दरअसल, हाईकोर्ट ने 11 अप्रैल 2019 को एसआईटी का गठन किया था, लेकिन डीजीपी सिद्धार्थ चट्टोपाध्याय ने हाईकोर्ट में अर्ज़ी दाखिल कर बताया था कि पंजाब सरकार ने न उन्हे इंफ्रास्ट्रक्चर दिया और न ही मैन पावर. पंजाब सरकार ने मामले की केस फाइल भी नहीं दी थी. जिसके बाद हाईकोर्ट ने पंजाब सरकार को फटकार लगाई और अब डीजीपी को सारी सुविधाएं मुहैया करवा दी गई है.
जस्टिस आर एन रैना की कोर्ट में मामले पर सुनवाई के दौरान पंजाब सरकार ने बताया कि डीजीपी सिद्धार्थ चट्टोपाध्याय को इंफ्रास्ट्रक्चर दे दिया गया है मैनपावर औऱ सुरक्षाकर्मी भी दे दिए गए है. जबकि केस फाइल जल्द दे दी जाएगी. कोर्ट ने डीजीपी सिद्धार्थ चट्टोपाध्याय से पूछा कि क्या वो सुविधायों से संतुष्ट है जिसपर डीजीपी ने हामी भरी. जस्टिस ने पूछा कब तक जांच शूरू कर दी जाएगी जिसपर डीजीपी सिद्धार्थ चट्टोपाध्याय ने मंगलवार से जांच शूरू करने की बात कही.
गौरतलब है 1994 में पुलिस अधिकारी पी उमरानंगल ने आतंकवादी गुरनाम सिंह बंडाला के एनकाउंटर करने का दावा किया था लेकिन बाद में गुरनाम सिंह बंडाला जिंदा निकल आया. सुखपाल की पत्नी दलबीर कौर के वकील प्रदीप विर्क ने बताया कि परिवार का आरोप है कि पंजाब पुलिस के पुलिस आफिसर उमरानंगल ने सुखपाल का फर्जी एनकाउंटर कर उसको गुरनाम सिंह का नाम दे दिया था. 2013 में सुखपाल के परिवार ने हाईकोर्ट का रुख किया. उसके बाद 2016 में इस मामले में अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ एफ आई आर दर्ज की गई. उन्होंने बताया कि आंतकवादी बंडाला के जिंदा निकल आने के बाद से कई बार एसआईटी का गठन हुआ लेकिन कई बार जांच बेनतीजा रही तो कई बार पंजाब सरकार ने जांच रिपोर्ट को जगजाहिर नहीं होने दिया.
गौरतलब है बरगाड़ी मामले में नामजद निलंबित आईजी परमराज उमरानंगल पर फर्जी एनकाउंटर का आरोप है. मृतक सुखपाल की पत्नी दलबीर कौर ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. याचिका में दी जानकारी के मुताबिक 13 अगस्त 1994 को सुखपाल को उनके गांव काला अफगान से पुलिस उठा ले गई थी. कहा गया कि पूछताछ के बाद सुखपाल को छोड़ देंगे, लेकिन उसका फर्ज़ी एनकाउंटर कर दिया गया. सुखपाल सिंह को आतंकी गुरनाम सिंह बंडाला उर्फ नीला तारा का नाम लेकर मार दिया गया. बाद में बंडाला को जिंदा पाया गया.
सर् ललितपुर जिले में 1 करोड़ 26 लाख रुपये का घोटाला हुआ और , कोई जांच नही होती है बस खानापूर्ति ही कर दी जाती है
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