सिंह को उत्तराखंड का राज्यपाल बना कर भारतीय जनता पार्टी ने एक साथ कई निशाने साधे हैं जिससे विपक्ष निरुत्तर हो गया है।
गुरमीत की नियुक्ति से तराई में रह रहे सिख समुदाय और उनसे जुड़े किसानों की नाराजगी भाजपा से दूर होगी। साथ ही चीन और नेपाल की अंतरराष्ट्रीय सीमा से जुड़ा उत्तराखंड बेहद संवेदनशील क्षेत्र है। एक रिटायर्ड फौजी अफसर के राजभवन में राज्यपाल के रूप में आने से क्षेत्र की सुरक्षा पुख्ता होगी। राज्य में यह संदेश जाएगा कि भाजपा ने सेवानिवृत्त फौजी अफसर को राजभवन में भेज कर सैनिकों का सम्मान किया है। आम आदमी पार्टी ने कर्नल अजय कोठियाल को मुख्यमंत्री का चेहरा बनाकर भाजपा के सैनिक वोटों में सेंध लगाने का काम...
9 नवंबर 2000 में उत्तराखंड राज्य के गठन के बाद राज्य के पहले राज्यपाल सुरजीत सिंह बरनाला सिख समुदाय से थे और अब सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह ऐसे दूसरे राज्यपाल हैं। अब तक उत्तराखंड में कोई भी राज्यपाल पांच साल का कार्यकाल पूरा नहीं कर सके हैं। अभी खासकर पंजाब में किसान आंदोलन का व्यापक असर है जिसका प्रभाव तराई क्षेत्रों में भी सिख समुदाय के किसानों पर पड़ा और वे भाजपा से नाराज हैं।
उन्होंने पिछले दिनों केंद्रीय राज्य मंत्री अजय भट्ट की जन आशीर्वाद यात्रा का कुमाऊं के तराई क्षेत्र में जबरदस्त विरोध किया। कुमाऊं का तराई क्षेत्र रुद्रपुर-उधम सिंह नगर जिला सिख बाहुल्य क्षेत्र है और इसे राज्य लघु पंजाब भी कहा जाता है। 9 नवंबर 2000 को जब उत्तराखंड राज्य बना था तब उधम सिंह नगर जिले के सिखों ने कुमाऊं क्षेत्र के इस जिले को उत्तराखंड में शामिल करने का काफी विरोध किया था और उत्तर प्रदेश में ही इसे रखने का समर्थन किया था। तब यहां पर जबरदस्त आंदोलन चला था। इसी कारण पूर्व केंद्रीय...
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