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आज ही के दिन 45 साल पहले हुआ था भारत का पहला परमाणु परीक्षण

राजस्थान के जैसलमेर से करीब 140 किमी दूर लोहारकी गांव के पास मलका गांव में 18 मई 1974 को भारत ने दुनिया में अपनी परमाणु शक्ति का लोहा मनवाया था. 18 मई 1974 को मलका गांव के एक सूखे कुएं में पहला परमाणु परीक्षण किया था.

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18 मई 1974 को भारत का पहला परमाणु परीक्षण
18 मई 1974 को भारत का पहला परमाणु परीक्षण

18 मई 1974 को आज ही के दिन भारत ने दुनिया में शांति व्यवस्था के लिए देश का पहला परमाणु विस्फोट पोखरण में किया था. जिसे उस वक्त की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने नाम दिया था बुद्ध मुस्कुराए यानी बुद्धा स्माइल. 45 साल पहले बुद्ध पूर्णिमा 18 मई 1974 को थी और ये दिन भारत के लिए गौरवशाली तो जैसलमेर वासियों के लिए भाग्यशाली दिन रहा था. उस दिन भी बुद्ध पूर्णिमा थी और आज 45 साल बाद भी 18 मई को भी बुद्ध पूर्णिमा है.

आज ही के दिन 45 साल पहले दुनिया में भारत ने परमाणु शक्ति सम्पन्न देशों में अपना नाम जोड़ने की पहल की थी, जिसका बीजारोपण पोखरण में हुआ था. राजस्थान के जैसलमेर से करीब 140 किमी दूर लोहारकी गांव के पास मलका गांव में 18 मई 1974 को भारत ने दुनिया में अपनी परमाणु शक्ति का लोहा मनवाया था. मलका गांव के जिस सूखे कुएं में पहला परमाणु परीक्षण किया गया था, वहां पर एक विशाल गड्ढा और उभरी हुई जमीन आज भी उन गौरवशाली पलों की कहानियां बयां करता है. लोहारकी गांव के प्रथम परमाणु स्थल पर वैज्ञानिकों ने बटन दबाकर जब न्यूक्लियर धमाका किया ता उसकी गूंज न केवल विश्व भर में गूंजी बल्कि पोखरण का नाम भी विश्व मानचित्र पर उभर गया.

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फिलहाल इस जगह को चारों तरफ से फेंसिंग करके घेर दिया गया है. सेना ने करीब 500 मीटर के घेरे में इस स्थल की तारबंदी जरूर कर रखी हैं लेकिन गांव वालों को इस बात का अफसोस है कि कहीं भी न तो इसकी विजयी गाथा का बखान किया गया हैं और न ही यहां पर कोई स्मारक बनाया हुआ है. जिससे आने वाली पीढ़ियों को ये बताया जा सके कि ये वही धरा हैं जिसने भारत का न केवल मान सम्मान बढ़ाया हैं बल्कि देश का सीना चौड़ा किया है.

उस वक्त यहां से पोखरण के विधायक रहे गुलाब सिंह इसी लोहारकी गांव के रहने वाले हैं. वह कहते हैं कि 45 साल बाद भी किसी भी सरकार का इस विजयी धरा के इतिहास को संजोने के लिए ध्यान नहीं दिया गया. देश के परमाणु शक्ति से सम्पन्न करने वाली इस धरा को गुमनाम छोड़ दिया गया.

प्रथम नाभिकीय विस्फोट स्थल के करीब के गांवों के लोग उस वक्त को याद करते हुए कहते हैं कि उस दिन अचानक धमाका हुआ तो उनके घरों में कंपन की वजह से दरारें पड़ गईं. तब 12 हजार टीएनटी क्षमता का विस्फोट किया गया था. ग्रामीणों की मानें तो एक वक्त धमाके से धूल का गुब्बारा उठा था और कुछ देर बाद शांत हो गया.

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