दर्जनों चिट्ठियों, ढेरों फोन कॉल्स, सैकड़ों घंटों के इंतजार और चटखारेदार सवालों के बावजूद प्रियंका को एक लाख से ज्यादा लोगों का समर्थन मिला. अब उनकी बेटी के पासपोर्ट पर पिता का नाम नहीं- वो पिता जिसने बेटी के जन्म पर मां-बेटी दोनों को छोड़ दिया था. प्रियंका गुप्ता वो सिंगल मां हैं, जिनकी कोशिशों ने पासपोर्ट नियमों को बदल दिया. अब पासपोर्ट पर सिंगल पेरेंट को भूतपूर्व साथी का नाम देने की जरूरत नहीं. पढ़ें, प्रियंका को.
शादी के तुरंत बाद ही पता चल गया था कि पति निहायत दकियानूसी है. वो बात-बात पर टोकता, मेरे बाहर जाने, लोगों से मिलने हर बात पर पाबंदी लगाता. प्रेगनेंसी के दौरान कई बार कहा कि उसे खानदान चलाने के लिए लड़का ही चाहिए. मैं सुनती लेकिन चुप रहती. सोचती थी कि बच्चा आने के बाद कौन पिता उसे प्यार नहीं करेगा. मैं गलत थी.डरते-सहमते और दुआ करते 9 महीने बीते. बेटी आई. उसने अपनी नाखुशी जाहिर करने में वक्त नहीं लिया. बेटी को प्यार करना, उसकी देखभाल तो दूर, उसने कभी गोद में भी नहीं लिया.
बच्ची कभी अपने पिता से नहीं मिली. शुरुआत में उसके छोटे-छोटे सवालों का जवाब देने में हकला जाती. वो पूछती- हम पापा के साथ क्यों नहीं रहते हैं? सारे बच्चे तो रहते हैं. पापा मुझसे मिलने क्यों नहीं आते? वक्त के साथ मैंने मजबूती से सवालों के जवाब देना सीखा. रिश्तों के अभाव में पले बच्चे ज्यादा संवेदनशील हो जाते हैं. मेरी बेटी जल्दी ही मुझे समझने लगी.उसके कागजों पर, आधार कार्ड, स्कूल के कागजात पर पिता का नाम नहीं. कुछ वक्त पहले पासपोर्ट बनाने दिया तो अपने तलाक के कागज भी साथ में जमा किए.
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