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अंतिम दौर में लोकसभा चुनाव, 59 सीटों पर वोटिंग रविवार को, PM समेत कई दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर

नवभारतटाइम्स.कॉम | 19 May 2019, 12:16 am
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लोकसभा चुनाव के अंतिम चरण का चुनाव प्रचार थमने के बाद भले ही शांति हो पर बंद कमरों में संभावित नतीजों पर मंथन शुरू हो गया है। रविवार को 59 सीटों पर मतदान के साथ ही लोकसभा चुनाव की प्रक्रिया संपन्न हो जाएगी। नतीजे 23 मई को आएंगे और रविवार शाम से ही एग्जिट पोल्स आने लगेंगे।

हाइलाइट्स

  • 59 सीटों पर मतदान के साथ रविवार को समाप्त होगा लोकसभा चुनाव
  • इसी दिन पणजी विधानसभा सीट पर उपचुनाव, पर्रिकर के निधन से खाली
  • मोदी की सीट वाराणसी पर भी वोटिंग, मतगणना 23 मई को होगी
  • लोकसभा चुनाव के पिछले छह चरणों में औसतन 66.88 प्रतिशत वोटिंग
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सनी देओल, शत्रुघ्न सिन्हा और पीएम नरेंद्र मोदी (फाइल फोटो)
नई दिल्ली
लोकसभा चुनाव अपने अंतिम चरण में पहुंच चुका है और सियासी दल भी 'रिजल्ट मोड' में आ गए हैं। जहां पर चुनाव हो चुके हैं वहां लोगों को अब 23 मई का बेसब्री से इंतजार है। इस बीच, सातवें और अंतिम चरण के लोकसभा चुनाव की 59 सीटों पर रविवार को वोट डाले जाएंगे। उससे पहले शनिवार को देशभर में अलग ही हलचल देखने को मिली। पीएम मोदी केदारनाथ धाम में हैं तो वहीं कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी दिल्ली में बैठकें करते रहे। लखनऊ में भी हलचल रही क्योंकि TDP सुप्रीमो चंद्रबाबू नायडू चुनाव के संभावित नतीजों के बाद की रणनीति तैयार करने पहुंचे हुए थे। उन्होंने एसपी और बीएसपी दोनों दलों के सुप्रीमो से मुलाकात की।
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आपको बता दें कि शुक्रवार शाम से प्रचार वाला शोर भले ही न हो पर नेताओं की मुलाकातें जारी हैं। दरअसल, सातवें चरण का चुनाव प्रचार शुक्रवार शाम में समाप्त हो गया था। ऐसे में सियासी खेमों में समीकरण साधे जा रहे हैं। यह सब तब हो रहा है जब रविवार को 59 अहम सीटों पर मतदान होना बाकी है, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सीट वाराणसी शामिल है।

पर्रिकर की सीट पर भी उपचुनाव
रविवार को ही पणजी विधानसभा सीट के लिए उपचुनाव होगा जो पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर के निधन के बाद खाली हो गई थी। इसके साथ ही तमिलनाडु की चार विधानसभा सीटों-सुलूर, अरवाकुरुचि, ओत्तापिदरम (सुरक्षित) और तिरुपरकुंद्रम पर भी रविवार को उपचुनाव होगा।

आखिरी चरण में कहां-कहां वोटिंग
8 राज्यों की 59 सीटों पर करीब 10.17 करोड़ मतदाता रविवार को 918 उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला करेंगे। निर्वाचन आयोग ने मतदान सुगम तरीके से संपन्न कराने के लिए 1.12 लाख मतदान केंद्र बनाए हैं। सातवें चरण में जिन राज्यों में मतदान होगा, उसमें पंजाब (13), उत्तर प्रदेश (13), पश्चिम बंगाल (9), बिहार (8), मध्य प्रदेश (8), हिमाचल प्रदेश (4), झारखंड (4), चंडीगढ़ (1) शामिल हैं। बीजेपी ने 2014 में इस अंतिम चरण की 59 सीटों में से 30 पर विजय हासिल की थी। अंतिम चरण की महत्वपूर्ण सीटों की बात करें तो इसमें वाराणसी सबसे महत्वपूर्ण है क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यहां से दोबारा चुनाव मैदान में हैं। उनका मुकाबला कांग्रेस के अजय राय और एसपी उम्मीदवार शालिनी यादव से है।

