नई शिक्षा नीति को लागू हुए एक वर्ष पूरा हो गया। यह संतोष का विषय है कि लगभग तीन दशकों के बाद भारत ने अपने लिए शिक्षा व्यवस्था की पड़ताल की और नई शिक्षा नीति के रूप में उसका एक महत्वाकांक्षी मसौदा तैयार किया। भारतीय शिक्षा के इतिहास में यह घटना इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि इसका आयोजन खुले मन से शिक्षा से जुड़े सभी पहलुओं पर गौर करते हुए किया गया। ऐसा करना इसलिए जरूरी हो गया था, क्योंकि शिक्षा जगत की समस्याएं लगातार इकट्ठी होती रहीं और सरकारी उदासीनता के चलते कुछ नया करने की गुंजाइश नहीं हो सकी।...
सभी संस्थाओं की अपनी जीवनी होती है और निहित रुचि या स्वार्थ भी होते हैं, जिनके तहत उनका संचालन होता है। नई शिक्षा नीति इन पर भी गौर कर रही है और संरचनात्मक रूप से बदलाव की तैयारी में है। हमारे पाठ्यक्रमों को लेकर यह शिकायत बनी रही है कि वे भारतीय समाज, यहां की संस्कृति, विरासत और ज्ञान की देशज परंपरा से कटे हुए हैं और कई तरह की मिथ्या धारणाओं को बढ़ावा देते हैं। भारत को भारत में ही हाशिये पर पहुंचाते हुए ये पाठ्यक्रम एक संशयग्रस्त भारतीय मानस को गढ़ने का काम करते रहे हैं। यहां यह नहीं भूलना...
नई शिक्षा नीति के प्रति वर्तमान सरकार ने अनेक अवसरों पर प्रतिबद्धता दिखाई है, परंतु कोरोना ने उसके क्रियान्वयन में गतिरोध पैदा किया है। नई शिक्षा नीति को लेकर शिक्षा जगत में वेबिनारों की सहायता से जागृति फैली है, भ्रम दूर हुए हैं और लोगों में आशा का संचार हुआ है। अब आवश्यकता है कि संरचनात्मक सुधारों को लागू किया जाए, पर सबसे जरूरी है कि शिक्षा संस्थाओं में शैक्षिक वातावरण की बहाली की जाए और अकादमिक संस्कृति का क्षरण रोका...
MisraGirishwar dpradhanbjp BJP4India शिक्षा का व्यवसायिकरण ही समस्या का मूल कारण है. पहले किताब में + का प्रयोग और एक दो उदाहरण होते थे, बाकी शिक्षक स्वयं पढाते थे. अब शिक्षक सूचना आयुक्त बन चुके हैं जो स्टडी मटिरियल प्रोवाइड करने लगे हैं. Quality of Education and Teachers decreased due to corruption of system...
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