ऑस्ट्रेलिया चुनाव: स्कॉट मॉरिसन के कंजरवेटिव गठबंधन को मिली 'चमत्कारिक' जीत
ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन ने संघीय चुनावों में अपने कंजरवेटिव गठबंधन को फिर से चुनने के लिए मतदाताओं को धन्यवाद दिया है.
मॉरिसन ने समर्थकों से कहा कि उन्हें 'हमेशा चमत्कारों में विश्वास था'. पहले जो अनुमान लगाए गए थे, उनमें लिबरल-नेशनल गठबंधन को बहुमत के करीब दिखाया गया था.
वहीं ऑस्ट्रेलियाई लेबर पार्टी के नेता बिल शॉर्टन ने अपनी पार्टी की हार स्वीकार कर ली है और कहा कि वह पार्टी नेता के रूप में इस्तीफा दे रहे हैं.
चुनावों का अंतिम परिणाम अभी आना बाकी है, लेकिन 70 फ़ीसदी से अधिक मतों की गिनती के साथ गठबंधन ने जीत हासिल कर ली है या आगे चल रही है. गठबंधन को बहुमत के लिए 76 सीटों की ज़रूरत है और वह 74 सीटों पर आगे है. लेबर पार्टी 66 सीटों पर आगे है.
ऑस्ट्रेलिया में आम चुनाव के लिए शनिवार को मतदान हुआ. यहां 1.64 करोड़ मतदाता हैं.
नतीजों से हैरानी
सिडनी स्थित बीबीसी संवाददाता हाइवेल ग्रिफिथ के मुताबिक ऐसे नतीजों की उम्मीद शायद ही किसी ने की थी. उन्होंने कहा कि मैं ऐसे शख्स की तलाश में हूँ जो ये कहे कि उसे ऐसा परिणाम आने की उम्मीद थी.
पिछले दो साल में जितने भी ओपिनियन पोल हुए उनमें गठबंधन लेबर पार्टी से पीछे था और माना जा रहा था कि इस बार सरकार बनाने की बारी लेबर पार्टी की है.
लेकिन आख़िरी लम्हों में स्कॉट मॉरिसन मतदाताओं का रुख़ अपनी ओर मोड़ने में कामयाब रहे और वो भी सिर्फ़ अपने दम पर.
ऑस्ट्रेलियाई लेबर पार्टी के नेता शॉर्टन ने पार्टी सदस्यों को संबोधित करते हुए कहा, "लेबर पार्टी अगली सरकार बनाने में कामयाब नहीं हो पाएगी."
शॉर्टन ने कहा कि उन्होंने मॉरिसन को बधाई देने के लिए उन्हें फ़ोन किया था. साथ ही उन्होंने ये भी घोषणा की कि वो अगली बार लेबर पार्टी के नेता के रूप में चुनाव नहीं लड़ेंगे.
मॉरिशन ने अपने विपक्षियों का शुक्रिया अदा किया.
अस्थिरता का दौर
ऑस्ट्रेलिया में हर तीन साल में चुनाव होते हैं, लेकिन पिछले कुछ सालों में वहाँ जमकर सियासी उठापटक रही है और 2007 के बाद कोई भी सरकार अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सकी है.
मॉरिसन ने कहा कि उन्होंने अपनी सरकार को एकजुट किया है. लिबरल पार्टी और उनकी सहयोगी नेशनल पार्टी का गठबंधन नौ महीने पहले बना था. मॉरिसन की सरकार मैल्कम टर्नबुल को हटाकर सत्ता में आई थी.
सर्वे में दिखाया गया था कि अर्थव्यवस्था, महंगाई, पर्यावरण और स्वास्थ्य से जुड़े मुद्दे मतदाताओं के लिए काफी अहमियत रखते हैं. युवा मतदाताओं के बीच जलवायु परिवर्तन से जुड़ी चिंताएं देखी गई थी.
मॉरिसन ने शुरुआती चुनाव अभियान में अर्थव्यवस्था को अपना मुद्दा बनाया था, लेकिन जैसे-जैसे चुनाव आगे बढ़ा, वे चुनाव को अपने और शॉर्टन के बीच विकल्प के रूप में मतदाताओं के सामने ले गए.
ये भी पढ़ें:
(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं. आप हमें फ़ेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम और यूट्यूब पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)