सुपर कंप्यूटरों पर जंग

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अमेरिका द्वारा विदेशी कंपनियों में अमेरिकी प्रौद्योगिकी इस्तेमाल पर रोक लगाने से हुवावे का एक सौ तेईस अरब डॉलर का सालाना कारोबार खतरे में पड़ गया है। अब बात वहां से आगे बढ़ कर सुपर कंप्यूटरों तक जा पहुंची है। सुपर कंप्यूटर बनाने वाली चीन की तीन कंपनियों और वहां के नेशनल सुपरकंप्यूटिंग सेंटर की चार शाखाओं पर प्रतिबंध लगने से चीन-अमेरिका संबंधों में और खटास आ गई है।

अभिषेक कुमार सिंह सरकारें बदलने से आमतौर पर देशों के परस्पर राजनीतिक संबंधों में उतार-चढ़ाव का अनुमान लगाया जाता है। किन्हीं दो देशों के बीच अगर रिश्ते रसातल में पहुंच गए हों, तो सरकारों के परिवर्तन के साथ उनमें सुधार की संभावना पैदा हो जाती है। चीन और अमेरिका के राजनीतिक और व्यापारिक संबंधों को लेकर भी कुछ समय से ऐसे बदलावों की उम्मीद की जा रही थी। माना जा रहा था कि पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के समय चीन से अमेरिका के रिश्तों में जो तनातनी आई थी, बाइडन के कार्यकाल में उसमें नरमी...

इसलिए थोड़ा संगीन हो गया है। वैसे तो आज सुपर कंप्यूटिंग कोई अनजाना शब्द या तकनीक नहीं है। हम सभी इसके कई तथ्यों से परिचित हैं कि साधारण कंप्यूटरों की तुलना में हजारों-लाखों गुना तेजी से काम करने और एक सेकेंड में अरबों गणनाएं करने की क्षमता सुपर कंप्यूटरों को आम कंप्यूटरों से अलग करती है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि सुपर कंप्यूटर हजारों जुड़े हुए प्रोसेसरों से बने होते हैं। ये प्रोसेसर ही सुपर कंप्यूटरों की काम करने की क्षमता बढ़ा देते हैं। इसीलिए इनका इस्तेमाल मौसम के पूवार्नुमान, जलवायु के रुझान,...

 

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