2019 चुनाव: उत्तराखंड भी यूपी की तरह ही अहम, सीटों को बचाने उतरेगी बीजेपी

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राजपाट: वक्त का फेर

 

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बड़ा बयान: मोदी के मंत्री जयंत सिन्हा बोले- चुनाव के बाद स्थिर सरकार मिलने की संभावना कमजयंत सिन्हा का यह बयान तब आया है जबकि पिछले महीने ही बीजेपी को तीन बड़े हिंदी राज्यों मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनावों में सत्ता गंवानी पड़ी थी. narendramodi jayantsinha लगता है jayantsinha अपने बाप के नक्शेकदम पर चल रहा है। narendramodi jayantsinha भाजपा ने अभी से हार मान लिया है। narendramodi jayantsinha ओर तुम मीडिया वाले मोदी,,,,मोदी,,,,मोदी,,,करो क्योंकि तुम्हे दलाली मिल रही है
स्रोत: ABP News - 🏆 9. / 59 और पढो »

उत्तर प्रदेश: दोबारा ऐतिहासिक जनादेश हासिल करने साथ आई सपा-बसपाउत्तर प्रदेश में सपा-बसपा, कांग्रेस से गठबंधन नहीं चाहते, या कांग्रेस अकेले लड़ना चाहती है, इस पर बहस जारी है। लखनऊ में सपा-बसपा की साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस, तस्वीरों में एक साथ मौजूद आंबेडकर और लोहिया की तस्वीर के बाद दिल्ली दरबार का पूरा विमर्श बदल गया। उत्तर प्रदेश वह प्रयोगशाला है, जहां कांशीराम और मुलायम की लहर में भी गोरखपुर की सीट भाजपा के पास थी। इसके उलट जब बसपा को शून्य पर टिका और सपा को पारिवारिक सदस्यों के बीच सिमटा दिया गया था तब गोरखपुर अलग ही राजनीतिक मोड़ लेता है। 2014 के लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश ने जो ऐतिहासिक जनादेश दिया था आज उससे उबरने के लिए सपा और बसपा साथ हैं। इस सूबे की राजनीति, केंद्र की भी राजनीति है। लोहिया-आंबेडकर की तस्वीरों को साथ रख इस समीकरण का उद्देश्य है अपने-अपने वोट बैंक को साध ज्यादा से ज्यादा सीटें हासिल करना। केंद्र की राजनीति में सपा-बसपा के अंक मजबूत हों, इसलिए जरूरी है कि कांग्रेस का गणित बिगड़ जाए। संसद में आर्थिक आधार पर दस फीसद आरक्षण पर साथ-साथ चलने के बाद ये दोनों दल अपने-अपने वोट बैंक के पास उसी ‘पहचान’ के साथ लौट आए हैं जो इनकी बुनियाद हैं। बुनियादी विरोधाभासों के साथ वोट बैंक की ऊंची इमारत पर बैठे दोनों दलों की साझीदारी से निकले पाठ पर इस बार का बेबाक बोल।
स्रोत: Jansatta - 🏆 4. / 63 और पढो »

भारत रत्न एमजीआर का सिनेमा से सियासत तक का सफर...1944 में पेरियार (जस्टिस ईवी रामास्वामी) ने गैरराजनैतिक जस्टिस पार्टी (1916 में बनी) को नया नाम दिया द्रविड़ कझगम और स्वतंत्र राज्य द्रविड़नाडु की मांग की। मगर पेरियार और अन्नदुराई के मतभेदों से पार्टी टूटी। अन्नादुराई ने नई पार्टी द्रविण मुनेत्र कझगम (डीएमके) बनाई और हिंदी विरोध का झंडा उठा कर 1956 में राजनीति में प्रवेश किया। यही डीएमके बाद में एमजीआर की बगावत के बाद टूटी और आज की एआइएडीएमके बनी, जिसने एमजी रामचंद्रन और जे जयललिता जैसे दो कलाकारों को सिनेमा की दुनिया से उठाकर सूबे की सियासत की सबसे ऊंची कुर्सी पर बिठाया।
स्रोत: Jansatta - 🏆 4. / 63 और पढो »

बीएसएफ में खराब खाने का आरोप लगाने वाले जवान तेज बहादुर के बेटे की संदिग्ध हालत में मौत-Navbharat Timesपुलिस ने बताया कि घटनास्थल पर पहुंचने पर रूम अंदर से लॉक मिला। अंदर जाने पर बेड पर पड़ा हुआ रोहित का मृत शरीर बरामद हुआ और उसके हाथों में एक पिस्टल भी थी। बता दें कि बीएसएफ जवान तेज बहादुर यादव ने सेना में मिल रहे खराब खाने का विडियो फेसबुक पर डाला था, जो खूब वायरल हुआ था।
स्रोत: NBT Hindi News - 🏆 20. / 51 और पढो »

बीएसएफ के खाने की पोल खोलने वाले तेज बहादुर यादव के बेटे ने की खुदकुशीपतली दाल और जली हुई रोटी का वीडियो फेसबुक पर अपलोड करके चर्चा में आने वाले बीएसएफ के पूर्व जवान तेज बहादुर यादव के बेटे ने आत्महत्या कर ली है. तेज बहादुर यादव के बेटे ने अपने पिता की लाइसेंसी रिवॉल्वर से खुद को गोली मार ली. दुःखद। Sad 😣 It's so sad,
स्रोत: AajTak - 🏆 5. / 63 और पढो »

