नेता के रूप में प्रोजेक्ट किया जा सकता। वैसे हरियाणा के ताजा हालात में भाजपा के अलावा सभी दल में कोमा में है और यह स्थिति अरोड़ा के लिये भी आगे कुआं पीछे खाई जैसी है।
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चार बार विधायक, स्पीकर व कैबिनेट मंत्री रहे अरोड़ा

वर्ष 1990 में हुए उपचुनाव में चौ. देवीलाल ने अशोक अरोड़ा को थानेसर विधानसभा से प्रत्याशी बनाया था, उस समय अशोक अरोड़ा ने कांग्रेस के पूर्व कद्दावर मंत्री देवेंद्र शर्मा को पराजित किया था। चौ. देवीलाल ने अरोड़ा को हरियाणा कृषि मार्किटिंग बोर्ड का चेयरमैन नियुक्त किया था। उसके बाद 1996, 2000 तथा 2009 में भी अरोड़ा थानेसर विधानसभा क्षेत्र से विधायक रहे। वे चौ. ओमप्रकाश चौटाला के मंत्रिमंडल में कैबिनेट मंत्री रहे,जबकि 1999 में हरियाणा विधानसभा के स्पीकर भी रह चुके हैं।

सोशल मीडिया पर संदेश में संकेत
मैं कुरुक्षेत्र लोकसभा के सभी इनेलो के सिपाहियों और मतदाताओं का इस चुनाव में मेहनत और योगदान के लिये हार्दिक धन्यवाद करता हूं। ये लड़ाई सोच की है, एक संगठित समृद्ध हिंदुस्तान की है,न्याय की है,जो आज खत्म नहीं होती। उनका यह संदेश एक संकेत भी दे रहा है।

 
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