आज अमेरिका के दर्द के 20 साल पूरे हो गए हैं। समय भले ही बीत गया हो लेकिन आतंक की उस चोट का दर्द अमेरिका के जेहन में आज भी ताजा है। 9/11 के उस हमले का इस्लाम से कोई कनेक्शन था। दुनिया में इस्लामोफोबिया 9/11 के साथ शुरू नहीं हुआ, लेकिन आतंकी हमलों और आतंक के खिलाफ लड़ाई ने इस्लाम के प्रति दुश्मनी को बढ़ा दिया। हमले की भयावहता और 19 आतंकवादियों के उस खौफ ने दुनिया के दूसरे सबसे बड़े धर्म के लिए नफरत में बदल दिया गया। कट्टरवाद और आतंकवाद के संदर्भ के बजाय इसके कारण के रूप में इस्लाम को देखा गया।...
India on Taliban Cabinet: अमेरिका-रूस के खुफिया प्रमुख भारत क्यों आ रहे? कहीं तालिबान की आतंकी सरकार का मामला तो नहींसभी बहुलतावादी समाज के सामाजिक तानेबाने में बदलाव आ चुका है। दुनियाभर में नॉर्वे से लेकर न्यूजीलैंड, जर्मनी से म्यांमार और भारत तक मुसलमानों के खिलाफ हेट क्राइम और हमले बढ़ रहे हैं। इस्लाम को लेकर डर और रुढ़िवादिता ने दुनिया के कई देशों में दक्षिणपंथी पार्टियों के लिए फायदे का काम किया है। निश्चित रूप से इसको लेकर न्यूजीलैंड की प्रधानमंत्री जेसिंडा ऑर्डर्न की तरह अलग राजनैतिक...
जंग के मैदान से ज्यादा मुश्किल है इस्लामिक स्टेट को 'इंटरनेट वॉर' में हराना, न्यूजीलैंड में हमला है सबूतअमेरिका में 9/11 ने फोन और अन्य डिवाइसेज के जरिये निगरानी की नई दुनिया को जन्म दिया। इस आतंकी हमले के बाद चेहरे से पहचान और बायोमीट्रिक का जोर बढ़ा। वीकल ट्रैकिंग, डीएनए टेक्नोलॉजी और सीसीटीवी भी पूरी तरह से जांच का हिस्सा बन गए। जॉर्ज बुश एनएसए को वायरटैप्स का संचालन करने और अमेरिकी धरती पर भी विदेशी संचार पर मेटाडेटा इकट्ठा करने की अनुमति दी। होमलैंड सिक्योरिटी के नाम पर पैट्रियट...
इसबीच, डिजिटल टेक्नोलॉजी पहले से अधिक विकसित हो चुकी है और लोग और खुलकर जिंदगी को जी रहे हैं। लोग अब फोन और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर रोजाना अधिक एक्टिविटिज कर रहे हैं। साल 2013 में यूएस गवर्नमेंट कॉन्ट्रेक्टर एडवर्ड स्नोडन ने संदिग्ध और गैरकानूनी रूप से जासूसी का खुलासा किया था। इसमें अमेरिकी जासूसी एजेंसियों का 52.
यूके में जीसीएचक्यू ने भी व्यापक रूप से निगरानी की। भारत में 26/11 के हमले के बाद नेटग्रिड, नेत्रा और सीएमएस जैसे निगरानी कार्यक्रम शुरू किए गए। इनके जरिये लोगों की हर छोटी से छोटी गतिविधि पर नजर रखी जा सकती है। भारत में तो विदेशी प्राइवेट कंपनी स्पाइवेयर की पेगासस के जरिये गुप्त ऑपरेशन चलाए जाने के भी आरोप लगे हैं। हालांकि, प्रिवेसी के मूलभूत अधिकारों के बावजूद इस तरह की निगरानी को लेकर जनता में बहुत ज्यादा रोष या प्रतिरोध देखने को नहीं मिलता है।पिछले दो दशक में आतंकवाद-इंडस्ट्री के मेलजोल ने...
और हिंदुस्तान तो 10 सदी से झेल रहा है,हमारी नफरतों के बाज़ार में कदम रखो तो पता चले,कितना acid भरा है
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