हिंदी हैं हम: मोबाइल पर अनपढ़ भी इस्तेमाल कर रहे हैं अंग्रेजी, व्यवहार में पिछड़ रही हिंदी

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हिंदी हैं हम: मोबाइल पर अनपढ़ भी इस्तेमाल कर रहे हैं अंग्रेजी, व्यवहार में पिछड़ रही हिंदी Hindi English Mobile

प्रयास नहीं किए जाएं। राजभाषा के सम्मान में कवि गोष्ठियां, निबंध, भाषण आदि स्पर्धाएं करवाने से आगे कदम बढ़ाने होंगे। इसे शिक्षा की सृजनात्मक धाराओं में जोड़ना होगा। आज का युग धर्म विज्ञान, सूचना और तकनीकी का है। इन सबसे इसे जोड़े जाने की जरूरत है। अमर उजाला के ‘हिंदी हैं हम’ अभियान में सोमवार को हिंदी भाषा के जाने-माने विद्वान प्रोफेसर डॉ. रामनाथ मेहता ने विशेष बातचीत में ये बातें कहीं।

हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय सांध्यकालीन अध्ययन केंद्र शिमला के पूर्व हिंदी विभागाध्यक्ष प्रो.

हिंदी में बोलने से अगर वोट मिल सकते हैं तो यह सूचना, तकनीक और कंप्यूटर की सहजता से स्वीकार्य भाषा क्यों नहीं बन सकती। हिंदी में किसी को इंसेंटिंव देने की जरूरत नहीं। इसे पैसे, वृत्ति, मान-सम्मान आदि से सहज तरीके से जोड़ा जाना चाहिए। आज तो अनपढ़ व्यक्ति भी अंग्रेजी का प्रयोग करते हैं। मोबाइल की भाषा भी 90 फीसदी लोगों की अंग्रेजी ही है। भारत का इतना बड़ा जनमानस है। यह हिंदी को क्यों नहीं अपना सकता। जहां इसे मान-सम्मान मिलना चाहिए, वहां नहीं मिल पाता है। इसमें सरकारों की ही नहीं, हम सबकी भी गलती...

हिंदी में बोलने से अगर वोट मिल सकते हैं तो यह सूचना, तकनीक और कंप्यूटर की सहजता से स्वीकार्य भाषा क्यों नहीं बन सकती। हिंदी में किसी को इंसेंटिंव देने की जरूरत नहीं। इसे पैसे, वृत्ति, मान-सम्मान आदि से सहज तरीके से जोड़ा जाना चाहिए। आज तो अनपढ़ व्यक्ति भी अंग्रेजी का प्रयोग करते हैं। मोबाइल की भाषा भी 90 फीसदी लोगों की अंग्रेजी ही है। भारत का इतना बड़ा जनमानस है। यह हिंदी को क्यों नहीं अपना सकता। जहां इसे मान-सम्मान मिलना चाहिए, वहां नहीं मिल पाता है। इसमें सरकारों की ही नहीं, हम सबकी भी गलती...

 

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दोष हमारा है न कि मोबाइल का... मोबाइल ने तो हिन्दी में अभिव्यक्ति को और आसान ही किया है...

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