ट्रम्प के इस्तीफे की खबर के साथ देशभर में बिकीं वॉशिंगटन पोस्ट अखबार की नकली प्रतियांFake copies of Washington Post Newspaper distributed for free in US | राजधानी वॉशिंगटन में मुफ्त में बेचा जा रही थीं वॉशिंगटन पोस्ट अखबार की नकली प्रतियां अखबार ने खुद अपने ट्विटर से लोगों को इसके बारे में आगाह किया
स्रोत: Dainik Bhaskar - 🏆 19. / 51 और पढो »

न्यूजीलैंड ने भारत के खिलाफ सीरीज के लिए टीम घोषित की, लाथम और ग्रैंडहोम की वापसीtom Latham, colin de Grandhomme, India vs New Zealand, kane williamson | टॉम लाथम और कॉलिन डी ग्रैंडहोम श्रीलंका के खिलाफ सीरीज में नहीं खेले थे भारत के खिलाफ पांच वनडे की सीरीज का पहला मैच 23 जनवरी को होगा
स्रोत: Dainik Bhaskar - 🏆 19. / 51 और पढो »

पत्रकार हत्याकांड: बेटी श्रेयसी ने राम रहीम के लिए फांसी की सजा की मांग की– News18 हिंदीश्रेयसी पहली बार मीडिया के सामने आई और डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम के लिए फांसी की सजा की मांग की. वाजिब माँग हैं इनका और इनके परिवार के लोगों का।
स्रोत: News18 India - 🏆 21. / 51 और पढो »

ब्रिटिश संसद में गिरा ब्रेग्जिट डील पर बिल, आज अविश्वास प्रस्ताव का सामना करेंगी थेरेसा मेEU and British parliament's rejection of Brexit इस बिल की वोटिंग में प्रधानमंत्री मे के कई सांसद भी विरोध में उतर आए. मे की कजर्वेटिव पार्टी के 118 सांसदों ने विरोधी खेमे के साथ मिलकर इस बिल के खिलाफ वोटिंग की.
स्रोत: AajTak - 🏆 5. / 63 और पढो »

बीजेपी का इतिहास बदलकर फिर होगी अमित शाह की ताजपोशीAmit Shah as third time BJP president: मिशन 2019 की तैयारी में जुटी भारतीय जनता पार्टी की दो दिवसीय राष्ट्रीय परिषद की बैठक दिल्ली के रामलीला मैदान में शुरू हो चुकी है. बैठक में हिस्सा लेने के लिए सभी वरिष्ठ नेता मौजूद हैं. वहीं, अमित शाह के अध्यक्ष का कार्यकाल इसी महीने पूरा होने के चलते उन्हें तीसरी बार इस पद पर चुनने की कवायद शुरू भी शुरू हो गई है. हालांकि ऐसा करने के लिए पार्टी के संविधान को बदलना होगा. 50 साल ये ही अध्यक्ष रहे ऐसा पार्टी का सविंधान बना दो उस संविधान को ही क्यों नहीं बदल देते क्योकि ये संविधान ना भारत का भला कर रहा ना ही भारत वासियो का क्योकि आजादी आई होती तो अपना संविधान होता 14 अगस्त 1947 आधी रात को सत्ता का हस्तांतरण हुआ था की आजादी अपने देखा होगा पुराना प्रधानमंत्री जाता है नया आता है तो एक कॉपी पर दस्खत करता संविधान बदले मे मास्टर है बीजेपी जब देश का संविधान.48घंटे में बदल दे रही है तो पार्टी का संविधान बदला कौन से बड़ा काम है क्योंकि जो काम चुनाव आयोग से मिलकर शाह कर लेते है वह दुसरा नही कर पाएगा क्योंकि चौकीदार ही-----है|
स्रोत: AajTak - 🏆 5. / 63 और पढो »

2019 : पाठ दोबिना किसी बड़े आंदोलन, सड़कों पर विरोध प्रदर्शन के भारतीय संसद ने सामान्य वर्ग के लोगों के लिए आर्थिक आधार पर दस फीसद आरक्षण के विधेयक को पास कर दिया। इस ऐतिहासिक फैसले का ठीकरा फोड़ा गया तीन राज्यों में भाजपा की हार पर, लेकिन राजद और दक्षिण भारत के कुछ दल छोड़ सभी इस फैसले के साथ खड़े हुए। वह कांग्रेस भी साथ थी, जिसे हिंदी के तीन हृदय प्रदेशों में जीत मिली थी। माकपा जैसे वाम दल ने संसद में इस आरक्षण को वोट दे बाहर आकर बस अलग सा प्रेस नोट ही जारी किया। विरोध के दो ही बिंदु एक तो ऐन लोकसभा चुनाव और शीतकालीन सत्र के अंतिम समय में इसे लाने की अवधि और गरीबी के दायरे में आने वाली आठ लाख से कम सालाना आमदनी की सीमा है। आम चुनावों के पहले साल के दूसरे हफ्ते का पाठ यही है कि रोजगार का संकट सब समझ रहे और समाधान किसी के पास नहीं। समस्या और समाधान के बीच आरक्षण के मरहम पर बेबाक बोल।
स्रोत: Jansatta - 🏆 4. / 63 और पढो »