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हॉट सीट- वाराणसी
बीजेपी वाराणसी से पीएम मोदी के लिए बड़े अंतर से जीत सुनिश्चित करने का कोई मौका नहीं छोड़ रही है। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि लोग कुछ सवाल उठा सकते हैं, लेकिन वास्तव में वाराणसी में कोई मुकाबला नहीं है। मोदी ने अपने नामांकन के दिन यहां एक रोड शो किया था। वहीं, कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने भी अपने प्रत्याशी अजय राय के समर्थन में रोड शो किया था। बहुजन समाज पार्टी प्रमुख मायावती और समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने शालिनी यादव के समर्थन में एक संयुक्त रैली आयोजित की थी।

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गोरखपुर
मुख्य उम्मीदवार: रवि किशन (बीजेपी), रामभुआल निषाद (एसपी), मधुसूदन त्रिपाठी (कांग्रेस)
- उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सीट रही गोरखपुर से इस बार भोजपुरी स्टार रवि किशन बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। उनका सामना एसपी के रामभुआल निषाद और कांग्रेस के मधुसूदन त्रिपाठी से है। यहां मुख्य मुकाबला किशन और गठबंधन के प्रत्याशी निषाद के बीच माना जा रहा है। यह ऐसी सीट है जिसे बीजेपी समाजवादी पार्टी से छीनना चाहेगी। यहां पार्टी को 2018 उपचुनाव में महागठबंधन के हाथों हार का सामना करना पड़ा था, जिसे प्रदेश में बीजेपी विरोधी मोर्चे की प्रयोगात्मक शुरुआत माना गया था। हालांकि बीजेपी को झटका देने वाले मौजूदा सांसद प्रवीण निषाद अब इसी पार्टी के साथ आ गए हैं।

गाजीपुर (UP)
मुख्य उम्मीदवार : मनोज सिन्हा (बीजेपी), अफजाल अंसारी (BSP)
- सिन्हा अपने विकास कार्यों और प्रधानमंत्री मोदी की छवि पर निर्भर हैं तो अंसारी एसपी-बीएसपी के सामाजिक संयोजन की वजह से मजबूत दिख रहे हैं। अंसारी जेल में बंद बाहुबली मुख्तार अंसारी के भाई हैं, जिन्हें अब भी अच्छा स्थानीय समर्थन प्राप्त है।

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मिर्जापुर (UP)
मुख्य उम्मीदवार: अनुप्रिया पटेल (अपना दल), ललितेश त्रिपाठी (कांग्रेस), राजेंद्र बिंद (एसपी)
- यहां के मतदाताओं में से कुर्मी समुदाय की अच्छी खासी संख्या है, जिससे अनुप्रिया पटेल आती हैं। हालांकि अपना दल के एक अलग गुट ने कांग्रेस को अपना समर्थन दिया है, इस गुट की अगुआई खुद अनुप्रिया की मां करती हैं। कांग्रेस को सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (एसबीएसपी) का भी समर्थन हासिल है, जिसकी अगुआई पूर्व मंत्री ओमप्रकाश राजभर करते हैं। ये समीकरण यहां के चुनाव को दिलचस्प बना रहे हैं।

