Please enable javascript.Polarisation In West Bengal,पश्चिम बंगाल में चरम पर सांप्रदायिक ध्रुवीकरण, भगवानों के भी बदल रहे नाम - in polarised bengal battle, even the name of a deity is changing - Navbharat Times

पश्चिम बंगाल में चरम पर सांप्रदायिक ध्रुवीकरण, भगवानों के भी बदल रहे नाम

टाइम्स न्यूज नेटवर्क | 18 May 2019, 08:30:19 AM

देवी बोनबीबी को हिंदू और मुसलमान दोनों पूजते रहे हैं, लेकिन इन दिनों बोनबीबी को एक तरह से हिंदू देवी बताने की ही कोशिश की जा रही है। चुनावों के दौरान कई जगहों पर बीजेपी नेताओं ने कुछ स्थानीय पुजारियों की मदद से बोनबीबी की बोनदेबी के नाम से पूजा की और उनके बारे में बयान दिए।

हाइलाइट्स

  • सुंदरबन क्षेत्र में जंगलों की देवी कही जाने वाली बोनबीबी भी इस ध्रुवीकरण के अजेंडे के दायरे में हैं
  • देवी बोनबीबी को हिंदू और मुसलमान दोनों पूजते रहे हैं, लेकिन इन दिनों उन्हें हिंदू देवी बताने की ही कोशिश की जा रही है
  • सुंदरबन में बीजेपी लीडर और स्थानीय पंचायत सदस्य पारितोष मंडल कहते हैं, 'मुस्लिम कभी बोनबीबी की पूजा नहीं करते
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तमघ्ना बनर्जी, गोसाबा/सुंदरबन
पश्चिम बंगाल में बीजेपी और तृणमूल कांग्रेस के बीच मुकाबले में समाज का तेजी से ध्रुवीकरण हुआ है। हाल यह है सुंदरबन क्षेत्र में जंगलों की देवी कही जाने वाली बोनबीबी भी इस ध्रुवीकरण के अजेंडे के दायरे में हैं। देवी बोनबीबी को हिंदू और मुसलमान दोनों पूजते रहे हैं, लेकिन इन दिनों बोनबीबी को एक तरह से हिंदू देवी बताने की ही कोशिश की जा रही है।
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चुनावों के दौरान कई जगहों पर बीजेपी नेताओं ने कुछ स्थानीय पुजारियों की मदद से बोनबीबी की बोनदेबी के नाम से पूजा की और उनके बारे में बयान दिए। जंगल की देवी कही जाने वाली बोनबीबी को बोनदेबी बताना पूरी तरह से उनकी अंतर्सामुदायिक छवि के विपरीत है। हिंदू ही नहीं बल्कि मुसलमानों की भी समान रूप से बोनबीबी में आस्था मानी जाती रही है।

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मुस्लिम मतदाताओं का कहना है कि बोनबीबी को लेकर इस प्रॉपेगेंडा से वे आहत हैं और उन्होंने खुद को उनकी पूजा से अलग करना शुरू कर दिया है। इस पर सुंदरबन में बीजेपी लीडर और स्थानीय पंचायत सदस्य पारितोष मंडल कहते हैं, 'मुस्लिम कभी बोनबीबी की पूजा नहीं करते। इस परंपरा को हिंदुओं ने ही जीवित रखा है और नियमित देवी की पूजा करते रहे हैं। इसलिए हम उन्हें बोनबीबी की बजाय बोनदेबी नाम से संबोधित करते हैं। अब ग्रामीण उन्हें इसी नाम से पुकारते हैं।'

मंडल जयनगर लोकसभा सीट के गोसाबा इलाके के रहने वाले हैं, जहां रविवार को आखिरी चरण में मतदान होना है। शहद एकत्र करने वाले और लकड़ी काटने वाले लोग खासतौर पर बोनबीबी की पूजा करते हैं। मान्यता है कि बोनबीबी जंगल के राजा की दुश्मन हैं।

मक्का से आए फकीर की बेटी थीं बोनबीबी

मिथकीय मान्यता के अनुसार मक्का से आए एक फकीर इब्राहिम की बेटी बोनबीबी थीं। इब्राहिम सुंदरबन के राजा बन गए थे। इब्राहिम को पहली पत्नी फूलबीबी से कोई संतान नहीं हुई। इसके बाद उन्होंने गोलाबीबी से निकाह किया और उनसे उन्हें दो जुड़वा बच्चे बोनबीबी और शाह जंगली पैदा हुए।

जंगल में हुआ था बोनबीबी का जन्म

हालांकि इब्राहिम ने अपनी पत्नी को वादा कर रखा था और उन्होंने गर्भवती गोलाबीबी को जंगल में छोड़ दिया। यहीं पर बोनबीबी का जन्म हुआ था और वह जन्म से मुस्लिम थीं। गोसाबा में शहद एकत्र करने का काम करने वाले सुपद मंडल कहते हैं, 'हम हमेशा देवी की मूर्ति अपने साथ लेकर चलते हैं और जंगल में प्रवेश करने से पहले नदी के किनारे उनकी पूजा करते हैं। हालांकि मुस्लिम उनकी पूजा नहीं करते।'

किताबों और मंदिरों में अब भी बोनबीबी

हालांकि अब भी किताबों और पुराने मंदिरों में उन्हें बोनबीबी ही लिखा गया है। स्थानीय लोगों के मुताबिक पुरानी परंपरा अब खत्म हो रही है और उन्हें हिंदू देवी की तरह से ही पेश किया जा रहा है।
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