28 मई को"विश्व माहवारी स्वच्छता दिवस" के रूप में मनाया जाता है. इसका मुख्य उद्देश्य समाज में फैली मासिक धर्म संबंधी गलत भ्रांतियों को दूर करने के साथ साथ महिलाओं और किशोरियों को माहवारी के बारे में सही जानकारी देना है. महीने के वो पांच दिन आज भी शर्म और उपेक्षा का विषय बने हुए हैं. इस फुसफुसाहट को अब ऐसा मंच मिल रहा है जहां इसे बुलंद आवाज में बदला जा सके.दिल्ली स्थित स्वयंसेवी संस्था गूंज भारत के कई गांवों में माहवारी पर"चुप्पी तोड़ो बैठक" कराती है.
एक किट में 10 कपड़े के बने सैनिटरी पैड के साथ–साथ महिलाओं के लिए अंडर-गारमेंट्स भी रखे जातें हैं. ये डिग्निटी पैक्स उन महिलाओं के लिए एक बड़ी राहत होते हैं, जिन्हें माहवारी के दौरान एक कपड़े का टुकड़ा भी नहीं मिल पाता.गरीबी और अज्ञानता के चलते महिलाएं अपनी"मासिक जरूरत" को कभी मिट्टी, तो कभी घास या प्लास्टिक की पन्नी, पत्ते और गंदे कपड़ों से पूरा करती हैं. इसके चलते वे गंभीर बीमारियों का शिकार होती रहती हैं.
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