हुए संकट के तौर पर देख रहे हैं। सवाल उठ रहा है कि कोरोना वायरस का जलवायु परिर्वतन के संकट से क्या कोई लेना-देना है या नहीं। अच्छी खबर यह भी है कि कोरोना के कारण दुनियाभर के देशों में लागू किए गए लॉकडाउन से प्रदूषण में कमी आई है। यहां तक कि हमारी धरती के ऊपर ओजोन परत में बना छेद भी अब भरने लगा है।
तमाम तरह के शोध बताते हैं कि इंटेंसिव मीट प्रोडक्शन, एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस और ग्लोबल वार्मिंग इन तीनों के कारण दुनिया में नए-नए वायरस और बैक्टीरिया आएंगे, जो पशुओं से इंसान में आएंगे, लेकिन कोरोना वायरस के बारे में अभी तक कोई ऐसी रिसर्च नहीं आई है। ऐसा शोध जिससे यह साबित हो कि इस वायरस में जलवायु की कोई भूमिका है।
पर्यावरणपविदों का कहना है कि पिछले दिनों से जो भी बड़ी घटनाएं हो रही हैं उसमें मौसम चक्र की भी भूमिका रही है। वो चाहे फसलें नष्ट करने वाले टिड्डी दल का हमला हो या स्वास्थ्य संबंधी कोई वायरस का कहर, उसमें कहीं न कहीं जलवायु भी एक वजह रही है। मौसम चक्र में बदलाव के चलते बैक्टीरिया और वायरस को फलने-फूलने की जगह मिल रही है। जानकारों के अनुसार पहले जलवायु संकट इतना नहीं था, इसीलिए एक मौसम चक्र निर्धारित था।विश्व स्वास्थ्य संगठन का आकलन है कि पर्यावरण परिवर्तन के चलते 2030 तक हर वर्ष ढाई लाख से...
इंसानी शरीर तमाम किस्म की बीमारियों से खुद मुकाबला करने के लिए बना है। बैक्टीरिया और वायरस को मारने के लिए हमारा शरीर ही एंटीबॉडी पैदा करता है। पैथोजेंस को मारने के लिए हमारा शरीर खुद को तेजी से गरम कर लेता है। यहां तक कि कई बार हमारा शरीर खुद को गर्म करके यानी बुखार लाकर ही पैथोजेंस को मारने में सफल रहता है।
हुए संकट के तौर पर देख रहे हैं। सवाल उठ रहा है कि कोरोना वायरस का जलवायु परिर्वतन के संकट से क्या कोई लेना-देना है या नहीं। अच्छी खबर यह भी है कि कोरोना के कारण दुनियाभर के देशों में लागू किए गए लॉकडाउन से प्रदूषण में कमी आई है। यहां तक कि हमारी धरती के ऊपर ओजोन परत में बना छेद भी अब भरने लगा है।क्लाइमेट क्राइसिस या यूं कहें कि पर्यावरणीय संकट मौजूदा दौर की कड़वी सच्चाई है। क्या कोरोना वायरस का इससे किसी तरह का संबंध है। क्या धरती के तापमान में हो रही बढ़ोतरी मतलब कि ग्लोबल वार्मिंग को बीते 10...
पर्यावरणविद कहते हैं कि कोरोना वायरस के भयंकर होने के पीछे ग्लोबल वार्मिंग का कितना हाथ है, इसके बारे में गहन शोध की जरूरत है। हालांकि वैज्ञानिक पहले भी चेतावनी देते रहे हैं कि जलवायु परिवर्तन की वजह से नई बीमारियों के पैदा होने और उनके फैलने के तरीके में बदलाव आ सकता है। बहरहाल, इसके पीछे यह एकमात्र कारक नहीं है।
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