सुप्रीम कोर्ट ने कहा: अदालतें मनमाने तरीके से नहीं करें शक्तियों का इस्तेमाल

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सुप्रीम कोर्ट ने कहा: छानबीन में दखल देने में अदालतों को बरतना चाहिए संयम SupremeCourt

न्यायपालिका और पुलिस एक दूसरे के पूरक हैं। दोनों के बीच तालमेल जरूरी है। अदालतों को अपराधों की छानबीन के चरण में हस्तक्षेप करने से बचना चाहिए। अपवाद या अतिसाधारण स्थिति में, जब लगे कि न्याय की हत्या हो रही तो ही अदालत को इस तरह का आदेश पारित करना चाहिए।

कोर्ट ने आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा-482 या संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत याचिका दायर कर मुकदमे को रद्द करने वाली याचिका का निपटारा कर दिया। शीर्ष अदालत ने कहा कि कोर्ट के पास उपलब्ध असाधारण व निहित शक्तियों का इस्तेमाल मनमाने तरीके से नहीं होना चाहिए। अदालत को ऐसे किसी छानबीन को शुरुआती दौर में विफल नहीं करना चाहिए। दुर्लभ मामलों में ही मुकदमे या शिकायत को निरस्त किया जाना चाहिए। अदालत ने यह भी कहा है कि मुकदमे या शिकायत को निरस्त करने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट को एफआईआर में लगाए गए आरोपों की सत्यता पर नहीं जाना चाहिए।न्यायपालिका और पुलिस एक दूसरे के पूरक हैं। दोनों के बीच तालमेल जरूरी है। अदालतों को अपराधों की छानबीन के चरण में हस्तक्षेप करने से बचना चाहिए। अपवाद या अतिसाधारण स्थिति में, जब लगे कि न्याय की हत्या हो रही तो...

कोर्ट ने आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा-482 या संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत याचिका दायर कर मुकदमे को रद्द करने वाली याचिका का निपटारा कर दिया। शीर्ष अदालत ने कहा कि कोर्ट के पास उपलब्ध असाधारण व निहित शक्तियों का इस्तेमाल मनमाने तरीके से नहीं होना चाहिए।

 

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