पटना साहिब (बिहार)
मुख्य उम्मीदवार: रविशंकर प्रसाद (बीजेपी), शत्रुघ्न सिन्हा (कांग्रेस)
- सिन्हा ने बीजेपी के टिकट पर इस सीट पर जीत दर्ज की थी, लेकिन इसबार वह कांग्रेस उम्मीदवार के तौर पर लड़ रहे हैं। यहां पर कायस्थ समुदाय का वोट निर्णायक होगा। सिन्हा जहां खुद की लोकप्रियता और RJD के समर्थन पर निर्भर हैं, वहीं प्रसाद पूरी तरह से शहर के साथ अपने लंबे संपर्क और मोदी सरकार की उपलब्धियों पर निर्भर हैं।

आरा (बिहार)
मुख्य उम्मीदवार: राजकुमार सिंह (बीजेपी), राजू यादव (भाकपा-माले)
- आरा एकमात्र सीट है जिसके लिए लालू प्रसाद की अगुआई वाली RJD ने भाकपा-माले के लिए सीट छोड़ी थी। राजू यादव का यहां सीधा सामना बीजेपी के उम्मीदवार और मौजूदा सांसद राजकुमार सिंह से है। पूर्व केंद्रीय गृह सचिव ऊर्जा क्षेत्र में अपने विकास कार्य और मोदी की छवि पर निर्भर हैं।

बक्सर (बिहार)
मुख्य उम्मीदवार: अश्विनी कुमार चौबे (बीजेपी), जगदानंद सिंह (RJD)
- मोदी सरकार में राज्य मंत्री होने के बावजूद चौबे पूरी तरह से मोदी की छवि पर निर्भर हैं। स्थानीय लोग उनके प्रदर्शन से नाखुश हैं, लेकिन बालाकोट हवाई हमले के बाद वह अपनी नैया पार लगने की उम्मीद लगाए बैठे हैं। ब्राह्मण बहुल सीट पर राजपूत वोट एक महत्वपूर्ण फैक्टर है। अगर जगदानंद सिंह को राजपूतों का 30 प्रतिशत वोट भी मिल जाता है तो चौबे मुश्किल में पड़ जाएंगे। यादव और मुस्लिम सिंह के पीछे खड़े हैं।

पाटलिपुत्र (बिहार)
मुख्य उम्मीदवार: रामकृपाल यादव (बीजेपी), मीसा भारती (आरजेडी)
- आरजेडी प्रमुख और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद के पूर्व सहयोगी राम कृपाल यादव मोदी की अपील और विकास कार्यों पर निर्भर हैं। लालू प्रसाद की बेटी अपने पिता के लिए लोगों की सहानुभूति पाने की उम्मीद कर रही हैं।

गुरदासपुर (पंजाब)
मुख्य उम्मीदवार: सनी देओल (बीजेपी), सुनील जाखड़ (कांग्रेस)
- बीजेपी ने राष्ट्रीय सुरक्षा को अपना चुनावी मुद्दा बनाया है और सनी देओल भी देशभक्ति फिल्मों के लिए मशहूर हैं। वह अपने फिल्मों के दृश्यों को रीक्रिएट कर और अपने मशहूर संवादों ‘ढाई किलो का हाथ’ और ‘हिंदुस्तान जिंदाबाद है, जिंदाबाद रहेगा’ से लोगों को लुभाने की कोशिश की है। मौजूदा सांसद जाखड़ कांग्रेस के दिग्गज बलराम जाखड़ के बेटे हैं और विकास कार्यों के सहारे उन्हें अपनी नैया पार लगने की उम्मीद है।

अमृतसर (पंजाब)
मुख्य उम्मीदवार: हरदीप सिंह पुरी (BJP), गुरजीत सिंह औजला (कांग्रेस)
- कैप्टन अमरिंदर सिंह जिन्होंने 2014 में बीजेपी के अरुण जेटली को हराया था, वह इस बार पुरी को हराने का कोई मौका नहीं छोड़ रहे हैं। वहीं, पुरी 1984 सिख-विरोधी दंगे के संबंध में सैम पित्रोदा के ‘हुआ तो हुआ’ बयान पर कांग्रेस पर जमकर निशाना साध रहे हैं।
(IANS के इनपुट के साथ)
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