सत्ताधीशों की इतिहास से बदले की कार्रवाइयों को इतिहास कैसे दर्ज करेगा

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सत्ताधीशों की इतिहास से बदले की कार्रवाइयों को इतिहास कैसे दर्ज करेगा RepublicDay AmarJawanJyoti IndianModernHistory गणतंत्रदिवस अमरजवानज्योति

‘26 जनवरी, 1950 को हम अंतर्विरोधपूर्ण जीवन में प्रवेश कर रहे होंगे. राजनीति में हमारे यहां समता होगी और सामाजिक व आर्थिक जीवन में असमानता. राजनीति में हम एक व्यक्ति, एक वोट और एक वोट, एक मूल्य के सिद्धांत को मान्यता दे रहे होंगे, लेकिन सामाजिक तथा आर्थिक जीवन में, अपने सामाजिक तथा आर्थिक ढांचे के चलते, ‘एक व्यक्ति, एक मूल्य’ के सिद्धांत को नकारना जारी रखेंगे.

इससे पहले ‘द इकोनॉमिस्ट इंटेलिजेंस यूनिट’ की ‘डेमोक्रेसी इन सिकनेस एंड इन हेल्थ’ रिपोर्ट में देश के लोकतंत्र को लंगड़ा करार दिया गया था, जबकि अमेरिकी ‘फ्रीडम हाउस’ की सालाना वैश्विक स्वतंत्रता रिपोर्ट में उसकी आजादी को आंशिक. ‘एक देश, एक विधान, एक निशान’ के अपने भटकाऊ नारे को किस तरह ‘एक देश, एक चुनाव’ जैसे निरंतर आह्वानों के रास्ते ‘एक देश, एक ही ज्योति’ तक ले आए हैं.

इसीलिए उन्होंने उसे बुझाते हुए यह तक याद नहीं रखा कि यह उस बांग्लादेश की आजादी का 50वां वर्ष भी है. फिर वे इसी सवाल का जवाब भी क्योंकर गवारा कर सकते हैं कि देश अपने शहीदों के सम्मान में दो अलग-अलग जगहों पर दो ज्योतियां क्यों नहीं जलाए रख सकता?

 

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इतिहास भी कभी वर्तमान था और वर्तमान ही इतिहास बनेगा।ये तो शास्वत प्रक्रिया है। ये बदलाव बदले की भावना से मुक्त होती।ये अनिवार्य होता है।

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