भारत ने मलेरिया की दवा हाईड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन और एक अन्य महत्वपूर्ण दवा पैरासीटामॉल के अमेरिका को निर्यात की मंजूरी दे दी है. इससे भारत की कई दवा कंपनियों की चांदी हो गई है और उनके शेयरों में जबर्दस्त उछाल आया है.इस दवा का मूल रूप से इस्तेमाल मलेरिया, रूमटॉइड आर्थ्राइटिस जिसे जोड़ों का गठिया कहते हैं और एक प्रकार के चर्मरोग ल्यूपस में होता है. अमेरिका में मलेरिया रोग नहीं होता है, इसलिए कभी भी इस दवा के उत्पादन की जरूरत नहीं पड़ी. वैसे भी अमेरिका में दवाओं का बड़ा हिस्सा भारत से ही जाता है.
असल बात यह है कि इस दवा की एंटी वायरल विशेषताओं को देखते हुए इसे कोरोनावायरस के संक्रमण से उपचार में भी इस्तेमाल किया जाने लगा. इसलिए अमेरिका में इसकी मांग काफी बढ़ गई है.मलेरिया की मूल और सबसे पुरानी दवा क्लोरोक्वीन है, लेकिन इसमें थोड़े सुधार के साथ हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन तैयार किया गया. इसका साइड इफेक्ट कम होता है.भारत में हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन की सबसे बड़ी उत्पादक कंपनियां हैं— इप्का लेबारेटरीज, कैडिला समूह की जाइडस कैडिला और वॉलेस फार्मास्यूटिकल्स.
पीटीआई की एक खबर के अनुसार हाल में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने इप्का और जाइडस कैडिला को करीब 10 करोड़ टेबलेट का ऑर्डर दिया है. एक अनुमान के अनुसार हर कोविड—19 मरीज को एचसीक्यू के 14 टेबलेट का कोर्स दिया जाता है, इसका मतलब यह है कि भारत सरकार ने जो 10 करोड़ टेबलेट का ऑर्डर दिया है उससे करीब 71 लाख लोगों का इलाज किया जा सकता है.
पिछले वित्त वर्ष 2019—20 के अप्रैल से जनवरी के बीच भारत ने 1.22 अरब डॉलर मूल्य के हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन एपीआई का निर्यात किया था. इसी दौरान हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन फॉर्मूलेशन का निर्यात 5.50 अरब डॉलर का किया गया. भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद ने इसकी सिफारिश की है कि एचसीक्यू का इस्तेमाल कोविड—19 के प्रीवेंटिव मेडिकेशन में किया जा सकता है.भारत में हर महीने करीब 40 टन HCQ का उत्पादन होता है, यानी 200 एमजी के 20 करोड़ टेबलेट.
जानकारों का कहना है कि भारत को हर साल एचसीक्यू के करीब 2.5 करोड़ टेबलेट की ही जरूरत होती है, यानी इसका उत्पादन भारत की अपनी जरूरतों से कई गुना ज्यादा निर्यात के लिए ही होता है. अब इसमें अगर कोविड 19 से निपटने और उपचार में इस्तेमाल को भी जोड़ दिया जाए तो भी भारत के पास उत्पादन क्षमता बहुत ज्यादा है.पिछले महीने अमेरिकी फूड और ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन ने इप्का के दो प्लांट पर लगाए 'इम्पोर्ट अलर्ट' को हटा दिया ताकि उसकी दवाओं का आयात किया जा सके.
भारत में किसी चीज की कमी नहीं है, इलाज भी हर बीमारी का बेहतर है, पर कुछ अमीर लोग जरा सी बीमारी का भी इलाज विदेश में कराते थे, अब अमीर कैसे भारत के डाक्टर के गुण गा रहे हैं...भारत के इलाज की प्रणाली से 57 देश इलाज कर रहे हैं.
अब भी मान जाओ । मोदी है तो मुमकिन है ।
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