कर्नाटक में जलसंकट, मंदिर के पुजारी ने कहा- जब तक बारिश नहीं होती, न आएं श्रद्धालु
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कर्नाटक में जलसंकट, मंदिर के पुजारी ने कहा- जब तक बारिश नहीं होती, न आएं श्रद्धालु

कर्नाटक सरकार के मंत्री कृष्ण बाइर गौड़ा ने कहा कि धर्मस्थल में हजारों श्रद्धालुओं का आगमन होता है. उन सबके लिए पानी की व्यवस्था करना एक चुनौती है लेकिन हम इसका कुछ हल निकाल लेंगे.

कर्नाटक सरकार के जल मंत्री डीके शिवकुमार ने शनिवार को कहा था कि पहले महाराष्ट्र सरकार ने हमारे अनुरोध के बाद कृष्णा नदी में पानी छोड़ने के लिए सहमति व्यक्त की थी. लेकिन, अब वे कृष्णा नदी में पानी नहीं छोड़ रहे हैं.

दक्षिण कन्नड़: कर्नाटक में जलसंकट को लेकर राज्य के जल मंत्री डीके शिवाकुमार ने हाल ही में चिंता जाहिर की थी. राज्य में जलसंकट इस कदर हावी हो चुका है कि शनिवार को दक्षिण कन्नड़ में स्थित एक मंदिर के धर्माधिकारी ने भक्तों को दर्शन के लिए आने से मना कर दिया है. न्यूज एजेंसी एएनआई के अनुसार, कर्नाटक के दक्षिण कन्नड़ में स्थित धर्मस्थल मंजूनाथेश्वरा मंदिर के धर्माधिकारी डॉ. वी. हेगड़े ने पर्यटकों से अनुरोध किया है कि वे अपनी मंदिर के दर्शन की यात्रा को स्थगित कर दें. धर्माधिकारी का कहना है कि मंदिर क्षेत्र पानी के अभाव से जूझ रहा है. ऐसे में पर्यटकों के आने से समस्या और गंभीर हो जाएगी.

हजारों श्रद्धालुओं के लिए पानी की व्यवस्था करना चुनौती- कर्नाटक सरकार के मंत्री
धर्माधिकारी ने पर्यटकों से अनुरोध करते हुए यात्रा को टालने की बात कही. उन्होंने कहा कि क्षेत्र के लोग पानी की समस्या से दो-चार हो रहे हैं. मैं भक्तों और पर्यटकों से अनुरोध करता हूं कि बारिश होने तक अपनी यात्रा को स्थगित कर दें. वहीं, इस मामले के सामने आने पर कर्नाटक सरकार के मंत्री कृष्ण बाइर गौड़ा ने कहा कि घटना के संज्ञान में आते ही इसे हल करने के लिए दिशा-निर्देश जारी कर दिए गए हैं. हम देखेंगे कि हम क्या कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि धर्मस्थल में हजारों श्रद्धालुओं का आगमन होता है. उन सबके लिए पानी की व्यवस्था करना एक चुनौती है लेकिन हम इसका कुछ हल निकाल लेंगे.

महाराष्ट्र सरकार ने पानी देने से किया मना- जल मंत्री डीके शिवकुमार 
कर्नाटक सरकार के जल मंत्री डीके शिवकुमार ने शनिवार को कहा था कि पहले महाराष्ट्र सरकार ने हमारे अनुरोध के बाद कृष्णा नदी में पानी छोड़ने के लिए सहमति व्यक्त की थी. लेकिन, अब वे कृष्णा नदी में पानी नहीं छोड़ रहे हैं. कागवाड़ और अथानी के किसानों और वहां रहने वालें लोगों के लिए हम इलक्कल बांध से भंडारण का अंतिम 1 टीएमसी जारी कर रहे हैं.

महाराष्ट्र में भी खराब हैं हालात
वहीं, तापमान बढ़ने के साथ महाराष्ट्र के 26 जलाशय लगभग खाली हो गए हैं और पिछले साल की तुलना में इस साल स्थिति कहीं अधिक गंभीर है. राज्य सरकार के जल संरक्षण विभाग की वेबसाइट के मुताबिक औरंगाबाद संभाग में जल भंडारण पिछले साल की इसी अवधि की 23.44 प्रतिशत की तुलना में इस साल 0.43 प्रतिशत पर पहुंच गया है. इस संभाग में औरंगाबाद, बीड़, हिंगोली, परभनी और उस्मानाबाद जिले आते हैं. विभाग के मुताबिक इस संभाग के बांधों में पैठन, मंजारा, मजलगांव, येलदारी, सिद्धेश्वर, निचला तेरणा, सिन कोलेगांव और निचला धुदना के सभी जलाशयों में इस वक्त ‘जल भंडारण’ शून्य स्तर पर पहुंच गया है.

जल भंडारण शून्य से नीचे
विभाग के मुताबिक गुलढ़ाना में खड़कपूर्णा और पेंटाकली, नागपुर संभाग में गोसीखुर्द, दिना और नंद, जलगांव में अपर तापी हथनुर, नासिक संभाग में वाकी, भीम, भावली और पुणेगांव, पुणे में दिभे, घोड, पिंपलगांव, जोग, वादाज और टेमघर, सोलापुर में भीमा, कुंडली टाटा और लोनावला टाटा में भी 18 मई तक जल भंडारण शून्य हो गया है. 

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