खास बातेंनई दिल्ली: 'हाईकोर्टों को सुनवाई के दौरान अनावश्यक एवं ‘‘बेवजह'' टिप्पणियों से बचना चाहिए क्योंकि उनके गंभीर परिणाम होते हैं.' यह बात शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने कही. कोविड-19 से जुड़ी याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने यह सलाह दी. इससे पहले,
यह भी पढ़ेंSC का बड़ा आदेश, 'सोशल मीडिया पर ऑक्सीजन, बेड, दवाओं की पोस्ट करने वालों पर नहीं करें कार्रवाई' जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने देश में कोविड-19 प्रबंधन का स्वत: संज्ञान लेते हुए सुनवाई की है. उन्होंने केंद्र और बिहार सरकार के हलफनामे का संज्ञान लिया और हाईकोर्टों को चेताया. वकीलों ने कहा कि कोविड-19 से पीड़ित अधिकारियों सहित सरकारी अधिकारी महामारी की स्थिति से निपटने में अथक काम कर रहे हैं.Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com
रणजीत कुमार ने कहा कि ड्यूटी पर तैनात अधिकारियों को फटकारना ‘‘काफी मनोबल'' गिराने वाली बात है. इस पर सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा कि न्यायाधीशों को भी पता है कि यह नया वक्त है जहां उनका हर शब्द सोशल मीडिया का हिस्सा बन जाता है. बेंच ने कहा, ‘‘हम सम्मान और धैर्य की उम्मीद करते हैं.
Ab judges ko judge ho raha hai had ho gayee
Bhavishya mai supreme court, high court Mai takrao ho sakta hai, Modi hai toh Mumkin hai.
सुप्रीम कोर्ट को हांक दिया मोदीजी ने!!!
हार्ले-डेविडसन की जय, राज्यसभा की जय।
इसका मतलब सुप्रीम कोर्ट में अभी भी अच्छी पकड़ है केन्द्र सरकार की।
😂😂
Kuch na Kahne se bhi chin jata hai ejaje sukhan Zulm sahne se bhi zalim ki madad hoti hai
ये चाभी कौन घूमा रहा है।सब याद रखा जाएगा।
मतलब के सरकार पर टिपण्णी ना करें।
ये दौर है जब देश सर्वोच्च न्यायालय को भी सरकार के घुटने पर गिरते देख रहा है। संविधान के दो रक्षक: सुप्रीम कोर्ट और राष्ट्रपति दोनो सरकार के कदमों पर तो अब भी क्या देश संविधान से चल रहा है ऐसा माना जा सकता है?
देश का सुप्रीम कोर्ट इतना लाचार और बैबस हो गया की हाईकोर्ट को भी टिप्पणी करने से मना कर रहा सब मिलकर सरकार को बचाने में लगे हैं भारत की आम जनता के पुरे पुरे परिवार तबाह हो गये लेकिन ये दलाली बंद नहीं कर रहे न्यायालय भी अब केंद्र सरकार के अधीन है शर्मनाक 🙏
सुप्रीम कोठा.
बेचारे बोलना चाह रहे होंगे मोदी के खिलाफ मत बोलो
Gulami aur lalach donon bahut buri chij hoti hai
किस को नसीहत देनी चाहिए और और किस को नसीहत दे रहे हैं
बताओ एक गुलाम दूसरे आजाद को गुलामी करने की नसीहतें दे रहा है..............
पहले एक परिक्रिया होती थी मैने सुना और देखा है जिसे स्वतः संज्ञान लेना कहते, हैं कोर्ट स्वत: संज्ञान लेकर सरकारों को उनकी संवैधानिक ज़िम्मेदारी का एहसास करवाते थे... पर अब सुप्रीम कोर्ट तो जैसे भूल गया है!!!!
पहले ही पता था जज साहब यही कहने वाले हैं क्योंकि 'मद्रास हाईकोर्ट' ने चूना आयोग पर सवाल जो कर लिया था, और चूना आयोग से सवाल मतलब 'सरकार' से सवाल और सरकार से सवाल मतलब 'राज्यसभा' सीट😊
Dekho gulam bhi banane lge
कोर्ट vs कोर्ट ऐसा तो लोकतंत्र मैं पहिली बार हो रहा है ?
मतलब बुरा लग गया। अच्छी बातों का।
अब आप भी बीजेपी में शामिल हो ही जाइए 😔 मिलार्ड,,,!!
Supreme court अपनी तहरा हाई कोर्ट को भी दलाली कराने बोल रहा है ,
तोता तो है नही जो पिंजरे में बंद कर दे । इस लिए पर काट दिए ।
Rescue operation start.
Supreme court ko bhi nasihat di jaani chahiye ki sabko importance sirf dalle patrakaro ko nahi.
High court ho ya supreem court abhi tak yeh teh nahi kar paya ki jimedar koan hain or na kissi per mukadama kar saka chahey woh chunav ayog ho ya UP ke CM (panchayat chunav ke lye)
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