55 साल बाद फिर एक हो सकती हैं CPI और CPIM, चुनावों में खस्ता हाल के बाद कवायद शुरू

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सीपीआई (एम) ने इस चुनाव में 65 सीटों पर अपने उम्मीदवार मैदान में उतारे थे, लेकिन खाता सिर्फ 3 सीटों पर ही खुला।

55 साल बाद फिर एक हो सकती हैं CPI और CPIM, चुनावों में करारी हार के बाद कवायद शुरू जनसत्ता ऑनलाइन May 29, 2019 10:33 PM तस्वीर का प्रयोग प्रतीकात्मक तौर पर किया गया है। प्रमुख वामपंथी पार्टी भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने अपने विभाजन के 55 साल बाद बाद फिर से एकजुट होकर कम्युनिस्ट आंदोलन को तेज करने की आवाज उठायी है। यह आवाज लोकसभा चुनाव 2019 में निराशाजक प्रदर्शन के बाद उठी है। पिछले सप्ताह जारी हुए चुनाव रिजल्ट में सीपीआई, जिसने 1962 में सबसे अधिक 29 सीटें जीती थी, इस बार उसे 2 पर ही संतोष करना...

अब सीपीआई की बात करें तो 1964 में यह सीपीआई से टूट कर बनी थी। सीपीआई ने इस चुनाव में 65 सीटों पर अपने उम्मीदवार मैदान में उतारे, लेकिन खाता सिर्फ 3 सीटों पर ही खुला। इसमें एक केरल और दो तमिलनाडु में है। जबकि केरल में सीपीआई की अगुवाई वाली एलडीएफ की सरकार है। वर्ष 2014 के चुनाव में पार्टी ने पश्चिम बंगाल में 2 सीटें जीती थी, लेकिन इस बार वहां शून्य पर आउट हो गई। बता दें कि पश्चिम बंगाल में लंबे समय तक सीपीआई की सरकार...

लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद दिल्ली में सीपीआई राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक हुई। इसमें यह बात सामने आयी कि तमिलनाडु को छोड़ कांग्रेस, लेफ्ट और उसके गठबंधन के साथी भाजपा के खिलाफ एक मजबूत और विश्वसनीय विकल्प जनता को नहीं दे सके। सीपीआई द्वारा जारी बयान में कहा गया, “वाम की हार पर पर गंभीर विचार-विमर्श करने वाली राष्ट्रीय कार्यकारिणी ने बताया कि भारत में वामपंथ एक अभूतपूर्व चुनौती का सामना कर रहा है। वाम के हाशिए पर जाने से देश के भविष्य पर गंभीर असर पड़ेगा। इसलिए सीपीआई की राष्ट्रीय...

गौरतलब है कि वर्ष 1964 में चीन और यूएसएसआर, दो प्रमुख कम्युनिस्ट राष्ट्रों के बीच दरार के वैश्विक नतीजों के बाद सीपीआई दो भाग में विभाजित हो गया था। सीपीआई के भीतर कांग्रेस के साथ सहयोग करने की नीति पर खिलाफत शुरू हो गई थी, जिसे पार्टी का एक कट्टरपंथी तबका ‘पूंजीपति’ मानता था। जब 1964 में सीपीआई के गठन के लिए पार्टी के 32 सदस्य ‘राष्ट्रीय परिषद’ से बाहर चले गए, पार्टी टूट गई। कुछ वर्षों में सीपीआई सीपीआई के मुकाबले ज्यादा लोकप्रिय हो गई और पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा और केरल की सत्ता पर भी काबिज...

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