अशोक लवासा से मतभेद पर सामने आए मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा

अशोक लवासा

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चुनाव आयुक्त अशोक लवासा के आदर्श आचार संहिता की बैठकों में शामिल होने से इनकार की रिपोर्ट पर नया विवाद खड़ा हो गया है.

कहा जा रहा है कि लवासा ने मुख्य चुनाव आयुक्त को पत्र लिखकर बैठकों से अलग रहने की जानकारी दी है.

मीडिया में आई रिपोर्ट्स के अनुसार लवासा ने लिखा है, "जब मेरे अल्पमत को दर्ज नहीं किया जा रहा तब आयोग में हुई बैठकों में मेरी हिस्सेदारी का कोई मतलब नहीं है."

लवासा की चिट्ठी की ख़बरें मीडिया में आने के बाद मुख्य चुनाव आयुक्त ने बयान जारी कर इसे गैरज़रूरी विवाद बताया है.

मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा ने कहा है, "आदर्श आचार संहिता को लेकर चुनाव आयोग की आंतरिक कार्यशैली के बारे में आज मीडिया के एक हिस्से में अनावश्यक विवाद की ख़बरें आई हैं."

सुनील अरोड़ा ने अपने बयान में कहा है, "चुनाव आयोग में तीनों सदस्य एक दूसरे के क्लोन नहीं हो सकते. ऐसे कई मौक़े आए हैं जब विचारों में मतभेद रहा है. ऐसा हो सकता है और होना भी चाहिए. लेकिन ये बातें चुनाव आयोग के अंदर ही रहीं. जब भी सार्वजनिक बहस की ज़रूरत हुई, मैंने निजी तौर पर उससे मुंह नहीं मोड़ा है लेकिन हर चीज़ का समय होता है."

कांग्रेस ने इसे चुनाव आयोग की संस्थागत स्वतंत्रता पर प्रश्नचिह्न क़रार दिया है.

समाचार एजेंसी एएनआई से कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा, "चुनाव आयोग मोदी जी का कठपुतली बन चुका है. अशोक लवासा जी की चिट्ठी से साफ़ है कि मोदी और अमित शाह को लेकर जो उनके विचार हैं, उन्हें भी रिकॉर्ड नहीं किया जा रहा है.''

सुनील अरोड़ा

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लवासा की चिट्ठी?

मीडिया में आई ख़बरों के अनुसार अशोक लवासा ने 16 मई को मुख्य चुनाव आयुक्त को पत्र लिखा है.

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, अपने पत्र में लवासा ने कहा है कि कई मामलों में उनके अल्पमत के फ़ैसले को दर्ज नहीं किया गया और लगातार इसे दबाया जाता रहा है, जो कि इस बहुसदस्यीय वैधानिक निकाय के स्थापित तौर तरीक़ों से उलट है."

मुख्य चुनाव आयुक्त के अनुसार, केवल अर्द्ध क़ानूनी कार्यवाहियों के दौरान लिए गए फ़ैसले या आदेश में ही अल्पमत की राय रिकॉर्ड की जाती है और आदर्श आचार संहिता की शिकायतें अर्द्ध क़ानूनी कार्यवाहियों में नहीं आती हैं, इसलिए अल्पमत की राय रिकॉर्ड करना ज़रूरी नहीं है.

चुनाव आयोग

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क्या है मामला?

बताया जा रहा है कि आदर्श आचार संहिता को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह को क्लीन चिट दिए जाने पर अशोक लवासा सहमत नहीं थे.

अशोक लवासा चाहते थे कि उनकी अल्पमत की राय को रिकॉर्ड किया जाए.

उनका आरोप है कि अल्पमत की राय को दर्ज नहीं किया जा रहा है, इसलिए इस महीने के शुरू से उन्होंने आचार संहिता से संबंधित बैठकों में जाना बंद कर दिया है.

आयोग ने आदर्श आचार संहिता उल्लंघन के छह मामलों में पीएम मोदी को क्लीन चिट दी थी.

चुनाव आयोग के तीन सदस्यों में मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा और दो अन्य आयुक्त अशोक लवासा और सुशील चंद्रा शामिल हैं.

ग़ौरतलब है कि अंतिम चरण का चुनाव प्रचार ख़त्म होने के बाद कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने अपनी प्रेस कांफ्रेंस में भी चुनाव आयोग पर 'पीएम मोदी के प्रचार अभियान के मुताबिक़ मतदान की तारीख़ें तय करने का आरोप लगाया था.'

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