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अलीगढ़ लोकसभा सीट: कौन-कौन है उम्मीदवार, किसके बीच होगी कड़ी टक्कर

पिछले साल एएमयू में पाकिस्तान के जनक मोहम्मद अली जिन्ना की तस्वीर पर काफी बवाल हुआ था. स्थानीय सांसद सतीश गौतम ने जिन्ना की तस्वीर पर आपत्ति जताई थी, जिसके बाद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने तस्वीर हटाने का आदेश दिया था. तब कर्नाटक विधानसभा चुनाव से पहले इस मुद्दे पर राजनीतिक तौर पर काफी शोर हुआ था.

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अलीगढ़ में बीजेपी के लिए सीट बचाना है बड़ी चुनौती (सांकेतिक)
अलीगढ़ में बीजेपी के लिए सीट बचाना है बड़ी चुनौती (सांकेतिक)

अपने तालों के लिए मशहूर अलीगढ़ लोकसभा चुनाव के लिहाज से काफी अहम शहर है. पश्चिमी उत्तर प्रदेश का यह ऐतिहासिक शहर अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) के कारण दुनियाभर में खासा चर्चित रहा है. मुस्लिम बहुल अलीगढ़ संसदीय सीट पर पिछले चुनाव में बीजेपी ने अप्रत्याशित रूप से जीत हासिल की थी.

अलीगढ़ लोकसभा सीट बचाने की चुनौती भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के सामने है. हालांकि इस बार चुनाव में सपा-बसपा का गठबंधन हो चुका है. दूसरे चरण में 18 अप्रैल को होने वाले मतदान में बीजेपी को चुनौती देने के लिए यहां के चुनावी समर में 20 कुल उम्मीदवार मैदान में हैं. बीजेपी के उम्मीदवार और निवर्तमान सांसद सतीश कुमार गौतम को बहुजन समाज पार्टी और सपा के संयुक्त उम्मीदवार डॉक्टर अजित बालियान, कांग्रेस के बिजेंद्र सिंह चौधरी, आम आदमी पार्टी के सतीश चंद्र शर्मा और प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) के दीपक चौधरी से चुनौती का सामना करना पड़ेगा.

जिन्ना की तस्वीर पर बवाल

पिछले साल एएमयू में पाकिस्तान के जनक मोहम्मद अली जिन्ना की तस्वीर पर काफी बवाल हुआ था. स्थानीय सांसद सतीश गौतम ने जिन्ना की तस्वीर पर आपत्ति जताई थी, जिसके बाद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने तस्वीर हटाने का आदेश दिया था. तब कर्नाटक विधानसभा चुनाव से पहले इस मुद्दे पर राजनीतिक तौर पर काफी शोर हुआ था.

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1952 और 1957 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने बड़े अंतर से जीत दर्ज की थी. लेकिन इन चुनाव के बाद लगातार चार चुनाव यहां गैर कांग्रेसी दलों ने जीत हासिल की. 1967 और 1971 में भारतीय क्रांति दल के अलावा 1977 और 1980 में जनता दल ने जीत हासिल की थी.

हालांकि, इंदिरा गांधी की हत्या के बाद 1984 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की लहर दिखी और यहां पर जीत हासिल की. 1989 के चुनाव में जनता दल के सत्यपाल मलिक ने कांग्रेस को पटखनी दी. इसके बाद से ही ये सीट एक तरह से भारतीय जनता पार्टी का गढ़ बन गई.

90 के दशक में देशभर में रामलहर के दौर में बीजेपी की यहां एंट्री हुई और 1991, 1996, 1998 फिर 1999 में बीजेपी की शीला गौतम ने लगातार जीत दर्ज की. लेकिन 2004 के चुनाव में कांग्रेस और 2009 के चुनाव में बसपा ने यहां से बाजी मारी. हालांकि 2014 के लोकसभा चुनाव में मोदी लहर के दम पर बीजेपी के लिए सतीश गौतम ने बड़ी जीत दर्ज की थी.

मुस्लिम वोटर्स का प्रभाव

अलीगढ़ लोकसभा सीट पर मुस्लिम वोटरों का काफी प्रभाव है. यहां अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी होने के कारण यहां के मुस्लिम वोटरों का संदेश पूरे उत्तर प्रदेश में जाता है. अलीगढ़ जिले में करीब 20 फीसदी मुस्लिम जनसंख्या और करीब 80 फीसदी हिंदू मतदाता हैं. 2014 के लोकसभा चुनाव के अनुसार यहां करीब 17 लाख मतदाता हैं, इनमें करीब 9.65 लाख पुरुष और 8 लाख महिला मतदाता हैं.

अलीगढ़ लोकसभा क्षेत्र के तहत कुल 5 विधानसभा सीटें खैर, बरौली, अतरौली, कोल और अलीगढ़ सीटें आती हैं. 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में ये सभी पांचों सीटें भारतीय जनता पार्टी के खाते में गई थीं.

2014 के चुनाव में बीजेपी के सतीश गौतम ने एकतरफा जीत दर्ज की थी. उन्हें कुल 48 फीसदी वोट मिले थे, जबकि बहुजन समाज पार्टी के उनके प्रतिद्वंदी अरविंद कुमार सिंह को 21 फीसदी वोट मिले थे. यहां समाजवादी पार्टी तीसरे और कांग्रेस चौथे नंबर पर रही थी. 2014 में यहां कुल 59 फीसदी मतदान हुआ था.

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