मोदी सरकार ने अगले कुछ वर्षों में इन्फ्रास्ट्रक्चर पर 100 लाख करोड़ रुपये खर्च करने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा है.
बिजनेस स्टैंडर्ड की एक रिपोर्ट के अनुसार वित्त वर्ष 2020-21 में NHAI का कर्ज 27 फीसदी बढ़कर 3.17 लाख करोड़ रुपये पहुंच गया है. इसके पिछले वित्त वर्ष 2019-20 में यह 2.49 लाख करोड़ रुपये था. पिछले पांच साल में एनएचएआई का कर्ज बोझ सात गुना बढ़ा है. मार्च 2016 में यह सिर्फ 45,300 करोड़ रुपये था.दूसरी तरफ, राजमार्गों पर लगने वाले टोल टैक्स से कमाई में वित्त वर्ष 2020-21 में 4 फीसदी की गिरावट आई है. हालांकि इसकी बड़ी वजह यह हो सकती है कि कोरोना काल में आवागमन काफी कम था.
रेटिंग एजेंसी ICRA के एक विश्लेषण के मुताबिक वित्त वर्ष 2020-21 में NHAI को टोल से करीब 26,000 करोड़ रुपये की ही कमाई हुई है. इसकी वजह से NHAI की आंतरिक आमदनी और उसके ऊपर कर्ज की देनदारी की खाई बढ़ती जा रही है. यह वित्त वर्ष 2020-21 में बढ़कर रिकॉर्ड 12.3 गुना तक पहुंच गई है.इसकी वजह से NHAI गैर वित्तीय क्षेत्र में सार्वजनिक क्षेत्र की सबसे कर्जदार संस्था बन गई है. इस मामले में उसने एनटीपीसी और ओएनजीसी को भी पीछे छोड़ दिया है.
अविश्वसनीय.... क्योंकि उन सड़कों पर आज भी टौल लिया जा रहा है जिन्हें बने 10 वर्ष से ज्यादा हो गए हैं... नई सड़कों पर तो लिया ही जा रहा है...
कोंट्रेक्टर और नेता पैसे कमाएंगे, देशवासि कर्ज चुकाएंगे।
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