बीते बुधवार को लखनऊ की विशेष सीबीआई अदालत ने 6 दिसंबर 1992 को अयोध्या में बाबरी मस्जिद गिराए जाने के मामले में भाजपा के वरिष्ठ नेताओं- लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती, कल्याण सिंह समेत सभी 32 आरोपियों को बरी कर दिया.
जस्टिस यादव ने कहा, ‘महिलाओं, बुजुर्गों, मीडियाकर्मियों को बैठने, गाड़ी आदि की पार्किंग की पूरी व्यवस्था की गई थी, जो इस बात का संकेत करते हैं कि विवादित ढांचे को दिनांक 06/12/1992 को गिराने की कोई योजना नामित अभियुक्तगण की नहीं थी.’ न्यायालय ने कहा, ‘ऐसा कोई साक्ष्य नहीं है कि कारसेवकों के इस अराजक समूह से आरोपियों का मस्तिष्क मिलन या विचारों का मिलान हुआ था.’
कोर्ट ने कहा कि कारसेवा को लेकर मुस्लिम समाज में कोई उत्तेजना नहीं, बल्कि उदासीनता थी, जिससे यह स्पष्ट होता है कि अयोध्या में हिंदु-मुस्लिम सौहार्द कायम रहा है. सीबीआई ने उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री कल्याण सिंह पर आरोप लगाया था कि विवादित ढांचे की सुरक्षा के लिए 150 कंपनी पैरामिलिट्री फोर्स की तैनाती की गई थी, लेकिन कल्याण सिंह द्वारा जान-बूझकर उसका प्रयोग नहीं किया गया.
केंद्रीय जांच एजेंसी ने इसके समर्थन में कुल 351 गवाहों को पेश किया था, जिसमें से 294 गवाहों के बयान लखनऊ व 57 गवाहों के बयान रायबरेली स्थित विशेष न्यायालय में दर्ज किए गए थे. इसमें लेखक, पुलिस अधिकारी, पत्रकार, फोटोग्राफर, चिकित्सक, रेडियो से जुड़े लोग, विशेष सचिव मुख्यमंत्री, पुजारी इत्यादि शामिल थे.
न्यायालय ने आगे कहा, ‘प्रस्तुत प्रकरण में समाचार पत्रों, पत्रिकाओं में छपी खबरों के संबंध में संवाददाता, संपादक द्वारा यह स्वीकार किया गया है कि संवाददता द्वारा खबर भेजने के बाद उसमें कांट-छांट की जाती है और सभी ने यह स्वीकार किया है कि मूल आलेख न्यायालय में दाखिल नहीं किया गया और मुख्य विवेचक ने उसे लेने का भी प्रयास नहीं किया.’इसी तरह न्यायालय ने वीडियो कैसेट्स, टेप रिकॉर्डर इत्यादि के जरिये पेश किए गए प्रमाणों को भी खारिज कर दिया.
कोर्ट ने कहा कि सभी गवाहों- चाहे वह सरकारी कर्मचारी रहे हैं या जनता के लोग रहे हों- के बयान न्यायालय में दर्ज किए गए और विवेचना के दौरान यह पाया गया कि गवाहों के बयानों में विरोधाभास है. उन्होंने बहुत सी ऐसी चीजें बताईं, जो न्यायालय में पहली बार बताई गईं, जिसे उनका सुधरा हुआ बयान माना गया. अपने फैसले में कोर्ट ने उस दौरान कारसेवकों द्वारा लगाए गए कई नारों- राम लला हम आएंगे, मंदिर वहीं बनाएंगे; तेल लगाओ डाबर का, नाम मिटा दो बाबर का; राम नाम सत्य है, बाबरी मस्जिद ध्वस्त है- का उल्लेख किया है, हालांकि कोर्ट ने इसका कोई प्रमाण नहीं पाया कि ये नारे आरोपियों द्वारा लगाए गए थे.
कहते हैं कि अपराध का षड्यंत्र रचने वाले भी अपराधी होते हैं...🙂🤔
इंडिया ताज़ा खबर, इंडिया मुख्य बातें
Similar News:आप इससे मिलती-जुलती खबरें भी पढ़ सकते हैं जिन्हें हमने अन्य समाचार स्रोतों से एकत्र किया है।
स्रोत: BBC News Hindi - 🏆 18. / 51 और पढो »
स्रोत: Jansatta - 🏆 4. / 63 और पढो »
स्रोत: BBC News Hindi - 🏆 18. / 51 और पढो »
स्रोत: AajTak - 🏆 5. / 63 और पढो »
स्रोत: AajTak - 🏆 5. / 63 और पढो »
स्रोत: Amar Ujala - 🏆 12. / 51 और पढो »