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2 बच्चों वाले बयान पर बोले बाबा रामदेव- मैं नहीं चाहता देश की आबादी 250 करोड़ हो जाए

योग गुरु रामदेव ने कहा कि देशवासियों को आने वाले 50-100 सालों के बारे में सोचना चाहिए कि इतने समय बाद देश में कैसे हालात होंगे.

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योग गुरु बाबा रामदेव (फोटो-रॉयटर्स)
योग गुरु बाबा रामदेव (फोटो-रॉयटर्स)

बाबा रामदेव ने भारत में दो से ज्यादा बच्चे वालों के वोटिंग समेत तमाम अधिकार छीनने के सवाल पर आजतक से खास बातचीत की है. उन्होंने आजतक के एंकर रोहित सरदाना से खास बातचीत में कहा कि उनका यह बयान किसी भी समुदाय के लिए नहीं, बल्कि देशहित को ध्यान में रखकर दिया गया था.

रामदेव ने अपने बयान के पीछे तर्क दिया कि 70 साल पहले जब देश आजाद हुआ था तो देश की आबादी 30-35 करोड़ थी, लेकिन आजादी मिलने के सत्तर सालों में हमने अपने देश की आबादी चार गुना कर दी है. उन्होंने कहा कि देशवासियों को आने वाले 50-100 सालों के बारे में सोचना चाहिए कि इतने समय बाद देश में कैसे हालात होंगे.

योगगुरु रामदेव ने कहा कि अभी वह कम से कम 50 से 70 साल देश की सेवा और करेंगे. उन्होंने कहा कि मैं अपनी आंखों के सामने ऐसा भारत नहीं देखना चाहता जिसकी आबादी 250 करोड़ हो जाए. मैं ऐसा भारत नहीं देखना चाहता जहां बच्चों के पढ़ने के लिए स्कूल-कॉलेज न हों, इलाज के लिए अस्पताल न हों, काम करने के लिए नौकरी न हो, ऐसे बच्चे न हों जो देश पर बोझ बन जाएं. हमारे बच्चे किसी भी मायने में गोरों से पीछे न रह जाएं.

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उन्होंने कहा कि मैं तो संन्यासी आदमी हूं, मुझे सांसारिक जीवन नहीं जीना, लेकिन मुझे देश की चिंता है. उन्होंने आगे कहा कि अगर देश के बारे में एक संन्यासी नहीं सोचेगा तो कौन सोचेगा. साथ ही रामदेव ने इस बात पर जोर दिया कि यह सामाजिक जागरूकता का मुद्दा है न कि कोई राजनीतिक बयान है.

उन्होंने कहा कि केंद्रीय राजनीति में हेल्थ, एजुकेशन, पॉपुलेशन जैसे मुद्दे होने चाहिए. साथ ही उन्होंने अपने बयान के बारे में दोहराया कि दो बच्चों वाले बयान का किसी मजहब या अमीरी-गरीबी या फिर वोट बैंक से कोई लेना-देना नहीं है.

रामदेव ने आगे कहा कि आज का नारा- 'हम दो, हमारे दो, सबके दो' का होना चाहिए. उन्होंने कहा कि जनसंख्या के मामले को दूरदृष्टि के साथ देखने और इस बारे में सोचने की जरूरत है. साथ ही उन्होंने कहा कि आने वाले समय में इस मामले पर चुनाव जीते और हारे जाएंगे.

उन्होंने कहा कि हमें यह देखने की जरूरत है कि किस देश के कितने नागरिक जागरूक, स्वस्थ और समृद्ध हैं. हमारे देश में साक्षरता, गरीबी, हेल्थ, न्यूट्रिशन का रेट बहुत कम है. लेकिन दुनिया में कई ऐसे देश हैं, जहां पर कम आबादी के साथ देशों ने अच्छी प्रगति की है. इजरायल को देखिए, वहां के नागरिक कम हैं,  लेकिन उनका देश प्रगति कर रहा है. भारत के लोगों का सम्मान जापान या इजरायल से कम नहीं होना चाहिए. मैं चाहता हूं कि हमारे देश में आने के लिए लोग भारत के विदेशों में बने दूतावासों के बाहर लाइन लगाकर खड़े रहें.

राजनीतिक बयान के सवाल पर रामदेव ने कहा कि मेरा बस एक ही रास्ता है- भारत माता की सेवा. उन्होंने कहा कि देश से बड़ा कुछ नहीं होता. मैंने केवल देश की भलाई के लिए ही ऐसा कहा है, मुझे इस देश के लिए 70 साल और काम करना है. इसके साथ ही उन्होंने कहा- मैं लाभ-हानि के बारे में सोचकर नहीं बोलता, मैं सार्वभौमिक सत्य बोलता हूं. मैं सत्यमेव जयते का नारा देने वाले देश से हूं. यही मेरा भी नारा है. उन्होंने स्वीकार किया- रोज मेरे पुतले फूंके जाते हैं, हिंदू भी फूंकते हैं, मुस्लिम भी फूंकते हैं, लेकिन इसके बावजूद वह सार्वभौमिक सच बोलते रहेंगे. 

लोकसभा चुनावों से पहले प्रियंका गांधी की राजनीति में एंट्री और उनकी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से तुलना पर भी रामदेव बोले. उन्होंने कहा कि मोदी का व्यक्तित्व बहुत बड़ा है. वह देश के लिए 18 घंटे काम करते हैं. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि प्रियंका जी डायनिमिक बहन हैं. उनका राजनीतिक अनुभव और देश के लिए योगदान मोदी जी जितना नहीं है. हो सकता है कि वह आने वाले दिनों में चुनाव भी लड़ें, सोनिया जी की उम्र काफी हो गई है. प्रियंका अपनी मां की सीट रायबरेली से चुनाव भी लड़ सकती हैं. उनको दिखाना पड़ेगा कि वह देश के निर्माण के बारे में क्या कर सकती हैं. इस समय प्रियंका और मोदी की तुलना करना सही नहीं है. दोनों की उम्र और अनुभव अलग-अलग है. देश में चल रहे राजनीतिक गठजोड़ पर रामदेव ने कहा कि इस समय चल रहा दंगल बहुत जोरदार है, इससे राष्ट्र का मंगल होना चाहिए.

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बता दें कि इससे पहले बाबा रामदेव ने अलीगढ़ में एक कार्यक्रम में कहा था कि जि लोगों के दो से ज्यादा बच्चे हैं, उन लोगों के वोटिंग अधिकार ले लिए जाने चाहिए और उनको चुनाव लड़ने की इजाजत नहीं दी जानी चाहिए. इसके साथ ही उन्होंने कहा था कि ऐसे लोगों को सरकारी नौकरी और ट्रीटमेंट फैसिलिटी से भी वंचित कर देना चाहिए. फिर चाहे ऐसे लोग हिंदू हों या मुस्लिम.

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