कौन हैं आईएएस रितिका जिंदल, जिनके हो रहे चर्चेनारी और पुरुषों के समान अधिकारों की हमारे देश में लाख दुहाई दी जाती है. बेटी और बेटे में कोई फर्क नहीं होने के जोर-शोर से कसीदे पढ़े जाते हैं, लेकिन हकीकत में कितना फर्क है, यह इस बार दुर्गा अष्टमी पर हिमाचल प्रदेश के सोलन जिले में देखने को मिला. यहां शूलिनी देवी का प्रसिद्ध मंदिर है. शनिवार को हवन यज्ञ में जब महिला आईएएस अधिकारी रितिका जिंदल ने हिस्सा लेना चाहा तो मंदिर के संचालकों ने उन्हें ऐसा करने से रोक दिया.
हैरानी की बात है कि अष्टमी के दिन हम कन्या पूजन करते हैं, महिलाओं के सम्मान की बड़ी-बड़ी बातें करते हैं, लेकिन साथ ही उन्हें उनके अधिकारों से वंचित रखा जाता है. रूढ़ियों और परम्पराओं को ढाल बनाया जाता है. रितिका जिंदल ने कहा, “एक लड़की या महिला को हवन में हिस्सा नहीं लेने देना तार्किक नहीं है. इसका कोई तुक नहीं है. उन्होंने मुझे बताया कि ऐसा बरसों से होता आ रहा है. इस पर मैंने उनसे कहा कि हम आंखें मूंद कर किसी बात का इसीलिए समर्थन नहीं कर सकते कि वो बरसों से चलता आ रहा है. हमारा संविधान समान अधिकार देता है. सुप्रीम कोर्ट ने भी यह सुनिश्चित किया है.”आईएएस अधिकारी ने हवन में हिस्सा लेने पर जोर दिया तो फिर पुजारियों और मंदिर के अन्य लोगों ने विरोध नहीं किया.
२/२.. IAS रितीका जिन्दल जी से मैं बड़े ही विनम्र भाव से निवेदन करता हूं कि १२३४ सालों से मुस्लिम महिलाओं को मस्जिदों में जाकर नमाज़ अदा करने नहीं दिया जा रहा हैं। बस एक कोशिश उन दबी हुई महिलाओं के लिए मस्जिदों के दरवाजे खोल दे। ........३/३..
१/१... काम और नाम तो बहुत ही अच्छा किया है मैडम साहिबां ने और खुशी भी है कि वह होमहवन में हिस्सा ले पाई। वह हिंदू ही है जो खुद को तोड़ मरोड़ ने के लिए तैयार होते हैं और सही बात अगर समझाई जाए तो बदलाव भी कर लेते हैं। .....२/२
हिन्दू धर्म के अपने कुछ नियम होते है , कौन किस हवन में आहुति दे सकता है कौन नही ।। संविधान तो अभी का लिखा हुआ है , हिन्दू धर्म तो सनातन से है । मनुष्य की उत्पत्ति से चल रहा है । संविधान और किसी धर्म के बारे में भी तो कुछ कहता होगा न ।
She should learn why some temples do not allow women even to enter the temple premises. IAS does not make you omniscient, or pandit. Equality of genders is not achieved by destroying ancient Vedic traditions.Not a good example for ladies
Ab ye paath jara muslims and christians ko bhi pada dena. Agle hi deen alag tarah ki headline dekhne ko milegi
WTH is this. This activism is going beyond control now. Why all the activism for sanatan dharma only? Does this IAS does't know that repecting religious belief of people is part of their duty until it's not immoral? Hope Himachal Pradesh govt take action on this officer.
ब्रेकिंग न्यूज़ :- देश भर के मुस्लिम महिलाओं को आईएएस रितिका जिंदल का इंतेज़ार! हिमाचल प्रदेश के मंदिर में पुजारियों को भेद्बभाव का पथ पढ़ने वाली अफसर पे अब मुस्लिम महिलाये आशा की नजर से देख रही है की उनकी समस्याओ को भी गंभीरता से देखे।
A big salute to brave and courageous officer madam Jindal God bless you.
बस इसी जुनून के साथ किसी मस्ज़िद में जाकर मौलाना मौलवी के साथ नमाज़ अदा करके मुस्लिम महिलाओं के साथ हो रहे भेदभाव को खत्म करना चाहिए IAS रितिका जिंदल को, पर हिन्दू धर्म को चुनौती देना आज एक शौख बन गया है चर्चा में आने के लिए,
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