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Hindi News ›   Columns ›   Opinion ›   virtual national referendum on Modi

जमीनी हकीकत की वास्तविकता को समझने की बजाय काल्पनिक दुनिया में बह गया विपक्ष

सुरेंद्र कुमार Published by: Raman Singh Updated Sat, 25 May 2019 06:16 AM IST

वर्ष 1952 के बाद सबसे उग्रता के साथ लड़े गए 2019 के संसदीय चुनाव के नतीजे से बहुत पहले से ही कई दिग्गज और दूसरी पीढ़ी के नेता, लेखक, शिक्षाविद, पत्रकार आदि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की विदाई का गीत गा रहे थे। अब जबकि वास्तव में मोदी के नाम परोक्ष रूप से हुए 'नेशनल रेफरेंडम' का फैसला आ गया है, कयामत के दिन की भविष्यवाणी करने वाले लोगों को लग रहा होगा कि उन्होंने मोदी की हार का आकलन करने में जल्दबाजी की। जाहिर है, वे जमीनी हकीकत की वास्तविकता को समझने के बजाय अपनी काल्पनिक दुनिया में बह गए। राजनीतिक नेताओं का सच्चे तथ्यों के बजाय अपने चाटुकारों और समर्थकों की तरफ झुकाव ऐेसे चौंकाने वाले नतीजे की ओर ले जाता है।


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